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अनंतनाग में मारे गए तीनों खूंखार आतंकी आइएसआइएस से जुड़े थे, इन पर लाखों का था ईनाम

कश्मीर घाटी में धीरे-धीरे अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रहे खूंखार आतंकी संगठन आइएसआइएस को सुरक्षाबलों ने एक बड़ा झटका दिया।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 13 Mar 2018 11:01 AM (IST)Updated: Tue, 13 Mar 2018 01:26 PM (IST)
अनंतनाग में मारे गए तीनों खूंखार आतंकी आइएसआइएस से जुड़े थे,  इन पर लाखों का था ईनाम
अनंतनाग में मारे गए तीनों खूंखार आतंकी आइएसआइएस से जुड़े थे, इन पर लाखों का था ईनाम

श्रीनगर, नवीन नवाज।कश्मीर घाटी में धीरे-धीरे अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रहे खूंखार आतंकी संगठन आइएसआइएस को सुरक्षाबलों ने एक बड़ा झटका दिया। दक्षिण कश्मीर के हकूरा (अनंतनाग) में सोमवार तड़के एक मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने आइएसआइएस से जुड़े हैदराबादी आतंकी अबु जरार अल हिंदी को उसके दो कश्मीरी साथियों ईसा फाजली उर्फ ईसा रूहैला खतीब अल कश्मीरी और सईद उवैस उर्फ अबु बारा अल कश्मीरी संग मार गिराया।

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आइएसआइएस से जुड़े इन तीन आतंकियों का मारा जाना सुरक्षाबलों के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।बताया जा रहा है कि आतंकी ईसा फाजली का संबंध तहरीकुल मुजाहिदीन से था, लेकिन पिछले वर्ष उसने आइएसआइएस के साथ नाता जोड़ते हुए उसके प्रति वफादारी की बात कही थी। श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र अहमदनगर सौरा का रहने वाला ईसा फाजली 17 अगस्त 2017 को आतंकी बना था। ईसा और सईद उवैस बाबा गुलाम शाह बडशाह यूनिवर्सिटी (राजौरी) में बीटेक के छात्र थे।पुलिस ने अभी तक ईसा, उवैस व अबु जरार के आइएसआइएस से जुड़े होने की पुष्टि नहीं की है, लेकिन ईसा फाजली के घर आइएसआइएस के कलमा लिखे काले झंडे की मौजूदगी ने सारी स्थिति स्पष्ट कर दी है।

आतंकी अबु जरार अल हिंदी तीन से चार माह पहले ही कश्मीर में आया था। हालांकि कुछ लोगों के मुताबिक, वह हैदराबाद (पाकिस्तान) का रहने वाला है, लेकिन आइएसआइएस की गतिविधियों पर नजर रखने वालों के मुताबिक, हिंदोस्तान के विभिन्न हिस्सों से अपने संगठन में शामिल होने वाले युवकों के नाम के पीछे आइएसआइएस द्वारा अल हिंदी जोड़ा जाता है। वह आंध्र प्रदेश के हैदराबाद का रहने वाला भी हो सकता है, जबकि एक अन्य जानकारी के मुताबिक वह पूर्वी भारत का था। अलबत्ता, पुलिस ने उसकी नागरिकता को लेकर किसी भी तरह की जानकारी से इन्कार करते हुए कहा कि वह विदेशी हो सकता है।

इस बीच, एसएसपी अनंतनाग अल्ताफ खान ने बताया कि रविवार देर रात सूचना मिली थी कि हकूरा (अनंतनाग) में तीन आतंकी एक मकान में छिपे हुए हैं। हमने सेना और सीआरपीएफ के साथ गांव में कासो (घेराबंदी एंव तलाशी) चलाया। यह अभियान आधी रात के बाद करीब साढ़े बारह बजे शुरू हुआ। उन्होंने बताया कि संदिग्ध मकान को चारों तरफ से घेरते हुए जवानों ने एहतियात के तौर पर पहले हवा में गोलियां चलाई। इसपर आतंकियों ने जवाब में गोली चलाई और उन्होंने घेराबंदी तोड़ भागने का प्रयास किया, लेकिन नाकाम रहे। इसके बाद शुरू हुई मुठभेड़ में तीनों मारे गए।

आतंकियों के जनाजे में मूसा के नारे और आइएसआइएस के झंडे :

आतंकी ईसा फाजली को श्रीनगर में उसके घर के पास स्थित कब्रिस्तान में और उवैस को वोईलू कोकरनाग स्थित उसके गांव में दफनाया गया। दोनों आतंकियों के जनाजे में सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में आइएसआइएस के झंडे लिए युवकों ने मूसा-मूसा जाकिर मूसा के नारे लगाए। इस दौरान राष्ट्रविरोध नारे भी लगे। बताया जा रहा है कि उवैस व ईसा के जनाजे में आतंकी भी शामील हुए, लेकिन इस तथ्य की पुष्टि नहीं हुई।

आतंकी के पिता ने कहा, कोई सुरक्षाबलों पर पथराव न करे :

आतंकी ईसा फाजली के पिता कॉलेज लेक्चरर नईम फाजली के लिए सोमवार का दिन बहुत भारी रहा। उन्होंने अपने पुत्र को वापस मुख्यधारा में लौटने की कई बार सोशल मीडिया के माध्यम से अपील की थी, लेकिन वह नहीं माना। ईसा की मौत की लोगों तक जानकारी पहुंचाने में भी नईम फाजली ने ट्वीटर का सहारा लिया। उन्होंने तड़के ही ट्वीट किया और लिखा, कुछ सूचनाओं के मुताबिक हाकूरा मुठभेड़ में मेरा बेटा ईसा मारा गया है। खुदा उसकी रुह को सुकून दे। उन्होंने ईसा के जनाजे में शामिल होने सैकड़ों की तादाद में आए लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सभी शांति बनाए रखें। कोई भड़काऊ नारा नहीं होना चाहिए और न कोई हिंसा करे। सुरक्षाबलों पर कोई पथराव नहीं होना चाहिए। मेरे बेटे की ख्वाहिश थी कि मैं ही उसकी नमाज ए जनाजा पढूं, मैं उसकी इस अंतिम इच्छा को भी पूरा कर रहा हूं।

ईसा पर था पांच लाख का ईनाम:

आतंकी ईसा फाजली को राज्य पुलिस कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की सी-श्रेणी की सूची में रखा हुआ था। उसके जिंदा अथवा मुर्दा पकड़े जाने पर पांच लाख का ईनाम था।

हुर्रियत नेता के अंगरक्षक की हत्या में था शामिल:

25 फरवरी को सौरा इलाके में हुर्रियत नेता फजल हक कुरैशी की आतंकियों ने हत्या का प्रयास किया था। कुरैशी बच गए और उनका अंगरक्षक कांस्टेबल फारूक अहमद यत्तु मारा गया। आतंकी उसकी राइफल भी छीन ले गए थे। पुलिस के अनुसार, कुरैशी के घर हमला करने आए आतंकियों में फाजली भी था। हमले की जिम्मेदारी पहले तहरीक उल मुजाहिदीन ने ली। उसके साथ आइएसआइएस ने अपनी बेवसाइट अमाक पर हमले में अपना हाथ होने का दावा किया था।


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