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कश्मीर की सियासत बदल सकती है 'जेके अपनी पार्टी'

अनुच्छेद 370 से जम्मू कश्मीर को मिली आजादी के बाद पहले नए सियायी दल का जन्म हुआ है। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों में सेंध लगाकर जेके अपनी पार्टी की शुरुआत धमाकेदार रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Mar 2020 08:08 AM (IST)Updated: Mon, 09 Mar 2020 08:08 AM (IST)
कश्मीर की सियासत बदल सकती है 'जेके अपनी पार्टी'

राज्य ब्यूरो, जम्मू : अनुच्छेद 370 से जम्मू कश्मीर को मिली आजादी के बाद पहले नए सियायी दल का जन्म हुआ है। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों में सेंध लगाकर 'जेके अपनी पार्टी' की शुरुआत धमाकेदार रही है। पार्टी में छोटे से लेकर दिग्गज नेता जुड़े हैं। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की तरह बुखारी का मकसद कश्मीर की आवाम से दिल से जुड़ना है। साथ ही पार्टी संदेश दे रही है कि यह किसी एक परिवार का संगठन नहीं है। नए संगठन में वे नेता शामिल हुए जो अपने दलों से नाराज थे या फिर उन्हें लग रहा था कि उनका भविष्य इन दलों में नहीं है। माना जा रहा है कि अपनी पार्टी कश्मीर में नई सियासत को जन्म देगी।

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पार्टी का गठन करने में पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी ने कई माह तक सभी दलों के नेताओं के साथ गुप्त बैठकें कीं। उन्होंने सिर्फ कश्मीर को एजेंडे में नहीं रखा। जम्मू संभाग के दूरदराज के क्षेत्र गूल-अरनास से लेकर जम्मू शहर और बिश्नाह तक के नेताओं को विश्वास में लिया। नई पार्टी बनाने की चर्चा उसी समय होने लगी थी जब भाजपा ने पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया था। बुखारी समेत कई नेताओं के तेवर पीडीपी प्रधान के खिलाफ थे। कई नेता सरकार गठन के हक में थे। उस समय राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद विरोध तो थम गया था। विरोध की जो चिगारी उठी थी, वह सुलगती रही। बुखारी व असंतुष्ट नेता लगातार नई पार्टी के गठन के लिए काम करते रहे। पांच अगस्त के बाद पार्टी के गठन में होगी तेजी : पिछले वर्ष जब पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन हुआ और तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को हिरासत में लिया तो उसके बाद नई पार्टी के गठन की प्रक्रिया तेज हुई। नई पार्टी में शामिल नेताओं को लगने लगा कि पीडीपी और नेकां से लोग नाराज हैं। वह कोई नया विकल्प चाहते हैं। उनसे पहले पूर्व आइएएस अधिकारी शाह फैजल ने भी जेके पीपुल्स मूवमेंट का गठन किया था। उनके हिरासत में चले जाने के बाद यह पार्टी जनाधार नहीं बना पाई। बुखारी ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी में साथी रहे कई नेताओं के अलावा नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के नेताओं से संपर्क किया। इसमें उन्होंने विश्वासपात्र नेताओं का सहयोग लिया। यह सब इतना खामोशी से हुआ कि किसी को कई नेताओं के कांग्रेस, नेकां और पीडीपी छोड़ने की भनक तक नहीं लगी। पार्टी गठित करने से एक दिन पहले ही 39 नेता एक साथ पार्टी में शामिल हुए। उन्होंने रविवार को यह संदेश दिया कि यह पार्टी आम लोगों के लिए है। इसमें पूरे जम्मू-कश्मीर से नेता शामिल हो रहे हैं। खत्म होगा पीडीपी, नेका का वर्चस्व

नई पार्टी बनने से पीडीपी और नेकां का वर्चस्व खत्म हो जाएगा। पहले सिर्फ नेशनल कांफ्रेंस का वर्चस्व होता था। पीडीपी का साल 1998 में गठन होने के बाद लोगों को विकल्प मिला। साल 2002 में जब विधानसभा के चुनाव हुए तो पीडीपी ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार का गठन किया। साल 2008 में फिर से नेका सत्ता में आई, लेकिन 2014 में पीडीपी ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई। अब लोगों को तीसरा विकल्प मिला है। यह पार्टी चुनाव के लिए अभी से तैयारी करने में जुट गई है।

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ये दिग्गज हुए शामिल

नई पार्टी में

-पीडीएफ के चेयरमैन गुलाम हसन मीर

-कांग्रेस के पूर्व मंत्री मंजीत सिंह, एजाज अहमद खान, उस्मान मजीद, मुमताज खान, मोहम्मद अमीन भट, शोयब अहमद लोन, हिलाल अहमद शाह, गुल मुहम्मद मीर, विक्रम मल्होत्रा, काबला सिंह, श्रीनगर जिला प्रधन इरफान नकीब, युवा प्रधान पुलवामा उमर जान

-नेशनल कांफ्रेंस के पूर्व विधायक कमल अरोड़ा, पूर्व एमएलसी विजय बकाया, सईद असगर अली, बीडीसी चेयरमैन शौकत हुसैन खान, डॉ. नीलांगन अरोड़ा,

-पीडीपी से पूर्व विधायक दिलावर मीर, पूर्व एमएलसी जफर इकबाल मन्हास, पूर्व विधायक अब्दुल मजीद पाडर, रफी मीर, चौधरी कमर हुसैन, जावेद अहमद, डॉ. समी उल्ला, जिला प्रधान बडगाम मुतजर मोहिद्दीन, पूर्व चेयरमैन लेबर बोर्ड मुदस्सर अमीन खान, शौकत गयूर, शौकत साहिब, पूर्व मंत्री जल्फिकार अली, नूर मुहम्मद शेख, रजा मंजूर, मोहम्मद याबर मीर, अब्दुल रहीम राथर, जावेद मिरचाल, ये भी हुए शामिल

आल पार्टी सिख कोआर्डिनेशन कमेटी के प्रधान जगमोहन सिंह रैना, पूर्व विधायक फकीर अहमद खान, नेशल डेमोक्रेटिक पार्टी कुलगाम खुर्शीद अहमद मलिक, सिविसल सासेायटी श्रीनगर के मेहराज अहमद, मुहम्मद अशरफ डार।


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