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जेके बैंक में 352 करोड़ का लोन घोटाला

जेके बैंक के पास गिरवी पड़ी संपत्ति के आधार पर ही एचडीएफसी बैंक से 16.5 करोड़ व आरबीएल बैंक से 25 करोड़ रुपये का लोन भी लिया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 17 Aug 2019 11:18 AM (IST)Updated: Sat, 17 Aug 2019 11:18 AM (IST)
जेके बैंक में 352 करोड़ का लोन घोटाला
जेके बैंक में 352 करोड़ का लोन घोटाला

जम्मू, जागरण संवाददाता। नवंबर 2018 से लगातार विवादों में रहे जम्मू-कश्मीर बैंक में 600 करोड़ रुपये के लोन घोटाले का पर्दाफाश होने के दस दिन के भीतर एक और लोन घोटाला सामने आया है। इस बार बेंगलुरु की एक कंपनी और बैंक अधिकारियों पर मिलकर 352.72 करोड़ रुपये का लोन घोटाला करने का आरोप लगा है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने शुक्रवार को बेंगलुरु स्थित कंपनी एसए रावथर स्पाइसेस प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक के घर व कार्यालय में छापामारी की और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज व डिजीटल रिकॉर्ड जब्त किया। एसीबी ने बैंक के अधिकारियों और कंपनी के निदेशक अनीश मुहम्मद रावथर के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज कर लिया है।

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इस पूरे घोटाले में जेएंडके बैंक की इनफेंट्री रोड शाखा बैंगलुरु के तत्कालीन मैनेजर शमीम अहमद हाजी की संलिप्तता पाई गई है। आरोप है कि कश्मीर के सोपोर निवासी शमीम अहमद हाजी ने बैंक के जोनल हेड क्वार्टर बेंगलुरु के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर कंपनी को फायदा पहुंचाया, लिहाजा एससीबी ने हाजी समेत बैंक के कुछ अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी केस दर्ज कर लिया है। प्रारंभिक जांच में एससीबी ने पाया कि इन अधिकारियों ने तमाम नियमों व औपचारिकताओं का उल्लंघन करते हुए बेंगलुरु की कंपनी को करोड़ों रुपये का लोन दिया।

जांच में पाया गया कि सैयद मोहम्मद रावथर ने वर्ष 1985 में मैसर्स एसए रावथर स्पाइसेस प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी खोली। वर्ष 2002 में रावथर ने लोन के लिए जेके बैंक की इनफेंट्री रोड स्थित शाखा से संपर्क किया और दस करोड़ रुपये की तीन संपत्तियां बैंक के पास गिरवी रख कर दो करोड़ रुपये का लोन लिया। वर्ष 2012 से 2015 के बीच बैंक ने कुल 147.43 करोड़ रुपये की संपत्ति गिरवी रख कंपनी को 308.13 करोड़ रुपये का लोन मंजूर कर दिया। बैंक शाखा के तत्कालीन मैनेजर शमीम अहमद ने तमाम नियमों की उल्लंघन करते हुए और जोनल हेड क्वार्टर में तैनात अधिकारियों की मिलीभगत से यह लोन मंजूर करवाया। इसके बाद कंपनी ने लोन की किश्त देना बंद कर दिया और सितंबर 2017 में जब कंपनी के खाते को एनपीए घोषित किया गया तो उस समय कंपनी ने 285.81 करोड़ मूल राशि व 66.91 करोड़ रुपये ब्याज चुकाना था।

इस दौरान कंपनी ने जेके बैंक के पास गिरवी पड़ी संपत्ति के आधार पर ही एचडीएफसी बैंक से 16.5 करोड़ व आरबीएल बैंक से 25 करोड़ रुपये का लोन भी लिया। एससीबी की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि शमीम अहमद ने कंपनी के निदेशक अनीश के साथ इस दौरान बैंक के पास गिरवी पड़ी तीन संपत्तियों को भी बदला। पहले गिरवी रखी गई संपत्तियों के स्थान पर ऐसी संपत्तियां गिरवी रखी गई, जिनकी कीमत काफी कम थी, लेकिन आपसी मिलीभगत से उसके दाम अधिक बताए गए। जब कंपनी का खाता एनपीए हो गया तो बैंक ने सरफेसी एक्ट के तहत गिरवी पड़ी दो संपत्तियों को बेचने का प्रयास भी किया, लेकिन संपत्ति का दाम काफी अधिक दर्शाया गया था, लिहाजा बैंक को एक पैसा नहीं मिला।


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