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धारणा बदलने को फिलहाल सीमित रहेंगे अातंकरोधी अभियान

कश्मीर घाटी में बीते दो दिनों के दौरान सुरक्षाबलों ने सोपोर, त्राल, पुलवामा और अनंतनाग में कई जगह आतंकरोधी अभियान चलाए। लेकिन बाद में इन्हें स्थगित कर दिया गया।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 28 Mar 2018 04:42 PM (IST)Updated: Wed, 28 Mar 2018 04:50 PM (IST)
धारणा बदलने को फिलहाल सीमित रहेंगे अातंकरोधी अभियान
धारणा बदलने को फिलहाल सीमित रहेंगे अातंकरोधी अभियान

श्रीनगर, नवीन नवाज। कश्मीर घाटी में बीते दो दिनों के दौरान सुरक्षाबलों ने सोपोर, त्राल, पुलवामा और अनंतनाग में कई जगह आतंकरोधी अभियान चलाए। लेकिन बाद में इन्हें स्थगित कर दिया गया।यह अभियान सिर्फ इसलिए स्थगित नहीं हुए कि आतंकी समर्थक तत्व हिंसा पर उतर आए थे और आतंकी भागने में कामयाब रहे, बल्कि इसिलए कि ग्रीष्मकालीन राजधानी में जमा हुई देश-विदेश की पर्यटन जगत की नामी हस्तियों की मौजूदगी के दौरान कहीं कानून व्यवस्था का संकट, पत्थरबाजी या फिर बंद का दौर न शुरु हो जाए।

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सुरक्षाबलों को राज्य सरकार की तरफ से कथित तौर पर हिदायत जारी की गई है कि अगले कुछ दिनों तक आतंकरोधी अभियानों को स्थगित रखा जाए और अगर कहीं लगे कि आतंकी किसी साजिश को अंजाम देने वाले हैं तो उस समय दबाव बनाने और उनके मंसूबे को नाकाम बनाने के लिए ही कार्रवाई की जाए।

गौरतलब है कि इस समय श्रीनगर में ट्रैवल एजेंटस एसोसिएशन आफ इंडिया टीएएआई को एक सम्मेलन चल रहा है । इसमें भाग लेने के लिए देश- विदेश में पर्यटन, हास्पिटैलिटी सेक्टर की 600 नामी हस्तियां भाग ले रही हैं। आतंकवाद के चलते मंदी की मार झेल रहे राज्य के पर्यटन को पुन: पटरी पर लाने के लिए इस सम्मेलन को बहुत अहमियत दी जा रही है।

संबंधित सूत्रों की मानें तो राज्य सरकार निकट भविष्य में शुरु होने जा रहे पर्यटन सीजन को पूरी तरह कामयाब बनाने और देश-िवदेश के पर्यटकों आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उसे मुश्किल कश्मीर में आतंकी हिंसा के चलते लोगों में व्याप्त असुरक्षा की भावना से निपटने में आ रही है। इसलिए वह चाहती है कि जब तक यहां टाई का सम्मेलन है, हालात किसी भी तरह से बेकाबू नहीं होने चाहिए। पथराव, बंद या राष्ट्रविरोधी प्रदर्शनों को िकसी तरह से रोका जाए और यथासंभव पर्यटनस्थलों या फिर उन जगहों पर जहां पर्यटकों की आमद रहती है, सुरक्षाबलों की मौजूदगी काे यथासंभव कम करते हुए उन्हें हटाया जाए। बीते एक सप्ताह के दौरान कई जगहों पर सुरक्षाबलों की तैनाती कम करने के अलावा आबादी वाले इलाकों में स्थित बंकरों और अन्य प्रतिष्ठानों के बाहर नजर आने वाली कंटीली तारों की बाड़ भी हटा ली गई है।

सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री महबूबा मुफती लगातार हालात की निगरानी करते हुए राज्य पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से उनके कार्याधिकार क्षेत्र के मौजूदा हालात पर लगातार फीडबैक ले रही हैं। इसके अलावा विभिन्न इलाकों में सक्रिय रहे पत्थरबाजों   िजन्हें हाल ही में माफी दी गई है, की गतिविधयों पर भी निगाह रखी जा रही है और थाना व चौकी स्तर पर पुलिस द्वारा स्थानीय नागिरकों के साथ बैठकें आयोजित कर उनमें वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी को यकीनी बनाया जा रहा है।

संबंधित अधिकारियों के अनुसार, राज्य सरकार ने टाई के प्रतिनिधयों के साथ बातचीत में जोर देकर कहा है कि कश्मीर में हालात उतने बुरे नहीं हैं जितने बताए जाते हैं। किसी एक इलाके में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच होने वाली मुठभेड़ का स्थानीय जनजीवन पर कोई असर नहीं होता और आम गतिविधियां जारी रहती हैं। कश्मीर पर्यटकों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। इसलिए राज्य सरकार का प्रयास है जब तक टाई का सम्मेलन हो रहा है, कश्मीर में किसी तरह की कोई बड़ी गड़बड़ी न हो।

गत रोज ही राज्य के हालात का जायजा लेकर दिल्ली लौटे केंद्रीय गृहसचिव राजीव गाबा के साथ भी बैठक में मुख्यमंत्री महबूबा मुफती ने इस संदर्भ में बातचीत की है। खुद राजीव गाबा ने कश्मीर मे केंद्रीय अर्धसैनिकबलों के साथ बैठक में कथित तौर पर कहा है कि गर्मियों के दौरान आतंकिकयों व अलगाववादियों को किसी भी तरह से कश्मीर का माहौल बिगाड़ने की इजाजत न दी जाए और किसी भी कीमत पर नागरिक क्षति से बचने का प्रयास किया जाए।

इस संदर्भ में जब आईजीपी कश्मीर से संपर्क का प्रयास किया गया तो वह उपलब्ध नहीं हो पाए। लेकिन एक पुलिस अधिकारी ने अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि गत इतवार को बीरवा में लश्कर आतंकी के मारे जाने के बाद हमारे आतंकरोधी अभियानों की गति कुछ कम हुई है। कुछ जगहों पर हमने कासो चलाया,लेकिन जल्द ही हमें वह स्थगित करना पड़ा।

हमें आतंकरोधी अभियान बंद करने या स्थगित रखने को कोई औपचारिक निर्देश नहीं मिला है, बस हमें सिर्फ यह कहा गया है कि किसी भी आतंकरोधी अभियान में आम लोगों के साथ निपटते हुए पूरा संयम बरता जाए, नागरिक जनक्षति से पूरी तरह बचा जाए,क्योंकि किसी भी नागरिक की मौत का आतंकी व अलगाववादी अपने एजेंडे के लिए इस्तेमाल करते हुए कश्मीर का माहौल बिगाड़ सकते हैं और पर्यटन को पुन: पटरी पर लाने के राज्य सरकार के प्रयासों पर उसका नकारात्मक असर होगा।  


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