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लोगों से दूर होने लगी चीनी, डेढ़ साल से एपीएल परिवारों को सब्सिडी पर नहीं मिली चीनी

पिछले डेढ़ साल से यह सरकारी मदद बंद है और लोगों को खुले बाजार से 40 से 50 रुपये प्रति किलो चीनी लेकर गुजारा करना पड़ रहा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 11:18 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 11:18 AM (IST)
लोगों से दूर होने लगी चीनी, डेढ़ साल से एपीएल परिवारों को सब्सिडी पर नहीं मिली चीनी
लोगों से दूर होने लगी चीनी, डेढ़ साल से एपीएल परिवारों को सब्सिडी पर नहीं मिली चीनी

जम्मू, जागरण संवाददाता। हर त्योहार की खुशी मीठे से ही शुरू होती है लेकिन जम्मू-कश्मीर के मध्यवर्गीय परिवारों का मुंह मीठा करवाने के लिए सरकार के पास चीनी नहीं। सरकार ने डेढ़ साल पहले एपीएल परिवारों को सब्सिडी पर मिलने वाली चीनी बंद कर दी थी और बीपीएल परिवारों के लिए भी सब्सिडी वाली चीनी के दाम लगभग दोगुना कर दिये। ऐसे में सरकारी चीनी एपीएल परिवारों के लिए जैसे बीती बात हो गई, वहीं यह बीपीएल परिवारों की पहुंच से भी बाहर हो गई। जुलाई 2017 में सरकार ने एकाएक यह निर्णय लेकर राज्य की जनता को झटका दिया था।

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सरकारी डिपुओं पर मिलने वाली यह चीनी बंद करने के विरोध में राज्य विधानसभा से लेकर शहर की सड़कों तक खूब हंगामा हुआ लेकिन सरकार टस से मस नहीं हुई। सरकारी कोटे के तहत इससे पहले प्रति व्यक्ति को 13.50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 700 ग्राम चीनी मिलती थी। ऐसे में एक तीन सदस्यीय परिवार को 2.10 किलो मिलती थी जिसमें उसकी गुजर-बसर हो जाती थी। त्योहार पर सरकार की तरफ से प्रत्येक परिवार को एक किलो अतिरिक्त चीनी दी जाती थी जिससे उनके त्योहार में मिठास भरती थी लेकिन पिछले डेढ़ साल से यह सरकारी मदद बंद है और लोगों को खुले बाजार से 40 से 50 रुपये प्रति किलो चीनी लेकर गुजारा करना पड़ रहा है।

लोगों में सरकार के इस फैसले को लेकर गुस्सा अभी भी बरकरार है और हर त्योहार पर उनके जख्म ताजा हो जाते है। अब लोग राज्यपाल सत्यपाल मलिक से उम्मीद लगाकर बैठे हैं कि शायद उन्हें बीपीएल व एपीएल परिवारों पर कुछ रहम आए और वह उन्हें महंगाई की मार से बचाने के लिए एपीएल का कोटा बहाल करने के साथ बीपीएल परिवारों के लिए चीनी के दाम कम करें।

45 लाख लोग हुए वंचित

सरकार ने जुलाई 2017 में जब यह फैसला लिया, उस समय राज्य के 45 लाख लोगों को एपीएल कोटे में सब्सिडी पर चीनी उपलब्ध होती थी जो बंद हो गई। खाद्य विभाग के पास उस समय 74 लाख लोग ऐसे रजिस्टर थे जो बीपीएल श्रेणी में आते थे। इन लोगों के लिए भी सरकार ने चीनी का दाम 13.50 रुपये से बढ़ाकर सीधे 25 रुपये प्रति किलो कर दिया था।

क्या कहते हैं लोग

- अमीराें के लिए सब्सिडी अगर सरकार बंद कर दे तो इस पर शायद किसी को कोई एतराज नहीं होगा लेकिन मध्यवर्गीय व गरीबों को सरकारी मदद मिलनी ही चाहिए। चीनी तो हर घर की जरूरत है। छोटे बच्चे को भी दूध के लिए चीनी चाहिए। आज बाजार में चीनी का दाम 50 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया। ऐसे में एक मध्यवर्गीय परिवार का बजट तो पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है। शिवानी गुप्ता

- बढ़ती महंगाई के बीच सरकार को आम लोगों को कुछ राहत देनी चाहिए लेकिन भाजपा-पीडीपी सरकार ने तो अपने कार्यकाल में सब्सिडी की चीनी ही बंद कर दी। जम्मू-कश्मीर के मौजूदा राज्यपाल सत्यपाल मलिक के अब तक के सभी फैसले जनहित में रहे हैं। ऐसे में उन्हें ही राज्य के आम लोगों को राहत प्रदान करते हुए सब्सिडी वाली चीनी की सप्लाई दोबारा शुरू करनी चाहिए और बीपीएल परिवारों के लिए दाम कम करने चाहिए। -दीपक अग्रवाल

- सब्सिडी की चीनी बंद करने का सरकारी फैसला पूरी तरह से गलत था। लोगों ने इसका विरोध भी किया। यहां तक कि विपक्ष के नेताओं ने उस समय विधानसभा में भी आवाज उठाई लेकिन किसी की कोई सुनवाई नहीं हुई। इस समय राज्यपाल शासन है और राज्यपाल को जम्मू-कश्मीर के बीपीएल व मध्यवर्गीय परिवारों को राहत प्रदान करते हुए सब्सिडी पर चीनी की सप्लाई दोबारा बहाल करनी चाहिए। - धर्मपाल गुप्ता

- आप देसी घी का इस्तेमाल बंद कर सकते है लेकिन चीनी रसोई घर की ऐसी जरूरत है जिसका दूसरा कोई विकल्प नहीं। हर परिवार को जरूरत अनुसार इसकी खरीद करनी ही है। जब सब्सिडी पर चीनी मिलती थी तो कुछ राहत थी। अब तीन गुणा अधिक दाम देकर खुले बाजार से चीनी खरीदनी पड़ती है। इससे एक घर के बजट पर असर को आंका जा सकता है। केवल चीनी ने ही बजट तीन गुणा बढ़ा दिया। सब्सिडी पर चीनी की सप्लाई बहाल होनी चाहिए। - प्रिया गुप्ता


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