लद्दाख में ड्रैगन को कड़ी टक्कर देने को तैयार बाहुबली वायुसेना
युद्ध की स्थिति पैदा हुई तो भारतीय वायुसेना लद्दाख में पाकिस्तान, चीन जैसे आक्रामक देशों के सामने तैनात सेना की उत्तरी कमान की मदद के लिए सेना की पश्चिमी कमान को भी पहुंचा देगी।
जम्मू, विवेक सिंह। चीन से सटे लद्दाख में भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय वायुसेना ने ताकत बढ़ा दी है। जरूरत पड़ी तो बाहुबली भारतीय वायुसेना ड्रैगन का कड़ी टक्कर देने के लिए चंद मिनटों में टैंक, तोपें, साजो सामान वास्तविक नियंत्रण तक पहुंचा देगी। युद्ध की स्थिति पैदा हुई तो भारतीय वायुसेना के जांबाज, बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख में पाकिस्तान, चीन जैसे आक्रामक देशों के सामने तैनात सेना की उत्तरी कमान की मदद के लिए सेना की पश्चिमी कमान को भी लद्दाख तक पहुंचा देगी। चंडीगढ़ से लद्दाख क्षेत्र के लेह जिले की हवाई दूरी सिर्फ बीस मिनट है।
भारतीय वायुसेना ने चंद मिनटों में करीब 500 टन सामान से भरे अपने सोलह बड़े विमान उताकर यह साबित कर दिया है कि वह अपने दुश्मनों को कड़ी टक्कर देने को तैयार हैं। यह अपनी तरह का रिकार्ड है जब भारतीय वायुसेना ने एक ही झटके में इतने साजों को लेह व क्षेत्र के अन्य ड्राप जोन्स में सेना, वायुसेना तक पहुंचाकर अपनी कार्य कुशलता का परिचय दिया। इस त्वरित अभियान को बाहुबली का नाम दिया गया। जम्मू कश्मीर के लद्दाख का हिस्सा चीन से तो दूसरा हिस्सा पाकिस्तान से सटा है। भारतीय सेना ने क्षेत्र में युद्ध लड़कर सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा करने की पाकिस्तान की साजिश को नाकाम बनाया है। इस समय भी सैनिक सियाचिन में मौसम को मात दे रहे हैं।
लद्दाख की लाइफ लाइन है वायुसेना
भारतीय वायुसेना बर्फीले रेगीस्तान लद्दाख की लाइफ लाइन है। वायुसेना के सहयोग से भारतीय सेना सियाचिन में खून जमाने वाली ठंड में दुश्मन के सामने मोर्चा संभाले हुए है। जब सर्दियों के महीनों में लद्दाख शून्य से कम तापमान में जम जाता है तो वायुसेना की भूमिका और भी अहम हो हो जाती है। भारतीय वायुसेना ने अपनी क्षमता का परिचय उस समय दिया है जब लद्दाख शेष देश से सड़क मार्ग से कटा हुआ है। ऐसे हालात अप्रेल महीने तक बरकरार रहते हैं। ऐसे में वायु सेना स्थानीय लोगों की मदद को भी हमेशा तत्पर रहती है।
चंडीगढ़ से चलाया गया था आपरेशन बाहुबली
वायुसेना की क्षमता का परिचय लेने के लिए चंडीगढ़ से चलाए गए अापरेशन बाहुबली में भारतीय वायुसेना के सबसे बड़े विमान सी-17 ग्लोब मास्टर के साथ बड़े आईएल-76 विमान व मीडियम टेक्टकल विमान एएन-32 शामिल हुए। ये सोलह फिक्स विंग विमान सुबह चंडीगढ़ से उड़े व करीब एक घंटे में उन्होंने अपना काम कर दिया। कुल मिलाकर इन विमानों में 463 टन लोड था। यह एक अभ्यास था जिसमें यह देखा गया कि आपदा की स्थिति में त्वरित कार्रवाई कैसी की जाएगी।
दोहरी चुनौतियों का सामना करता हैं लद्दाख
लद्दाख दोहरी चुनौतियों का सामना करता है। एक ओर पाकिस्तान व चीन जैसे आक्रामक देश हैं तो दूसरी ओर प्राकृतिक आपदा का खतरा में बना रहता है। इन दोनों चुनौतियों का सामना करने में भारतीय वायुसेना की भूमिका अहम है। सामरिक दृष्टि से लद्दाख सशस्त्र सेनाओं के लिए बहुत अहम है। पूर्वी लद्दाख के सामने चीन ने नियंत्रण रेखा के काफी पार तक सड़के बना दी हैं। ऐसे हालात में चुनौतियों का सामना करने के लिए क्षेत्र में भारतीय वायुसेना सशक्त हो रही है। भारतीय वायुसेना ने चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास दौलत बाग ओल्डी में अपनी एडवांस लैंडिंग ग्राउंड भी बनाई है।