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बैसाखी उत्सव में जियापोता घाट पर संध्या आरती में उमड़े लोग

जागरण संवाददाता, जम्मू : ऐतिहासिक मुबारक मंडी में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ शुक्रवार को शुरू हुआ

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 02:30 AM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 02:30 AM (IST)
बैसाखी उत्सव में जियापोता घाट पर संध्या आरती में उमड़े लोग
बैसाखी उत्सव में जियापोता घाट पर संध्या आरती में उमड़े लोग

जागरण संवाददाता, जम्मू : ऐतिहासिक मुबारक मंडी में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ शुक्रवार को शुरू हुआ तीन दिवसीय बैसाखी उत्सव रविवार को अखनूर के जियापोता घाट पर दरिया चिनाब की आरती के साथ संपन्न हो गया। रविवार की शाम सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में पंडित सुभाष शास्त्री ने पर्यटन विभाग व स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में विधिवत मंत्रोच्चारण के बीच संध्या आरती करवाई।

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इससे पूर्व जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के कलाकारों ने दरिया चिनाब किनारे रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कलाकारों ने राज्य के तीनों खित्तों की संस्कृति को प्रस्तुत किया। ढोल नगाड़ों की गूंज और सांस्कृतिक कार्यक्रम की धूम के साथ जब पंजाबी भांगड़ा प्रस्तुत किया गया तो दरिया चिनाब किनारे का माहौल रंगीन हो गया। कलाकारों ने एक के बाद एक सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। शाम पांच बजे आरंभ हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम करीब दो घंटे तक चला। इस दौरान अखनूर के एसडीएम गोपाल सिंह मुख्य अतिथि रहे। इसके अलावा क्षेत्र के डीएसपी अजय शर्मा व पर्यटन विभाग की डिप्टी डायरेक्टर सीमा सैनी मुख्य रूप से मौजूद रहीं। अतिथियों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति देने वाले कलाकारों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। सम्मान समारोह के पश्चात सभी अतिथि व क्षेत्रीय लोग जियापोता घाट पहुंचे जहां विधिवत आरती की गई।

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-एक दिवसीय आयोजन से निराशा

पर्यटन विभाग की ओर से अखनूर के जियापोता घाट पर हर साल दो दिवसीय बैसाखी मेले का आयोजन किया जाता था लेकिन इस बार यह आयोजन केवल एक दिन का रहा। इसे लेकर क्षेत्रीय लोगों में निराशा थी। क्षेत्रीय लोग काफी संख्या में शनिवार को भी जियापोता घाट पहुंचे थे लेकिन वहां कोई आयोजन न होने के कारण उन्हें लौटना पड़ा। स्थानीय निवासी रवि कुमार, आलोक शर्मा व कृष्ण लाल ने बैसाखी उत्सव की अवधि कम करने पर नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि अखनूर जैसे छोटे से कस्बे में ऐसे आयोजन काफी महत्व रखते हैं। लोगों में इसकी हिस्सेदारी भी काफी होती है। ऐसे में प्रशासन को ऐसे आयोजनों को प्रोत्साहित करने के बजाय सीमित किया जाना गलत है।


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