बेकार नहीं जाएगी जांबाजों की शहादत, और पुख्ता होगी सैन्य संस्थानों की सुरक्षा
लोगों का कहना था कि हमारे जांबाजों की देश के लिए दी गई शहादत बेकार नहीं जाएगी।जहां भी शहीद का जनाजा उठा, वहीं लोगों ने स्वेच्छा से कारोबार बंद रखे।
By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 14 Feb 2018 10:24 AM (IST)Updated: Wed, 14 Feb 2018 10:24 AM (IST)
v>श्रीनगर, [राज्य ब्यूरो]। उत्तर में एलओसी के साथ सटे मैदानपोरा (कुपवाड़ा) से लेकर दक्षिण में पीरपंचाल की तलहटी में बसे कीवा (कुलगाम) तक मंगलवार को जहां बादल हल्के-हल्के बरस रहे थे, तो वहीं जमीन पर सैकड़ों की तादाद में जमा लोगों की आंखों से आंसू निकल रहे थे। जिसने भी गम में डूबे लोगों की भीड़ देखी, वही हैरान था। क्योंकि यह लोग किसी जिहादी नारों की दुहाई देने वालों से प्रभावित होकर नहीं आए थे, बल्कि यह सब कौम के नाम पर सुंजवां के सैन्य शिविर में आतंकियों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए जवानों को श्रद्धांजलि और उनके जनाजे को कंधा देने की चाहत में आए थे।
न किसी मस्जिद से एलान हुआ था और न किसी ने लोगों को जनाजे में आने या बंद को कामयाब बनाने के लिए कहा था।गौरतलब है कि सुंजवां में आतंकियों से लड़ते हुए कश्मीर के चार सैन्यकर्मी वीरगति को प्राप्त हुए हैं। आतंकियों के हमले में एक शहीद सैन्यकर्मी के पिता की भी मौत हो गई। सुंजवां में शहीद होने वाले सैन्यकर्मियों में उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे मैदानपोरा लोलाब का रहने वाले मोहम्मद अशरफ मीर, बठपोरा कुपवाड़ा के हबीबुल्ला कुरैशी व दक्षिण कश्मीर में कीवा कुलगाम के मंजूर अहमद देवा और आतंकियों की नर्सरी कहलाने वाले त्राल के नगीनपोरा के मोहम्मद इकबाल शामिल हैं। मोहम्मद इकबाल के पिता गुलाम हसन शेख भी आतंकियों की गोली से मारे गए थे।
मौसम खराब होने के कारण इन शहीदों का पार्थिव शरीर दो दिन से कश्मीर नहीं पहुंच पाया था। अलबत्ता, मंगलवार को मौसम साफ होने के साथ ही शहीदों के पार्थिव शरीर हवाई जहाज से जम्मू से श्रीनगर लाए गए। बादामी बाग स्थित सेना की 15वीं कोर के मुख्यालय में जीओसी एके भट्ट समेत वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और जवानों ने शहीदों को पुष्पचक्र व फूलमालाएं भेंट कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके बाद तिरंगे में लिपटे शहीदों के पार्थिव शरीर पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके परिजनों के पास पहुंचाए गए।
वतन के लिए शहीद हुआ बेटा
मैदान पोरा, लोलाब में जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचा, लोगों का सैलाब जनाजे में उमड़ पड़ा। बूढ़े पिता गुलाम मोहिउद्दीन मीर ने पुत्र के जनाजे को कंधा देते हुए कहा कि मेरा बहादुर बेटा वतन के लिए शहीद हुआ है। खुदा उसकी शहादत कबूल करे और कश्मीर में अमन हो ताकि किसी और का बेटा शहीद न हो। मैदानपोरा से कुछ दूरी पर स्थित बटपोरा में भी बड़ी संख्या में लोग शहीद हबीबुल्ला कुरैशी के घर जमा हुए थे। उस समय वहां हल्की बारिश भी हो रही थी। बारिश शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित करने आ रहे लोगों के कदमों को नहीं रोक पाई। शहीद हबीबुल्ला के घर में अब उसकी छह बेटियां और पत्नी के अलावा चार बहनें व बुजुर्ग मां-बाप रह गए हैं। शहीद की पत्नी गर्भवती है। हबीबुल्ला को दोपहर बाद उसके पैतृक कब्रिस्तान में पूरे सैन्य सम्मान के साथ सुपुर्दे खाक किया गया।
कंधा देने काफी संख्या में पहुंचे लोग
उधर दक्षिण कश्मीर में आतंकियों की नर्सरी बने त्राल के नगीनपोरा में जैसे ही शहीद मोहम्मद इकबाल शेख और उनके पिता गुलाम हसन का पार्थिव शरीर पहुंचा, वहां कोहराम मच गया। बीते तीन दिनों से अपने आंसुओं को किसी तरह अपने सीने में दबाए स्थानीय औरतें बिलख कर रो पड़ीं। आस-पास के इलाकों से भी बड़ी संख्या में लोग पिता-पुत्र के जनाजे को कंधा देने पहुंचे थे। वहां मौजूद सुल्तान खान नामक एक बुजुर्ग ने कहा कि इकबाल और उनके पिता दोनों ही बहुत भले इंसान थे। इकबाल की शहादत बेकार नहीं जाएगी। वह कश्मीर में अमन व खुशहाली के दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हुआ है। कीवा कुलगाम का मंजर भी मैदानपोरा लोलाब और नगीनपोरा त्राल के समान ही था। शहीद और सैन्य कर्मी मंजूर अहद देवा को अंतिम विदाई देने पूरा इलाका जमा हुआ था।
और पुख्ता होगी सैन्य संस्थानों की सुरक्षा
विवेक सिंह, जम्मू : सुंजवां सैन्य ब्रिगेड में फिदायीन हमले के बाद राज्य में सैन्य क्षेत्रों की सुरक्षा का नया सिरे से आकलन शुरू हो गया है। सैन्य क्षेत्रों की सुरक्षा आडिट के बाद रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को दी जाएगी ताकि कमियों को दूर किया जाए।उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्री निर्मल सीतारमण ने सेना की उत्तरी व पश्चिमी कमान को निर्देश दिए हैं कि क्षेत्रों के निकट हो रहे निर्माण पर कड़ी नजर रखी जाए। ऐसे निर्माण को राज्य सरकार की नजर में लाया जाए जो सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। यह मुद्दा मुख्यमंत्री से हुई उनकी बैठक में भी उठ चुका है।
राज्य में सैन्य कैंपों पर होने वाले हमलों से समय रहते सुरक्षा के लिए रक्षा मंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जम्मू कश्मीर में आर्मी कैंपों की सुरक्षा को हाई टेक बनाने के लिए आधुनिक उपकरणों, अन्य जरूरतों का लेखा-जोखा तैयार कर इसके बारे में रक्षा मंत्रालय को रिपोर्ट दी जाए।राज्य में सैन्य संस्थानों की सुरक्षा को हाईटेक बनाने की बहुत जरूरत है। सभी फिदायीन हमले रात के अंधेरे में होते हैं। ऐसे में सैन्य क्षेत्रों के पास नाइट विजन डिवाइस, थर्मल इमेजर, इंफिल्ट्रेशन डिटेक्शन यंत्र होना जरूरी हैं। ये यंत्र सीमा, नियंत्रण रेखा पर तो हैं लेकिन बटालियन के संतरी तक इन यंत्रों का पहुंचाना बजट से बाहर है। अब रक्षामंत्री के इस दिशा में कार्रवाई करने के निर्देश मिलने के बाद मंगलवार से सैन्य क्षेत्रों की सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बटालियन स्तर पर सुरक्षा संबंधी जरूरतों का आकलन करने का अभियान शुरू हो गया है।इसके साथ सैन्य शिविरों की दीवारों के साथ लगे पेड़ों की भी छंटाई की जा रही है। इसके साथ कंटीले तारों को घना करने के साथ गेट पर सुरक्षा को और बेहतर बनाया जा रहा है।
सुंजवां ब्रिगेड में हमले के कारण खोजने की मुहिम में कई मानवीय खामियां उजागर हुई हैं। ब्रिगेड की दीवार से सटे भवनों से अंदर दूर तक देखा जा सकता है। इसके साथ ब्रिगेड की दीवार से जुड़े घरों से अंदर कूदना भी आसान है।ऐसे में सोमवार को रक्षामंत्री ने माना था कि सुंजवां ब्रिगेड के साथ सटे घर सुरक्षा की दृष्टि से एक समस्या हैं। उन्होंने कहा था कि प्रशासन की अनुमति लेकर किए गए इस निर्माण को हटाना संभव नही है। इस समस्या का समाधान तलाशने की कोशिशें हो रही हैं।सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जागरण को बताया कि भविष्य की जरूरतों, आतंकवादियों की रणनीति में हो रहे बदलाव के मद्देनजर अब ऐसे बंदोबस्त चाहिए जिससे आतंकवादी सैन्य क्षेत्र के पास ही न आ सकें। यह आधुनिक यंत्रों से संभव है।
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