Jammu Kashmir : ऐतिहासिक पहचान लिए हुए है जम्मू का बीसी रोड
मंदिरों के शहर जम्मू के मुख्य बस स्टैंड को जोड़ने वाला बीसी रोड किसी पहचान का मोहताज नहीं।
जम्मू, अंचल सिह । मंदिरों के शहर जम्मू के मुख्य बस स्टैंड को जोड़ने वाला बीसी रोड किसी पहचान का मोहताज नहीं। बाहरी राज्यों से शहर में आने वाले हर व्यक्ति को पहले बीसी रोड पर ही उतरना होता है। करीब एक सौ चालीस साल पहले इस मार्ग का निर्माण किया गया था।
बीसी रोड का पूरा नाम बनिहाल कार्ट रोड है। दिर भर वाहनों और लोगों आवाजाही से व्यस्त रहने वाला वाले इस रोड की छटा शाम ढलते ही बड़ी-बड़ी इमारतों, होटलों और ट्रेवल एजेंसियाें की रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा उठता है। यूं तो पूरा दिन ही इस रोड पर भीड़ रहती है लेकिन शाम पांच बजे के बाद रौनक और बढ़ जाती है। कारण, जम्मू शहर की अधिकतर ट्रेवल एजेंसियां इस रोड पर हैं। जम्मू का मुख्य बस स्टैंड भी साथ है। अभी तक अधिकतर गाड़ियां बीसी रोड से ही अन्य राज्यों के लिए निकलती हैं। रोजाना करीब दो हजार वाहन सवारियों को लेकर बीसी रोड से निकलते हैं।
जम्मू में जल शक्ति विभाग के चीफ इंजीनियर का कार्यालय इसी रोड के किनारे है तो शहर का प्रसिद्ध सेंट पीटर्स हाई स्कूल भी इसकी शोभा बढ़ा रहा है। होटल लार्ड इन्न, रेड चिल्ली, न्यू डाॅयमंड, राम सिंह पैलेस समेत कई व्यापारिक प्रतिष्ठान इस रोड किनारे स्थित हैं। डोगरा चौक से केसी मोड तक इस मार्ग पर करीब दो सौ दुकानें हैं। करीब दो सौ रेहड़ियां, फड़ियां भी इसके आसपास लगी रहती हैं। जिनसे हर आने-जाने वाला कुछ न कुछ खरीदता है।
जम्मू के मेयर चंद्र मोहन गुप्ता कहना है कि बीसी रोड शहर का सबसे पुराना मार्ग है। महाराजा प्रताप सिंह द्वारा बनवाया गया यह मार्ग आज व्यापारिक गतिविधियां का केंद्र बना चुका है। हजारों परिवार यहां कामकाज करने वालों की वजह से पल रहे हैं। साथ गुजरने फ्लाईओवर के बनने से इस पर वाहनों का रश थोड़ा कम हुआ है। जम्मू का शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसने इसके बारे में नहीं सुना होगा।
वर्ष 1885 में बना था बीसी रोड
महाराजा प्रताप सिंह ने वर्ष 1885 में बनिहाल कार्ट रोड का निर्माण करवाया। इस रोड का निर्माण मुख्य रूप से टेलीग्राफ सेवाओं की सुविधा के लिए किया गया। प्रताप सिंह 18 जुलाई 1848 से 23 सितंबर 1925 तक जम्मू-कश्मीर के महाराजा रहे। उन्होंने राज्य की दोबारा हदबंदी करवाते हुए जम्मू संभाग के पांच जिले जसरोटा, जम्मू, ऊधमपुर, मीरपुर और रियासी बनाए थे। उनकी देखरेख में जम्मू संभाग में वर्ष 1890 में डाक और टेलीग्राफ व्यवस्था बनी। पूरे जम्मू संभाग में 13 डाकघर खोले गए। तभी जम्मू शहर अखनूर, चिनैनी, बटोत, किश्तवाड़ और भद्रवाह कस्बों से टेलीग्राफ से साथ जुड़ा। इसी वर्ष 1890 में वजारत और कनक मंडी मार्केट को जोड़ने के लिए रघुनाथ मंदिर रोड का निर्माण किया गया। प्रताप सिंह के बाद उनके भतीजे हरि सिंह जम्मू-कश्मीर के महाराजा रहे। बीसी रोड बनने के बाद यहां से घोड़ा गाड़ियां यहां से चला करती थीं। गणेश दास बडेरा की राजदर्शनी में इसकी चर्चा है। वर्ष 1921 में ऐतिहासिक परिवर्तन करते हुए बीसी रोड को आवाजाही के लिए खोला गया। इसके बनने से पुंछ रूट का सारा व्यापार फिर बीसी रोड से होने लगा। तब से लगातार बीसी रोड विकसित होता चला गया।