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Jammu Kashmir : कांग्रेस के पूर्व नेता व उसके भाई समेत तीन पर केस, 5 करोड़ का लोन लिया पर लौटाया नहीं

विक्रम मल्होत्रा ने उन पर लगे आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि कंपनी ने 2013 में टर्म लोन लिया लेकिन वह 2012 में ही कंपनी से बाहर हो गए थे। उनका उस समय कंपनी से कोई लेनादेना नहीं था।

By lalit kEdited By: Rahul SharmaPublished: Sat, 01 Oct 2022 12:03 PM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2022 12:03 PM (IST)
Jammu Kashmir : कांग्रेस के पूर्व नेता व उसके भाई समेत तीन पर केस, 5 करोड़ का लोन लिया पर लौटाया नहीं
उनके भाई की बात है तो उन्होंने खाता एनपीए होने के बाद बैंक का पूरा पैसा लौटा दिया था।

जम्मू, जेएनएफ : एंटी करप्शन ब्यूरो जम्मू ने कांग्रेस व जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी में रहे राजनेता विक्रम मल्होत्रा, उनके भाई आदित्य मल्होत्रा व जम्मू-कश्मीर बैंक की रेजीडेंसी रोड शाखा के तत्कालीन मैनेजर अनूप भट्ट पर बैंक को पांच करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का केस दर्ज किया है।

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ब्यूरो केस के मुताबिक 24 जुलाई 2013 को अनूप भट्ट ने आदित्य मल्होत्रा की कंपनी मैसर्स ए 3 इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड का पांच करोड़ रुपये का टर्म लोन मंजूर किया। इस कंपनी में आदित्य के भाई विक्रम मल्होत्रा भी प्रोमोटर व डायरेक्टर थे। जांच में खुलासा हुआ कि सात महीनों के भीतर टर्म लोन की सारी राशि जारी की गई और ऐसा करते समय तमाम नियमों का उल्लंघन हुआ।

लोन का पैसा नकद निकाल लिया गया : जांच में यह भी खुलासा हुआ कि सारा पैसा आदित्य मल्होत्रा की एक और कंपनी मैसर्स एन एकाउंट में ट्रांसफर की गई और वहां से नगद पैसा निकाला गया। मैसर्स ए 3 इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने सियोढ़ा में दस हजार मीट्रिक टन की क्षमता का वेयर हाउस बनाने के लिए यह लोन लिया था लेकिन वेयर हाउस का निर्माण नहीं किया। इसके चलते फूड कारपोरेशन आफ इंडिया ने कंपनी के साथ हुआ समझौता भी रद कर दिया और इससे कंपनी को किराए के रूप में होने वाली आमदनी भी नहीं हुई।अंत में खाता एनपीए हो गया और बैंक को पांच करोड़ का नुकसान हुआ।

सारा खेल एक सोची-समझी साजिश : ब्यूरो के मुताबिक यह सारा खेल एक सोची-समझी साजिश के तहत रचा गया जिसमें बैंक के तत्कालीन मैनेजर अनूप भट्ट व अन्य अधिकारियों ने अहम भूमिका निभाई और निहित स्वार्थ के चलते बैंक को पांच करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया।

विक्रम मल्होत्रा ने किया सभी आरोपों का खंडन : विक्रम मल्होत्रा ने उन पर लगे आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि कंपनी ने 2013 में टर्म लोन लिया लेकिन वह 2012 में ही कंपनी से बाहर हो गए थे। उनका उस समय कंपनी से कोई लेनादेना नहीं था। जहां तक उनके भाई की बात है तो उन्होंने खाता एनपीए होने के बाद बैंक का पूरा पैसा लौटा दिया था। बैंक के साथ फाइनल सेटलमेंट हो चुकी है। अब एंटी करप्शन ब्यूरो ने किस मंशा से यह केस दर्ज किया है, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। विक्रम मल्होत्रा ने कहा कि उनके पास सभी दस्तावेज है और मांगे जाने पर वह ब्यूरो के सामने पेश करेंगे क्योंकि इस केस का कोई आधार नहीं है और बिना वजह उनकी छवि बिगाड़ने के लिए उनका नाम घसीटा जा रहा है।


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