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बड़ौदा बैंक में हुए ऋण घोटाले के आरोपित बरी, दो अभी भी हैं फरार

आरोपियों के खिलाफ सुबूत भी पेश नहीं किए गए जो उन्हें दोषी साबित कर पाते। इस मामले में गवाहों के बयान व कानूनी खामियां हैं जिसका लाभ आरोपियों को मिलता है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 03:15 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 03:15 PM (IST)
बड़ौदा बैंक में हुए ऋण घोटाले के आरोपित बरी, दो अभी भी हैं फरार
बड़ौदा बैंक में हुए ऋण घोटाले के आरोपित बरी, दो अभी भी हैं फरार

जम्मू, जेएनएफ। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कर्मचारियों के नाम पर बैंक ऑफ बड़ौदा में हुए ऋण घोटाले के आरोपितों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। आरोपितों में दो फरार है, जिनको बरी नहीं किया गया है।

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इस मामले में राकेश कुमार, रघुबीर गोशी, विजय कुमार, कृष्ण लाल, सुखदेव, गुलाम अली धोबी, मुश्ताक अहमद, सुरेश कुमार बाबा, मनमोहन सिंह, लियाकत अली, सोनू कुमार, मुल्ख राज, नवीन कुमार, मोहम्मद अशरफ व मनोहर आरोपी थे। इनमें से दो आरोपियों की मौत भी हो चुकी है। बैंक ऑफ बड़ौदा, पुरानी मंडी के सीनियर मैनेजर ने घोटाले की शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने बताया कि बैंक में रतन लाल नामक व्यक्ति आया था, जिसने खुद को बीएसएफ की 13वीं बटालियन का कमांडेंट, डीडीओ बताया।

रतन लाल ने बताया कि उनकी बटालियन जम्मू में तीन वर्ष रहेगी और वह अपने जवानों के लिए फैमिली लोन की सुविधा लेना चाहते हैं। इसके बाद बैंक के कर्मी बीएसएफ पलौड़ा में जांच के लिए गए। उनके साथ रतन लाल और मनोज कुमार भी शामिल था। मनोज को रतन लाल ने बीएसएफ में सब इंस्पेक्टर बताया था।

बीएसएफ की 13वीं बटालियन जम्मू में आई ही नहीं थी : रतन लाल ने बैंक को आश्वासन दिया कि लोन अदायगी में असफल रहने वाले कर्मियों का वेतन रोका जाएगा। इसके बाद डीडीओ के हस्ताक्षर और सैलरी स्लिप व पहचान पत्र की औपचारिकताओं को पूरा कर 21 कर्मियों को 13,75000 रुपये के लोन भी जारी किए गए। बाद में बैंक को पता चला कि रतन लाल और मनोज कुमार धोखेबाज हैं। वे बीएसएफ में अधिकारी नहीं हैं और उनके नाम भी नकली हैं। बैंक ने जब दोबारा पलौड़ा जाकर पता किया तो उन्हें मालूम हुआ कि बीएसएफ की 13वीं बटालियन जम्मू में कभी आई ही नहीं और न ही उनके इन नामों के अधिकारी हैं। मामले की जांच के बाद पुलिस ने तीन मारुति कार, एक मोटरसाइकिल, दो सेल फोन, एक म्यूजिक सिस्टम, एक वा¨शग मशीन, एक स्कूटर, एक टीवी सेट और एक कंप्यूटर बरामद किया। इस कंप्यूटर से ही फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाने का दावा किया गया था।

कोर्ट ने गवाहों के बयान में कानूनी खामियां पाईः पंद्रह वर्ष तक चले मामले की सुनवाई के दौरान द्वितीय सत्र अतिरिक्त न्यायाधीश विरेंद्र सिंह भाऊ ने कहा कि दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट इस नतीजे पर पहुंचा है कि जांच टीम आरोप साबित नहीं कर पाई। आरोपियों के खिलाफ सुबूत भी पेश नहीं किए गए, जो उन्हें दोषी साबित कर पाते। इस मामले में गवाहों के बयान व कानूनी खामियां हैं, जिसका लाभ आरोपियों को मिलता है। मामले में आरोपी प्रकाश चंद की मौत हो चुकी है और उसके खिलाफ भी दोष साबित नहीं हुए। कृष्ण लाल की भी मौत हो चुकी है। इस मामले में मुख्य आरोपी रतन और संजय मलिक फरार है। रतन का असली नाम सिद्धा राम है और दोनों फरार आरोपियों को भगोड़ा भी घोषित किया गया है। वहीं, मनोज उर्फ राकेश कुमार को जमानत नहीं मिली थी और उसे भी सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।


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