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Jammu Kashmir: 700 साल बाद फिर ‘जिंदा’ हुई कोटा रानी, महबूबा से की गई तुलना

22 मई 1959 को अखरन नौपुरा अनंतनाग में मुफ्ती मोहम्मद सईद के घर महबूबा का जन्म हुआ। उन्होंने 1984 में जावेद इकबाल से विवाह किया लेकिन यह विवाह ज्यादा देर तक नहीं चला।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 12:41 PM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 12:41 PM (IST)
Jammu Kashmir: 700 साल बाद फिर ‘जिंदा’ हुई कोटा रानी, महबूबा से की गई तुलना

श्रीनगर, नवीन नवाज। सात सौ साल बाद कश्मीर की अंतिम हिंदू रानी-कोटा रानी, फिर से चर्चा में है। इतिहास ने उन्हें भुला दिया, लेकिन जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत बंदी बनाने के लिए दिए डोजियर में फिर से उनकी याद दिला दी है। इस डोजियर में महबूबा की तुलना कोटा रानी से की गई है। हालांकि यह तुलना ज्यादातर लोगों को रास नहीं आ रही है।

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कोटा रानी को साम, दाम, दंड-भेद और कूटनीति का माहिर माना जाता था। वह अपने पिता को बहुत प्रिय थी और उसने अपनी संस्कृति को जिंदा रखने के लिए पिता के कातिल से विवाह करने से भी गुरेज नहीं किया। उन्होंने दो शादियां कीं। हालांकि कुछ इतिहासकारों का मत है कि उन्होंने तीसरी शादी भी कर ली थी, लेकिन शादी की रात ही पेट में खंजर घोंप आत्महत्या कर ली थी।

कश्मीर के वरिष्ठ साहित्यकार हसरत गड्डा के मुताबिक कोटा रानी चालाक, महत्वाकांक्षी व राजनीतिक रूप से परिपक्व महिला थी। वह जंग के मैदान से राजमहल के षड्यंत्रों को रचने व उन्हें नाकाम बनाने के खेल में माहिर थी। वहीं इतिहासकार और जम्मू कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ प्रो. हरि ओम इस तुलना से खफा हैं। उन्होंने कहा आप महबूबा की तुलना कोटा रानी से नहीं कर सकते। कोटा रानी ने जो भी कदम उठाया, कश्मीर के शासन को दुश्मनों के हाथ जाने से रोकने के लिए उठाया। अगर सत्ता ही उनका मकसद होता तो वह आत्महत्या के बजाय शाहमीर की रानी बन जाती। महबूबा की सियासत कुर्सी के लिए है। अगर उन्हें यहां के हितों से सरोकार होता तो वह जिहादी तत्वों का साथ नहीं देतीं। कोटा रानी पर टिप्पणी से पूर्व हमें उस समय के हालात को समझना होगा।

यह है डोजियर मेंः महबूबा मुफ्ती को राज्य प्रशासन के डोजियर में षड्यंत्रकारी व्यक्तित्व का मालिक बताया गया है। इसमें कहा गया है कि आम लोग महबूबा के व्यक्तित्व, उसकी कपटता और खतरनाक इरादों का जिक्र करते हुए उसे ‘डैडिज गर्ल’ (पिता की लाडली बेटी) और कोटा रानी कहते हैं। डोजियर में महबूबा द्वारा प्रतिबंधित संगठन जमात ए इस्लामी के समर्थन, अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 पर दिए गए राष्ट्रविरोधी व सांप्रदायिक भाषणों पर उनकी भड़काऊ बयानबाजी का भी जिक्र है।

यह है महबूबा मुफ्ती का सफर : 22 मई 1959 को अखरन नौपुरा अनंतनाग में मुफ्ती मोहम्मद सईद के घर महबूबा का जन्म हुआ। उन्होंने 1984 में जावेद इकबाल से विवाह किया, लेकिन यह विवाह ज्यादा देर तक नहीं चला। उनकी दो बेटियां इल्तिजा और इरतिका हैं। महबूबा ने 1996 में राजनीतिक सफर पिता की निगरानी में कांग्रेस के साथ शुरू किया। कांग्रेस छोड़ उन्होंने पिता के साथ पीडीपी का गठन किया। महबूबा ने कश्मीर में सुरक्षाबलों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी कर अपना जनाधार मजबूत किया। वर्ष 2004 में महबूबा सांसद चुनी गईं। जनवरी 2016 में पिता की मौत के बाद भाजपा के साथ गठबंधन सरकार की कमान संभाली। जून 2018 में गठबंधन टूट गया ।


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