सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी वर्षगांठ को, पराक्रम पर्व के रूप में शहीदों को याद करेगी सेना
या तो मैं तिरंगे का आरोहण कर आऊंगा या तिरंगे में लिपट कर आऊंगा। पर मैं आऊंगा जरूर। युवा मातृभूमि की रक्षा के लिए हर तरह की कुर्बानी देने का प्रण लेते हैं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। राज्य में आतंकवाद को शह देने वाले पाकिस्तान के आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप को तबाह करने के लिए सेना की सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी वर्षगांठ को पराक्रम पर्व के रूप में मनाते हुए सेना अपने शहीद की कुर्बानियों को याद करेगी।
29 सितंबर 2016 को कश्मीर के उड़ी, पुंछ जिले के मेंढर व राजौरी जिले के नौशहरा में सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर गुलाम कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे कई आतंकी प्रशिक्षण शिविर तबाह कर दिए थे। इस स्ट्राइक के जरिये पड़ोसी देश को स्पष्ट संकेत दिया गया कि भारतीय सेना खूनखराबा करने के लिए तैयार किए जा रहे आतंकियों को उनके कैंपों में घुसकर मार सकती है।
पाकिस्तान की शह पर हुए उड़ी हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना की इस कार्रवाई से दुश्मन को गहरा आघात लगा था। जम्मू कश्मीर में युद्धों और आतंकवाद विरोधी अभियानों में दुश्मन के मंसूबों को नाकाम करने वाली सेना की उत्तरी कमान पराक्रम पर्व के दौरान शहीदों की याद में कार्यक्रम करेगी।
इस दौरान कारगिल के युद्ध में दुश्मन से लोहा लेने वाले परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बिक्रम बत्र जैसे वीरों को याद कर जवानों का उत्साह बढ़ाया जाएगा। रविवार को सेना ने ये दिल मांगे मोर का नारा देने वाले कैप्टन विक्रम बत्र के प्रेरक वाक्य को ट्वीटर पर याद किया।
प्रेरक वाक्य है, या तो मैं तिरंगे का आरोहण कर आऊंगा या तिरंगे में लिपट कर आऊंगा। पर मैं आऊंगा जरूर। इस प्रेरक वाक्य से देश के युवा मातृभूमि की रक्षा के लिए हर तरह की कुर्बानी देने का प्रण लेते हैं। वह दुश्मनों को करारा जवाब देने का माद्दा रखते हैं। उन्होंने कहा कि विक्रम बत्र युवाओं के लिए प्रेरणा स्नेत हैं। आज भी उनकी अदम्य साहस की चर्चा होती है।