Jammu News: 70 साल बाद मां शारदा के मंदिर में गूंजी घंटियां, पंडित बोले - करतारपुर की तर्ज पर बने कारीडोर
सेव शारदा समिति के संस्थापक रविंद्र पंडिता ने बताया कि सोने की परत चढ़ी पंचधातु की मूर्ति 20 मार्च को टिटवाल में नवनिर्मित मां शारदा मंदिर में पहुंची थी। शृंगेरी से रथ यात्रा 24 जनवरी 2023 को शुरू हुई थी।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। भारत-पाक नियंत्रण रेखा (एलओसी) से करीब 500 मीटर पहले कुपवाड़ा जिले के टिटवाल में पुनर्निमित भव्य मंदिर में बुधवार को करीब 70 साल बाद मां शारदा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही पूरा क्षेत्र जयकारों व घंटियों से गूंज उठा। यह मंदिर नियंत्रण रेखा के पार गुलाम जम्मू कश्मीर के मुजफ्फराबाद में शारदा कस्बे के बाहर पहाड़ी पर बने माता शारदा के पौराणिक मंदिर (शारदा पीठ) के ठीक सामने है। अब हिंदुआं की पुराने दिनों की यादें ताजा होने के साथ ही जल्द शारदा पीठ यात्रा करने की उम्मीद भी बढ़ गई है।
टिटवाल में किशनगंगा नदी के किनारे स्थित मंदिर में पंचधातु से निर्मित माता शारदा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होना अपनेआप में ऐतिहासिक एवं सुखद है। वैदिक मंत्रोचारण के बीच बुधवार सुबह टिटवाल के सरपंच अब्दुल रशीद खोखर ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह का शुभारंभ किया। दिनभर पूजा-अर्चना हुई। करीब 300 भक्तों ने मां के दर्शन कर सुख, शांति अैर शारदा पीठ जाने के सपने को जल्द साकार करने की प्रार्थना की। कश्मीरी हिंदुओं के साथ कर्नाटक से भी करीब 150 श्रद्धालु पहुंचे थे।
भक्तों ने मां के मंदिर के पुनर्निर्माण की खुशियां नाच-गाकर मनाई। मां की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा चैत्र मास प्रतिपदा, गुरु तृतीया व नवरेह के दिन हुई। इसके साथ हिंदुओं का नववर्ष शुरू हो गया। गुरु तृतीया बहुत मायने रखती है। प्राचीन काल में इसी दिन शारदा पीठ में वार्षिक दीक्षा समारोह हुआ करता था।माता शारदा का मूर्ति को कर्नाटक के शृंगेरी पीठ से लाया गया है। शृंगेरी पीठ से टिटवाल तक माता की रथ यात्रा करीब दो माह की रही। यह यात्रा अपने धार्मिक उद्देश्य में पूरी तरह से सफल रही।
सेव शारदा समिति के संस्थापक रविंद्र पंडिता ने बताया कि सोने की परत चढ़ी पंचधातु की मूर्ति 20 मार्च को टिटवाल में नवनिर्मित मां शारदा मंदिर में पहुंची थी। शृंगेरी से रथ यात्रा 24 जनवरी, 2023 को शुरू हुई थी। मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, जयपुर, दिल्ली-एनसीआर, चंडीगढ़ और अमृतसर होते हुए यह यात्रा 17 फरवरी को जम्मू पहुंची थी। मां शारदा के 23 फरवरी तक जम्मू में विश्राम के बाद यात्रा 24 फरवरी की सुबह कश्मीर के लिए प्रस्थान हुई थी।
2021 में मुस्लिम समुदाय ने सौंपी थी जमीनरविंद्र पंडिता ने बताया कि वर्ष 1947 में विभाजन के बाद कबायलियों ने यहां प्राचीन शारदा पीठ मंदिर, इसके परिसर और गुरुद्वारे को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। टिटवाल में तभी से यह जमीन वीरान पड़ी थी। मुसलमान समुदाय ने इस जमीन के टुकड़े को ज्यों का त्यों अपने पास रखा था। वर्ष 2021 में समुदाय ने यह जमीन कश्मीरी हिंदुओं को सौंप दी थी। दिसंबर, 2022 में हमने टिटवाल में मंदिर के साथ ही एक गुरुद्वारा तैयार कर स्थानीय सिख संगत को सौंपा है। मूति की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने भी मंदिर में माथा टेका।
अब शारदा पीठ कारीडोर का लक्ष्य
पंडितारविंद्र पंडिता ने कहा कि टिटवाल में मंदिर के निमार्ण से हमने एक लक्ष्य हासिल किया है, अभी शारदा पीठ में मुख्य लक्ष्य को हासिल करना बाकी है। सेव शारदा पीठ अब करतारपुर की तर्ज पर शारदा पीठ कारीडोर बनाकर यात्रा शुरू करने के लिए अभियान चलाएगा। सरकार द्वारा यह मांग पूरी न करने पर माता के भक्त एलओसी मार्च करने से भी पीछे नही हटेंगे। यह हमारा प्रण है कि हम शारदा पीठ को फिर से ज्ञान का प्रमुख केंद्र बनाएं। हम हर हाल में इस लक्ष्य को हासिल करके रहेंगे।
करतारपुर की तर्ज पर शारदा पीठ कारीडोर न बना तो करेंगे एलओसी मार्च
सेव शारदा समिति अब करतारपुर की तर्ज पर गुलाम जम्मू कश्मीर के मुजफ्फरबाद में शारदा पीठ कारीडोर बनाकर यात्रा शुरू करने के लिए अभियान चलाएगा। सरकार द्वारा यह मांग पूरी न करने की स्थिति में मां के भक्त एलओसी मार्च करने से भी पीछे नही हटेंगे। यह हमारा प्रण है कि हम शारदा पीठ को फिर से ज्ञान प्रमुख केंद्र बनाएं। टिटवाल में मंदिर के निर्माण से हमने एक लक्ष्य हासिल किया है। अभी शारदा पीठ के मुख्य लक्ष्य को हासिल करना बाकी है।
सेव शारदा समिति के संस्थापक रविंद्र पंडिता ने बताया कि केंद्र सरकार के लिए शारदा पीठ यात्रा करना मुश्किल नहीं है। दोनों देशों के बीच वर्ष 2007 में क्रास एलओसी बस सेवा शुरू करने को लेकर समझौता हुआ था। इस बस सेवा में सिर्फ वहीं लोग पार जा सकते थे, जिनके रिश्तेदार वहां पर रहते हैं। इस समझौते में संशोधन कर कश्मीरी हिंदुओं को शारदा माता यात्रा करने की इजातज मिलनी चाहिए। इससे क्रास एलओसी पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। ऐसा तभी संभव होगा जब केंद्र सरकार यह मुद्दा पाकिस्तान से उठाएगी। इसे फिलहाल नजरअंदाज किया जा रहा है।
पंडिता ने कहा कि हम गुलाम जम्मू कश्मीर में शारदा पीठ जाकर रहेंगे। इसके लिए हम पिछले 20 वर्ष से संघर्ष कर रहे हैं। पहले चरण में कश्मीरी हिंदुओं को शारदा पीठ यात्रा पर जाने की इजाजत मिलनी चाहिए। इसके बाद यह व्यवस्था देश के अन्य हिस्सों से आने वाले मां शारदा के भक्तों के लिए भी लागू हो सकती है। दोनों देशों को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। 1947 में कबायलियों ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया था। आज यह मंदिर गुलाम जम्मू कश्मीर में हैं और दयनीय स्थिति में है। शारदा पीठ नीलम नदी के तट पर स्थित शारदा गांव में स्थित है। यह शिक्षा का एक बड़ा केंद्र रहा है। इसे फिर से शिक्षा का एक बड़ा केंद्र बनाना है।