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Noise Pollution in Jammu: ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहन चालकों पर अब होगी कार्रवाई

पुलिस मुख्यालय में तैनात असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस मुबशर लतीफी का कहना है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय इस उपकरण को खरीद रहा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 03:59 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 03:59 PM (IST)
Noise Pollution in Jammu: ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहन चालकों पर अब होगी कार्रवाई
Noise Pollution in Jammu: ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहन चालकों पर अब होगी कार्रवाई

जम्मू, दिनेश महाजन। ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहन चालक अब कानून के डंडे से बच नहीं पाएंगे। जम्मू कश्मीर पुलिस की ट्रैफिक ¨वग के जवान नाकों पर अपने हाथ में वाहनों से निकलने वाले ध्वनि की जांच करने वाले यंत्रों से लैस होंगे। पुलिस मुख्यालय नाइस पाल्युशन डिवाइस खरीदने जा रही है। उन उपकरणों की खरीद के लिए जम्मू कश्मीर पुलिस ने टेंडर जारी कर दिए हैं। पुलिस पहले चरण में 60 डिवाइस खरीदेगी। यदि सब ठीक रहा तो दूसरे चरण में और डिवाइस खरीदे जाएंगे। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर संभाग में तैनात जवानों को अलग-अलग डिवाइस उपकरण करवाएं जाएंगे। पाल्युशन डिवाइस खरीदने के बाद जवानों को उनके संचालन के बारे में जानकारी दी जाएगी। जिस वाहन में ध्वनि तय मात्र से अधिक पाई जाएगी, उसके चालक के विरुद्ध मोटर वाहन संशोधित कानून 2019 के तहत कार्रवाई की जाएगी।

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जीपीएस युक्त होंगे डिवाइस: जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा खरीदे जाने वाले पाल्युशन डिवाइस खरीदने जीपीएस युक्त होंगे। इस डिवाइस की मदद से सड़क पर दौड़ रहे वाहन से निकलने वाली ध्वनि को मापा जा सकेगा। वाहन से 45 डेसिबल से अधिक ध्वनि नहीं निकलनी चाहिए। 100 डेसिबल की आवाज को 15 मिनट तक लगातार सुनने से आपके कान हमेशा के लिए खराब हो सकते हैं।

एनजीटी के निर्देश पर खरीदे जा रहे उपकरणः पुलिस मुख्यालय में तैनात असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस मुबशर लतीफी का कहना है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय इस उपकरण को खरीद रहा है। यह उपकरण नाकों पर तैनात होने वाले ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को सौंपी जाएंगी। इस उपकरण की मदद से मौके पर ही पता चल पाएगा कि किस वाहन से कितनी ध्वनि निकलती है।

तेज ध्वनि से हो सकती है घातक बीमारीः विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 35 डेसिबल से ज्यादा शोर नहीं होना चाहिए। दिन का शोर भी 45 डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए। उच्च स्तरीय ध्वनि प्रदूषण के कारण इंसान में कई प्रकार के आचार व्यवहार संबंधी परिवर्तन हो जाते हैं। ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों में न्यूरोटिक मेंटल डिस ऑर्डर हो जाता है। मांसपेशियों में तनाव तथा ¨खचाव की शिकायत भी आम है। इसको लेकर अक्सर शिकायतें भी की जाती रही हैं। अब जाकर पुलिस इस दिशा में कुछ करने जा रही है।


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