जम्मू-कश्मीर में सलाहकार परिषद के गठन पर बोले बुखारी, कहा- उचित समय पर बताऊंगा
बुखारी के अलावा पार्टी के एक अन्य नेता ने भी नाम न छापने की शर्त पर कहा कि “मैं न तो इसकी पुष्टि करूंगा और न ही इससे इंकार करूंगा। अटकलें सच भी हो सकती हैं।
श्रीनगर, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी (JKAP) के नेतृत्व प्रदेश में गठित होने वाली सलाहकार परिषद की अटकलों पर कोई स्पष्ट जवाब न देते हुए पार्टी अध्यक्ष मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने बुधवार को कहा कि वह इस मुद्दे पर उचित समय पर बात करेंगे। उन्होंने न तो इस बात को झुठलाया और न ही इसकी पुष्टि की। उन्होंने बस इतना कहा कि मैं इस मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। मैं बोलूंगा लेकिन उचित समय पर।
बुखारी के अलावा पार्टी के एक अन्य नेता ने भी नाम न छापने की शर्त पर कहा कि “मैं न तो इसकी पुष्टि करूंगा और न ही इससे इंकार करूंगा। अटकलें सच भी हो सकती हैं। दरअसल ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में बेहतर होते हालात के बीच केंद्र सरकार जून में अल्ताफ बुखारी की अध्यक्षता में बने नए राजनीतिक मोर्चे के नेतृत्व में एक सलाहकार परिषद का गठन कर रहा है। यह मुद्दा इसलिए भी तूल पकड़ गया है क्योंकि नई दिल्ली में डेरा डाले बुखारी हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मिले थे।
आपको बता दें कि अनुच्छेद 370 हटने और जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले ही जम्मू-कश्मीर में भाजपा को छोड़ अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था। सितंबर में राजनीतिज्ञों को छोड़ने का सिलसिला शुरू हुआ। नजरबंदी से रिहा होने के बाद अल्ताफ बुखारी ने पीडीपी से अलग होकर अलग राजनीतिक दल जममू-कश्मीर अपनी पार्टी का गठन किया और इसमें अन्य दलों के कई प्रमुख नेता भी शामिल हुए। इसी साल मार्च में बुखारी के नेतृत्व में जेकेएपी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात भी की।
अब ऐसा माना जा रहा है कि अल्ताफ बुखारी केंद्र सरकार के सहयोग से जम्मू-कश्मीर में सलाहकार परिषद का गठन करने जा रहे हैं। यही नहीं उस्मान माजिद, विजय बकाया, सुनील शर्मा, सुनील सेठी और चौधरी जुल्फिकार सलाहकार परिषद का हिस्सा होंगे, ऐसा अनुमान भी लगाया जा रहा है। उमर अब्दुल्ला के दिल्ली रवाना होने पर परिषद के साथ नेकां का नाम भी जोड़ा जा रहा था परंतु गत मंगलवार को डाॅ फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने इन अटकलों को सिरे से नकारते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि जब तक घाटी में एक भी नेता हिरासत में है, उनकी पार्टी किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं लेगी।
कुछ समाचार एजेंसियों ने लोक सभा के पूर्व महासचिव पी.डी.टी. आचार्य के बयान का हवाला देते हुए यह भी कहा है कि “यूटी में गठित सलाहकार परिषद का काम लेफ्टिनेंट गवर्नर प्रशासन को दिन-प्रतिदिन के कामकाज में मदद करना होता है। फैसला लेने का अधिकार एलजी का होता है। यही नहीं सलाहकार परिषद के प्रमुख को मुख्यमंत्री के बराबर के अधिकार भी नहीं होते। जहां तक की वह अपना कोई कानून भी नहीं बना सकती। संविधान केवल एलजी के माध्यम से राष्ट्रपति को केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन करने की अनुमति देता है। उनके अलावा केवल संसद को ही केंद्र शासित प्रदेश में कानून बनाने का अधिकार है।
यहां यह भी बताना जरूरी है कि बुखारी के नेतृत्व में इसी साल मार्च में बनाई गई जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी का मुख्य एजेंडा राज्य का दर्जा फिर बहाल करना है। बुखारी पूर्ववर्ती पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में शिक्षा और वित्त विभागों को संभाल चुके हैं। बुखारी को जनवरी 2019 में पीडीपी से निष्कासित कर दिया गया था।