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जम्मू : रंगकर्म से लोक संस्कृति की खुशबू बिखेर रहा फनकार का परिवार

अभिषेक आठ बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक एवं सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। उनके नाटकों में भारती के छोटे बेटे आदित्य भारती और उनकी बेटी निहारिका साक्षी भी अभिनय करते हैं।चार लघु फिल्मों में सह निर्देशन भी किया है। उनके काम के लिए कई संस्थाओं ने उनको सम्मानित किया है।

By Edited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 07:58 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 08:05 AM (IST)
जम्मू : रंगकर्म से लोक संस्कृति की खुशबू बिखेर रहा फनकार का परिवार
लोक संस्कृति की विरासत के संरक्षण के लिए जिस तरह के प्रयास होने चाहिए, वे नहीं हो रहे हैं।

अशोक शर्मा, जम्मू : लोक नाट्य शैली हरण को दुनिया भर में पहचान दिलाने में जुटे रंगकर्मी, नाट्य निर्देशक, अभिनेता एवं लेखक कुमार ए भारती रंगमंच के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। उनका पूरा परिवार भी इसमें उनके साथ है। उनके दोनों बेटे और बेटी फुल टाइम रंगकर्मी हैं।

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कुमार ए भारती की धर्मपत्नी कमल मोहनी भले ही रंगमंच से नहीं जुड़ी हैं, लेकिन वे इसकी अहमियत को कम कर नहीं आंकतीं। उनके परिवार में आए दिन किसी न किसी नाटक के मंचन की तैयार चल रही होती है। कभी रंगमंच कार्यशाला तो कभी लोक संगीत कार्यशाला। ऐसे में घर में हर समय कलाकारों का जमगट लगा ही रहता है। ऐसे में वे सभी को चाय-नाश्ता और भोजन से बेफिक्र रखती हैं, ताकि वे पूरी तरह निश्चिंत होकर रंगकर्म कर सकें। उन्हें इसमें अपार खुशी मिलती है। रंगमंच के फनकार कुमार ए भारती हमेशा जमीन से जुड़े नाटक लिखे और खेले। उनके विचार व्यवस्थित और तर्कपूर्ण होते हैं। नाटक में भाषा की संप्रेषणीय पर उनका खास जोर होता है। इसे और धारदार व लोगों के समझने लायक बनाने के लिए वे मुहावरों का सटीक इस्तेमाल करत हैं।

उनके नाटक सपाट व सरल भाषा के साथ व्यंग्यपूर्ण शैली के लिए भी जाने जाते हैं। इसमें लोक संस्कृति इस कदर रची-बसी होती है कि नाटक के मंचन के समय उसका कालखंड जीवंत हो उठता है। अब तक भारती 26 नाटकों का लेखन कर चुके हैं। तीन पुस्तकें एवं कुछ शोध पत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं। रंगमंच को समर्पित कुमार ए भारती ने वर्ष 1984 में नटराज नाट्य कुंज कल्चरल सोसायटी का गठन किया। उसके बाद लगातार लोक नाट्य शैलियों पर काम किया। उन्होंने संगीत नाटक अकादमी, जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के सहयोग से कई कार्यशालाओं का आयोजन किया है। भारती मानते हैं कि लोक संस्कृति की विरासत के संरक्षण के लिए जिस तरह के प्रयास होने चाहिए, वे नहीं हो रहे हैं।

वे लोक नाट्य परंपरा के संरक्षण पर खास जोर देते हैं। इसके लिए उन्होंने जम्मू कश्मीर के दूरदराज इलाकों में जाकर लोक नाट्य शैलियों पर शोध किया है। 42 नाटकों का कुमार ए भारती ने किया है निर्देशन कुमार ए भारती अब तक 42 नाटकों का निर्देशन कर चुके हैं। उन्होंने दो डाक्यूमेंट्री फिल्में भी की हैं। भारती लगभग 65 नाटकों, छह दूरदर्शन धारावाहिकों, तीन फीचर फिल्मों में अभिनय व कई वार्ताओं में सक्रिय भागेदारी निभा चुके हैं। उन्होंने तीन डाक्यूमेंट्री फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी व निर्देशित की। इसमें कर्मयोद्धा व नमीं सवेर को खास पहचान मिली। इसके अलावा चार लघु फिल्मों में सह निर्देशन भी किया है। उनके काम के लिए कई संस्थाओं ने उनको सम्मानित किया है।

वे जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से बिलावर व रियासी में निर्णायक दल के सदस्य रहे हैं। बडे बेटे ने रंगमंच में की है पीएचडी, आठ बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का मिला सम्मान कुमार ए भारती के बड़े बेटे अभिषेक भारती ने डोगरी में मास्टर्स के बाद रंगमंच में पीएचडी की। अभिषेक आठ बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक एवं सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। उनके नाटकों में भारती के छोटे बेटे आदित्य भारती और उनकी बेटी निहारिका साक्षी भी अभिनय करते हैं।

पूरा परिवार ही मानता है कि अपनी विरासत के लिए उनके पिता कुमार ए भारती ने जो सपना देखा है, उसे पूरा करने में वह कभी पीछे नहीं हटेंगे। अभिषेक भारती हमेशा डोगरी में ही मंचन करते हैं और अब तक देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित होने वाले कई नाट्य समारोह में भाग ले चुके हैं। भारती के नाटकों में लोक रस प्रधान होता है।


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