Jammu Kashmir : उत्तरी कश्मीर में 60 आतंकी सक्रिय, सरेंडर करेंगे, नहीं तो मारे जाएंगे
कश्मीर में आतंकियों के सफाए में अहम भूमिका निभा रही सेना की किलो फोर्स के जीओसी मेजर जनरल एचएस साही ने मंगलवार को बांडीपोर में पंचायत उपचुनाव व डीडीसी चुनाव एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न होने का यकीन दिलाया है। आतंकियों काे खलल डालने का मौका नहीं देंगे।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो । कश्मीर में आतंकियों के सफाए में अहम भूमिका निभा रही सेना की किलो फोर्स के जीओसी मेजर जनरल एचएस साही ने मंगलवार को बांडीपोर में पंचायत उपचुनाव व डीडीसी चुनाव एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न होने का यकीन दिलाया है। उन्होंने कहा कि हम आतंकियों काे कहीं भी खलल डालने का मौका नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि इस समय घाटी में सक्रिय करीब 200 आतंकियों में से लगभग 60 उत्तरी कश्मीर में ही हैं।
बांडीपोर में सेना द्वारा आयाेजित एक फुटबाॅल प्रतियोगिता के समापन समारोह के बाद पत्रकारों से बातचीत में मेजर जनरल एचएस साही ने कहा कि हम चुनावों के संदर्भ में मिलने वाली हर जिम्मेदारी काे निभाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। लोग एक सुरक्षित और विश्वासपूर्ण माहौल में अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें, इसके लिए पूरा प्रबंध किया जा रहा है। आतंकियों व उनके समर्थकों को चुनाव बहिष्कार का एलान करने वालों को हम किसी भी तरह से चुनावों में खलल नहीं डालने देंगे।
उत्तरी कश्मीर में आतंकियों की उपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस समय कश्मीर में सक्रिय लगभग 200 आतंकियों में से 60 उत्तरी कश्मीर में ही हैं। इनमें 45 विदेशी आतंकी हैं। उत्तरी कश्मीर में हमने आतंकियों पर लगातार दबाव बनाया हुआ है। उनके खिलाफ लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। आतंकियों के पास ही दो ही विकल्प हैं, हथियार छोड़ें या फिर सुरक्षाबलों के हाथों मारे जाएं।
मच्छल सेक्टर में घुसपैठ का जिक्र करते हुए उन्हाेंने कहा कि जब तक पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर में आतंकी ट्रेनिंग कैंप हैं, एलओसी पर आतंकियों की घुसपैठ की कोशिशें होती रहेंगी। हमारे जवान घुसपैठ करने वाले आतंकियों को एलओसी पर ही मार गिराने के लिए तैयार बैठे हैं। इस समय भी गुलाम कश्मीर में विभिन्न लांचिंग पैड्स पर 250-300 आतंकी घाटी में घुसपैठ के लिए उचित मौके की तलाश में बैठे हैं।
आतंकियों के लिए सरेंडर पालिसी के बारे में पूछे जाने पर किलो फोर्स के जीओसी ने कहा कि यहां वर्ष 1997 मेें भी आतंकियों के आत्मसमर्पण की नीति बनी थी। बाद में इसे संशोधित किया गया। इसके अलावा गुलाम कश्मीर से लौटने वाले आतंकियों के लिए भी एक नीति बनायी गई। अब सरकार मौजूदा सभी सरेंडर नीतियों का बदलते परिवेश में आंकलन करते हुए एक नयी प्रभावकारी योजना तैयार कर रही है। हमें उम्मीद है कि प्रस्तावित नीति जब भी घोषित होगी, उससे कई स्थानीय आतंकी घर लौट आएंगे। इस वर्ष भी अभी तक नौ स्थानीय आतंकियों ने बंदूक से तौबा करते हुए सरेंडर किया है। आन वाले समय में कई और स्थानी आतंकी एक सामान्य जिंदगी की उम्मीद में सरेंडर कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कश्मीर को खुशहाल बनाने में सरकार व सरकारी एजेंसियां लगतार प्रयास कर रही हैं लेकिन इसमें सबसे अहम भूमिका स्थानीय युवकों को ही निभानी है। हम जम्मू कश्मीर की तरक्की और खुशहाली में उनका सहयोग चाहते हैं। उन्हाेंने कहा कि कुछ नौजवान जो गुमराह होकर आतंकवाद के रास्ते पर चले गए हैं, उन्हें हथियार छोड़ मुख्यधारा में शामिल हो एक सामान्य जिंदगी गुजारनी चाहिए।