कश्मीरी, डोगरी भाषा को लेकर सुधारी गई बड़ी गलती : डॉ. जितेंद्र सिंह
प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा बिल को संसद में मंजूरी मिलने के साथ ही कश्मीरी व डोगरी भाषा को लेकर हुई बड़ी गलती को सुधार दिया गया है। प्रदेश में गोजरी पहाड़ी व पंजाबी भाषाओं को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
राज्य ब्यूरो, जम्मू : प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा बिल को संसद में मंजूरी मिलने के साथ ही कश्मीरी व डोगरी भाषा को लेकर हुई बड़ी गलती को सुधार दिया गया है। प्रदेश में गोजरी, पहाड़ी व पंजाबी भाषाओं को भी प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर की 73 प्रतिशत जनसंख्या द्वारा बोली जाने वाली कश्मीरी व डोगरी को आधिकारिक भाषा का दर्जा ना मिलना बहुत बड़ी नाइंसाफी थी।
बुधवार को दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में 1957 से सिर्फ उर्दू व अंग्रेजी भाषा को ही आधिकारिक भाषा का दर्जा था। इन भाषाओं को कुल जनसंख्या के एक प्रतिशत से से भी कम लोग बोलते हैं।
सिंह ने कहा कि प्रदेश में 5 अगस्त 2019 को नई संवैधानिक व्यवस्था बनने के बाद पुरानी गलतियों को ठीक करने की दिशा में कार्रवाई शुरू हो गई। संसद में भाषा बिल को मंजूरी मिलना इसी दिशा में एक कार्रवाई है। उन्होंने कहा कि कश्मीरी, जम्मू कश्मीर में सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है, इसे 53 प्रतिशत लोग बोलते हैं। वही डोगरी भाषा को बीस प्रतिशत से अधिक लोग बोलते हैं।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि हिदी को भी जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषा की सूची में शामिल किया गया है। इसके साथ उर्दू व अंग्रेजी भाषा को मिले आधिकारिक दर्जे के साथ भी कोई छेड़छाड़ नहीं की गई। ऐसे में अब जम्मू कश्मीर में पांच आधिकारिक भाषाएं हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की मुख्य भाषाओं में गोजरी, पहाड़ी व पंजाबी भी शामिल हैं। नई व्यवस्था में इन भाषाओं की भी अहमियत है। गृहमंत्री अमित शाह की सराहना करते हुए सिंह ने कहा कि उन्होंने जम्मू कश्मीर की भाषाओं के साथ इंसाफ करने का फैसला लिया है।