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छात्रवृत्ति घोटाले में सीईओ पर एसीबी का शिकंजा, जनजातीय मामलों के तत्कालीन निदेशक पर भी मामला दर्ज

राजीव रंजन द्वारा 2016-17 में कुपवाड़ा के डीसी रहते जारी करीब 30 हजार आर्म्स लाइसेंस के धारकों को सीबीआइ की स्पेशल सेल नोटिस जारी करेगी और उनका दोबारा सत्यापन होगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 05 Mar 2020 03:47 PM (IST)Updated: Thu, 05 Mar 2020 03:47 PM (IST)
छात्रवृत्ति घोटाले में सीईओ पर एसीबी का शिकंजा, जनजातीय मामलों के तत्कालीन निदेशक पर भी मामला दर्ज
छात्रवृत्ति घोटाले में सीईओ पर एसीबी का शिकंजा, जनजातीय मामलों के तत्कालीन निदेशक पर भी मामला दर्ज

राजौरी, जागरण संवाददाता : अनुसूचित जनजाति के बच्चों के लिए आई धनराशि में धांधली करने के आरोप में एंटी करप्शन ब्यूरो ने स्टेट प्रक्योरमेंट एंड सप्लाई एजेंसी (एसपीएसए) के सीईओ एंव प्रबंध निदेशक एमएस चौधरी व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि जब चौधरी जनजाति मामलों के विभाग के डायरेक्टर थे तो उस समय 66.84 लाख रुपये की धांधली हुई थी। इसके अलावा तत्कालीन निदेशक जनजातीय मामले अली हसन रजा का नाम भी एफआइआर में दर्ज किया गया है। हसन रजा सेवानिवृत्त हो चुके हैं और राजौरी में इंटरनेशनल कंप्यटूर सेंटर चलाते हैं।

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मामला दर्ज करने के बाद एसीबी ने बुधवार को चौधरी के राजौरी और जम्मू के त्रिकूटानगर स्थित आवासों छापेमारी की। आरोप है कि केंद्र सरकार की पोस्ट मैटिक स्कॉलरशिप योजना को लागू करते वक्त जनजाति मामलों निदेशक ने नियमों को ताक पर रखकर गैर पंजीकृत संस्थानों को धनराशि जारी कर दी। यह धनराशि अनुसूचित जनजाति के छात्रों को पोस्ट मैटिक या पोस्ट-माध्यमिक स्तर पर अध्ययन करने के लिए थी ताकि वह अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए अनिवार्य शुल्क की प्रतिपूर्ति कर सकें। नसरीन कादिर प्रोपराइटर एमएस इंटरनेशनल कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर राजौरी को वर्ष 2011-13 और 2014-17 के बीच 60,17,400 रुपये का सीधा भुगतान किया है। यह भी सामने आया कि 290 एसटी छात्रों के पक्ष में 6.67 लाख की अतिरिक्त राशि मंजूर की गई, जिसे एमएस चौधरी ने जारी था। इस राशि में जिन छात्रों को दिखाया गया वह इसके हकदार ही नहीं थे।

ऐसे में एंटी करप्शन ब्यूरो ने जनजातीय मामलों के तत्कालीन निदेशक एमएस चौधरी के घर पर स्थानीय पुलिस, मजिस्ट्रेट व स्वतंत्र गवाहों की मदद से एक साथ छापे मारे। चौधरी के घर के साथ साथ जम्मू के त्रिकुटा नगर में स्थित उनके सरकारी निवास पर भी छापा मारा गया। इस दौरान एसीबी की टीम ने कई दस्तावेजों को भी बरामद किया और सभी दस्तावेजों को जब्त करके जांच का कार्य शुरू कर दिया है।

राजीव के जारी लाइसेंसों की दोबारा जांच करेगी सीबीआइ

जम्मू कश्मीर कैडर के बर्खास्त आइएएस अधिकारी राजीव रंजन द्वारा 2016-17 में कुपवाड़ा के डीसी रहते जारी करीब 30 हजार आर्म्स लाइसेंस के धारकों को सीबीआइ की स्पेशल सेल नोटिस जारी करेगी और उन्हें दोबारा सत्यापन प्रक्रिया से गुजरना होगा। इस दौरान गड़बड़ मिलने पर उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की तैयारी है। सीबीआइ के अनुसार राजीव रंजन ने जम्मू एवं कश्मीर सहित पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित अन्य राज्यों के लोगों को फर्जी दस्तावेज और बिना सत्यापन के करीब 30 हजार आर्म्स लाइसेंस जारी किया हैं। चंडीगढ़ से गिरफ्तार राजीव रंजन और 2013 से 2015 तक कुपवाड़ा के डीएम रहे इतरत हुसैन को श्रीनगर कोर्ट में पेश कर 10 दिन के रिमांड में सीबीआइ पूछताछ कर रही है। एजेंसी के अनुसार राजीव रंजन ने प्रति लाइसेंस 8-10 लाख रुपये लिया है। ये लाइसेंस कश्मीरियों को ही नहीं बल्कि चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, यूपी व राजस्थान समेत अन्य राज्यों के लोगों को भी फर्जी कागजातों पर कश्मीरी बताकर दिए थे। चंडीगढ़ सीबीआइ की टीम को जोड़कर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के लाइसेंस धारकों तक पहुंचने में लगी है।


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