जम्मू दूरदर्शन का समय घटना बर्दाश्त नहीं
जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू दूरदर्शन की प्रसारण अवधि को साढ़े चार घंटों से आधा घंटा ि
जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू दूरदर्शन की प्रसारण अवधि को साढ़े चार घंटों से आधा घंटा किए जाने की अटकलों पर नटरंग निदेशक पदमश्री बलवंत ठाकुर ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जम्मू की भौगोलिक स्थिति एवं सांस्कृतिक समृद्धि को देखते हुए काशीर चैनल की तरह अलग से पूर्णरूपित डुग्गर चैनल की जरूरत है। इसकी वर्षो से मांग भी हो रही है लेकिन प्रसार भारती उलटा जम्मू दूरदर्शन को भी बंद करने पर उतारू है।
उन्होंने वीरवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्राप्त जानकारी अनुसार जम्मू दूरदर्शन का प्रसारण समय आधा घंटा करने की तैयारियां हो रही हैं। दिल्ली में बैठे प्रसार भारती के अधिकारियों को जम्मू स्टेशन का महत्व समझने की जरूरत है। यही एक स्टेशन है, जिसे पाकिस्तान से जारी भारत विरोधी दुष्प्रचार के खिलाफ तरीके प्रयोग किया जा सकता है। इसी स्टेशन से जम्मू संभाग में बोली जाने वाली डोगरी, हिन्दी, पंजाबी, कश्मीरी, पहाड़ी, मीरपुरी और दूसरी कई भाषाओं के कार्यक्रमों का प्रसारण होता है। सैकड़ों कलाकारों को इस स्टेशन से मौका मिलता रहा है। अगर इस स्टेशन की प्रसारण अवधि कम होती है तो सैकड़ों, कलाकार, निर्माता निर्देश और दूसरे लोग प्रभावित होंगे। दिल्ली में बैठे दूरदर्शन के उच्चाधिकारियों को यहां आकर स्थिति का आकलन करना चाहिए। लोगों की बात सुनी जानी चाहिए। जम्मू दूरदर्शन का प्रसारण समय आधा घंटा कर सोची समझी साजिश के तहत डुग्गर संस्कृति को मिटाने का प्रयास हो रहा है। इसे सहन नहीं किया जाएगा। जम्मू के लोगों के हक के लिए कलाकारों को अगर सड़कों पर भी आना पड़ा तो वह पीछे नहीं रहेंगे। कलाकार, साहित्यकार अगर दूसरों के हक की बात करना जानता है, तो उसे अपना हक लेने से कोई नहीं रोक सकता। जम्मू दूरदर्शन उसी तरह चलता रहना चाहिए जिस तरह श्रीनगर दूरदर्शन चल रहा है। काशीर चैनल की तरह ही डुग्गर चैनल शुरू किया जाना चाहिए। बलवंत ठाकुर ने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं स्थानीय लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए जम्मू दूरदर्शन का प्रसारण समय बढ़ाने की जरूरत है। अगर पिछले कुछ वर्षो से कार्यक्रम नहीं हैं, कलाकारों को उनका हक नहीं मिल रहा तो इसके लिए प्रबंधन जिम्मेदार है। इस बात की जांच जरूर होनी चाहिए कि पिछले पांच वर्ष से जम्मू दूरदर्शन की ग्रांट वापिस क्यों जा रही है। अधिकारी कार्यक्रम क्यों नहीं बना पा रहे। इस मौके पर कई वरिष्ठ कलाकार मौजूद थे। सभी ने कहा कि अगर जम्मू दूरदर्शन की समयावधि कम की गई तो उन्हें मजबूरन आंदोलन का रास्ता चुनना पड़ेगा।