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Amarnath Yatra 2022 : शिवभक्तों की सेवा से घोड़ेवालों के घरों में बिखरी खुशियां, कहा- दूर हुई रोजी-रोटी की चिंता

पवित्र गुफा तक की यात्रा कराने वाले घोड़ा मालिक अब्दुल कदीर रैना कहते हैं कि मुझे खुशी है कि इस बार अमरनाथजी की यात्रा बहाल हो गई। मुझे इस बात की भी खुशी है कि इस बार इस यात्रा में छह से आठ लाख तक श्रद्धालु हिस्सा ले सकते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 07:42 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 07:42 AM (IST)
Amarnath Yatra 2022 : शिवभक्तों की सेवा से घोड़ेवालों के घरों में बिखरी खुशियां, कहा- दूर हुई रोजी-रोटी की चिंता
मैं पर्यटन सीजन में उतना नहीं कमा पाता, जितना कि अमरनाथ यात्रा के दौरान कमाता हूं।

श्रीनगर, रजिया नूर : दो वर्ष बाद शुरू हुई श्री अमरनाथ जी की तीर्थयात्रा से जितना उत्साह श्रद्धालुओं में है, उससे कहीं अधिक खुशी बालटाल और पहलगाम यात्रा मार्ग पर घोड़े और पौनी वालों के घरों में है। आज वह इतने खुश हैं कि खुदा से दुआ करते हैं कि अमरनाथ तीर्थयात्रा हर बार फले-फूले। ये घोड़े वाले श्रद्धालुओं को बाबा बर्फानी के दर्शन कराने के लिए पवित्र गुफा तक ले जाने और वापस लाने का काम करते हैं। इससे होने वाली कमाई से ही उनके घरों में चूल्हा जलता है।

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भगवान अमरेश्वर (बाबा बर्फानी) की पवित्र गुफा दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले में समुद्र तल से 13 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित है। पवित्र गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। पहला रास्ता मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के बालटाल से शुरू होता है तो दूसरा अनंतनाग जिले के पहलगाम से। दोनों रास्ते दुर्गम पहाड़ों से होकर गुजरते हैं।

पहाड़ों की चढ़ाई थकान भरी है। इसीलिए श्रद्धालुओं की यात्रा सुगम बनाने के लिए स्थानीय घोड़े व पौनी वाले सेवा में तैयार रहते हैं। अधिकांश घोड़े वाले आसपास के गांव के ही होते हैं। बालटाल मार्ग पर अधिकांश घोड़े वाले गांदरबल जिले के हांग, गगनगीर, गुंड, चेरवन, हारीगनिवन, कुलन व वांगत गांव से हैं। इन गांवों से 370 घोड़े वालों की कमाई का एक मात्र साधन टूरिस्ट सीजन व अमरनाथ यात्रा है।

दोमेल (बालटाल मार्ग) से श्रद्धालुओं को पवित्र गुफा तक की यात्रा कराने वाले घोड़ा मालिक अब्दुल कदीर रैना कहते हैं कि मुझे खुशी है कि इस बार अमरनाथजी की यात्रा बहाल हो गई है। इससे भी ज्यादा मुझे इस बात की खुशी है कि इस बार इस यात्रा में छह से आठ लाख तक श्रद्धालु हिस्सा ले सकते हैं। इतनी बड़ी उम्मीद का मतलब हमारे रोजगार का बढिय़ा मौका। उन्होंने कहा, मैं पेशे से घोड़े वाला हूं। सोनमर्ग में पर्यटकों को घोड़े की सवारी कराकर घर-परिवार का खर्च चलाता हूं। वह कहते हैं, मैं पर्यटन सीजन में उतना नहीं कमा पाता, जितना कि अमरनाथ यात्रा के दौरान कमाता हूं।

टारगेट किलिंग ने उड़ा दी थी घोड़े वालों की नींद : अब्दुल कदीर रैना ने कहा कि कोरोना के चलते 2020 व 2021 में अमरनाथ यात्रा के न हो पाने से हम घोड़े वाले भूखमरी की कगार पर पहुंच गए थे। बीते दिनों आतंकियों द्वार की जाने वाली टारगेट किलिंग ने हम लोगों के होश उड़ा दिए थे। हमें लगा कि ऐसे हालात में शायद इस बार भी अमरनाथ यात्रा न हो। चिंता के मारे हम रात को ठीक से सो भी नहीं पाते थे। लेकिन, शुक्र है प्रशासन ने सबकुछ संभाल लिया।

घोड़े वालों के लिए वरदान है अमरनाथ यात्रा : श्रद्धालुओं को अपने घोड़े पर पवित्र गुफा की तरफ ले जा रहे मोहम्मद अनवर खटाना भी आज बहुत खुश हैं। बीते दो साल हमने कैसे गुजारे, यह हम ही जानते हैं। हम यहां आने वाले मेहमानों चाहे वह टूरिस्ट हों या अमरनाथ श्रद्धालु, की सेवा कर अपनी रोजी रोटी जुटाते हैं। यह पवित्र यात्रा हमारी कमाई का एक बड़ा साधन है। यह यात्रा हमारे लिए वरदान हैं। यात्रा होगी तो हमारा घर का चूल्हा जलता रहेगा। करीब डेढ़ महीने की यात्रा में हम इतना जुटा लेते हैं कि सर्दी के तीन-चार माह की चिंता दूर हो जाती है। 


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