J&K: राजनीतिक आधार पर होंगे बीडीसी चुनाव, सात राष्ट्रीय-राज्य की तीन पार्टियों के चुनाव चिन्ह आरक्षित
जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि जम्मू कश्मीर व लद्दाख में पहली बार होने जा रहे बीडीसी चुनाव संविधान के 73वें संशोधन के आधार पर होंगे।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। चुनाव प्राधिकरण ने राजनीतिक आधार पर ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के चुनाव करवाने के लिए बुधवार को 10 चुनाव चिन्ह आरक्षित करने की अधिसूचना जारी कर दी। इसमें सात राष्ट्रीय और राज्य की तीन राजनीतिक पार्टियों के चुनाव चिन्ह शामिल हैं।
जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने यह फैसला लेते हुए स्पष्ट संकेत दिया है कि जम्मू कश्मीर व लद्दाख में पहली बार होने जा रहे बीडीसी चुनाव संविधान के 73वें संशोधन के आधार पर करवाए जाएंगे। केंद्र शासित प्रदेश बनने जा रहे जम्मू कश्मीर में 73वां संशोधन एक नंवबर से प्रभावी हो जाएगा। इस समय प्रदेश में अक्टूबर के अंत में बीडीसी चुनाव करवाने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
चुनाव कार्यालय की ओर से फाइनल मतदाता सूचियां भी जारी कर दी गई हैं। जल्द ही जम्मू कश्मीर व लद्दाख की 316 बीडीसी के अध्यक्ष चुनने के लिए चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाएगी। ऐसे में जम्मू कश्मीर में अपनी बीडीसी बनाने के लिए राजनीतिक पार्टियों की सरगर्मियां भी जोर पकड़ लेंगी।
एक ही दिन होगा मतदान :
बीडीसी चुनाव एक ही दिन में हो जाएंगे। प्रदेश के 316 ब्लॉकों में हर ब्लॉक मुख्यालय में एक-एक मतदान केंद्र बनेगा। मतदान में करीब 43 हजार पंच, सरपंच वोट डालेंगे। इनमें से 4490 सरपंच व बाकी पंच हैं।
इन पार्टियों के चुनाव चिन्ह आरक्षित :
आरक्षित किए गए सात राष्ट्रीय पार्टियों के चुनाव चिन्हों में भाजपा का कमल, कांग्रेस का हाथ, बहुजन समाज पार्टी का हाथी, सीपीआइ का दराती व हथौड़ा, सीपीआइ-एम की दराती व तारा, तृणामूल कांग्रेस का फूल व घास और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी की घड़ी शामिल हैं। वहीं, राज्य की तीन राजनीतिक पार्टियों के लिए आरक्षित किए गए चुनाव चिन्हों में नेशनल कांफ्रेंस का हल, पीडीपी का कलम-दवात व नेशनल पैंथर्स पार्टी का साइकिल चुनाव चिन्ह शामिल हैं।
संविधान के 73वें संशोधन के तहत चुनाव करवाना पंचायत कांफ्रेंस की मुख्य मांग
जम्मू कश्मीर में पंचायती राज को मजबूत बनाने के लिए संविधान के 73वें संशोधन के तहत बीडीसी के चुनाव करवाना पंचों व सरपंचों के संगठन जम्मू कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस की मुख्य मांग थी। पंचायत कांफ्रेंस ने यह मुद्दा हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से हुई बैठक में भी उठाया था। सरपंचों का कहना था कि अगर जम्मू कश्मीर पंचायती राज अधिनियम के तहत गैर राजनीतिक आधार पर चुनाव होते हैं तो पंचायती राज मजबूत नहीं होगा। इस चुनाव में अध्यक्ष बनाने के लिए खरीदफरोख्त को बढ़ावा मिलेगा। जम्मू कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस के प्रधान अनिल शर्मा का कहना है कि राजनीतिक आधार पर बीडीसी चुनाव करवाने का फैसला स्वागत योग्य है। अब राजनीतिक पार्टियों का फर्ज बनता है कि वे निष्ठावान व ईमानदार उम्मीदवारों को आगे लाकर ग्रामीण विकास करें।