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कश्मीर के ग्रामीणों का दर्द नहीं मिटने दे रहे दहशतगर्द, प्रशासन के लिए कार्यक्रम को चलाना बना चुनौती

आतंकियों की धमकियों को दरकिनार कर लोग कार्यक्रमों में पहुंच कर अपने क्षेत्रों में बिजली पानी स्वास्थ्य शिक्षा सड़कों जैसी मूल सुविधाएं न होने का दर्द अधिकारियों को सुना रहे हैं

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 11:24 AM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 11:28 AM (IST)
कश्मीर के ग्रामीणों का दर्द नहीं मिटने दे रहे दहशतगर्द, प्रशासन के लिए कार्यक्रम को चलाना बना चुनौती
कश्मीर के ग्रामीणों का दर्द नहीं मिटने दे रहे दहशतगर्द, प्रशासन के लिए कार्यक्रम को चलाना बना चुनौती

जम्मू, राज्य ब्यूरो। नए जम्मू कश्मीर में प्रशासन कश्मीर के लोगों का दर्द दूर करने और आतंकियों के अंत करने का प्रयास कर रहा है। कश्मीर के हालात में लगातार सुधार हो रहा है, लेकिन यह आतंकियों को रास नहीं आ रहा है। आतंकी अब प्रशासन के महत्वाकांक्षी 'गांव की ओर' कार्यक्रम को विफल बनाने की साजिश में हैं। अनंतनाग जिले में आतंकियों ने हमला कर सरपंच और एक अधिकारी की हत्या कर दी। ऐसे में 'गांव की ओर' कार्यक्रम को आतंकवाद ग्रस्त क्षेत्रों में चलाना पुलिस व प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है।

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वर्तमान में जम्मू-कश्मीर की चार हजार से अधिक पंचायतों में 'गांव की ओर-2' कार्यक्रम चल रहा है। ग्रामीणों की समस्याओं को हल करने के लिए पांच हजार अधिकारी गांव की डगर पर हैं। मुख्य सचिव से लेकर उपराज्यपाल के सलाहकार, विभिन्न विभागों के प्रशासनिक सचिव, डिप्टी कमिश्नर स्वयं ग्रामीणों से मिल रहे हैं।

आतंकियों की धमकियों को दरकिनार कर लोग कार्यक्रमों में पहुंच कर अपने क्षेत्रों में बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़कों जैसी मूल सुविधाएं न होने का दर्द अधिकारियों को सुना रहे हैं। ग्रामीणों को 'गांव की ओर' से काफी उम्मीदें हैं। आतंकी भी यह सब देख रहे हैं।आतंकियों और अलगाववादियों को यह पता है कि अगर वर्षो से उपेक्षित ग्रामीण क्षेत्रों में विकास ने रफ्तार पकड़ ली तो उनके मंसूबे विफल हो जाएंगे। इसी के कारण उन्होंने अब 'गांव की ओर' कार्यक्रम को निशाना बनाया, ताकि ग्रामीणों में दहशत फैले।

दक्षिण कश्मीर के शोपियां, पुलवामा अनंतनाग और कुलागाम सबसे अधिक आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र हैं। हालांकि यहां पर सुरक्षाबल भी तैनात हैं, मगर मंगलवार को हुए हमले के बाद यहां सभी को सुरक्षा देना प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है। हालांकि प्रशासन ने पहले दावा किया था कि शरारती तत्वों के मंसूबों को नाकाम बनाने के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।

पहले भी पंच-सरपंचों को बनाया निशाना

ऑल जम्मू कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस के चेयरमैन शफीक मीर ने कहा कि पहले भी आतंकियों ने पंच-सरंपचों को निशाना बनाया है, लेकिन प्रशासन उन्हें सुरक्षा देने में विफल रहा। अगर अब भी सुरक्षा उपलब्ध नहीं करवाई तो 'गांव की ओर' कार्यक्रम विशेषकर आतंकवाद ग्रस्त क्षेत्रों में करवाना मुश्किल होगा।

बख्शे नहीं जाएंगे आतंकी

इस घटना में शामिल आतंकवादियों को बख्शा नहीं जाएगा। आतंकियों ने यह घटना कश्मीर में 'गांव की ओर' को विफल बनाने के लिए की है। कार्यक्रम लोगों की समस्याओं को दूर करने और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को गति देने के लिए है। इसमें पहले दिन से ही कड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। आतंकियों की यह वारदात इस कार्यक्रम को विफल नहीं बना सकती। यह पूरे कश्मीर में पहले की तरह ही चलता रहेगा। - बसीर अहमद खान, मंडलायुक्त कश्मीर


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