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Jammu Kashmir: ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक रिहा, 20 महीने से थे नजरबंद

धर पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर मीरवाइज की नजरबंदी समाप्त करने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि मीरवाइज की नजरबंदी खत्म होने के बात सुनकर उन्हें अच्छा लगा है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 03:21 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 03:59 PM (IST)
Jammu Kashmir: ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक रिहा, 20 महीने से थे नजरबंद
ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक की नजरबंदी समाप्त कर, उन्हें रिहा कर दिया है।

जम्मू, जागरण ब्यूरो। उदारवादी हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक के पास अब घर से बाहर न निकलने को काेई बहाना नहीं है। वीरवार को पुलिस ने औपचारिक तौर पर भी उनकी नजरबंदी समाप्त करने का एलान कर दिया। अब सभी की नजरें शुक्रवार को जामिया मस्जिद में नमाज ए जुम्मा से पूर्व दिए जाने वाले उनके खुतबे (भाषण) पर हैं। फिलहाल उनके घर के बाहर अब सिर्फ वही पुलिसकर्मी तैनात हैं जो 5 अगस्त 2019 से पूर्व उन्हें आतंकियों से बचाने के लिए नियुक्त किए गए थे। परिस्थितियों के अनुकूल रहने पर वह करीब 82 सप्ताह बाद शुक्रवार को डाउन-टाउन के नौहट्टा स्थित एतिहासिक जामिया मस्जिद में नमाज ए जुम्मा से पूर्व खुतबा भी देंगे। मीरवाइज मौलवी उमर फारुक की नजरबंदी से मुक्ति को जम्मू कश्मीर में लगातार सुधरते हालात और हिंदुस्तान-पाकिस्तान में फिर से शुररू हाे रहे शांति प्रयासों के मद्देनजर माना जा रहा है।

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उल्लेखनीय है कि पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू किए जाने से पूर्व 4 अगस्त 2019 की देर रात गए एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया था। उन्हें पहलेे दो दिन शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर एसकेआइसीसी में रखा गया था। बाद मे उन्हें नगीन स्थित उनके घर में ही नजरबंद रखा गया था। प्रशासन ने नवंबर 2019 के दौरान ही उनकी नजरबंदी समाप्त कर दी थी लेकिन वह अपने घर से बाहर नहीं निकले । उन्होंने व उनके समर्थकों ने कथित तौर पर दावा किया था कि उन्हें नजरबंद रखा गया है इसलिए वह जामिया मस्जिद में भी नहीं जा रहे हैं। दिसंबर 2019 में पुलिस ने भी एक बयान जारी कर दावा किया था कि मीरवाइज मौलवी उमर फारूक पर काेई पाबंदी नहीं है। इसके बावजूद मीरवाइज घर से बाहर नहीं आए। उन्हाेंने अपने घर के बाहर मौजूद सुरक्षाबलाें के वाहनों की मौजूदगी का तर्क देते हुए कहा था कि नजरबंदी हटाने का दावा सिर्फ दिखावा है।

मीरवाइज मौलवी उमर फारूक द्वारा नजरबंदी का आरोप लगाए जाने पर कश्मीर में कई लोगों ने कहा था कि वह बदले हालात में लाेगों का सामना करने से कतरा रहे हैं। वह दावा करते थे कि पूरा कश्मीर हिंदुस्तान के खिलाफ और हुर्रियत के संग है। वह लोगों का आजादी का सपना दिखाते थे। 5 अगस्त 2019 को जो हुआ और उसके बाद कश्मीरी अवाम ने जाे रवैया अपनाया, उससे मीरवाईज मौलवी उमर फारुक एंड कंपनी क लिए अपना मुंह छिपाना मुश्किल हो रहा था। इसलिए वह जामिया मस्जिद में जाने या कश्मीर में किसी सार्वजनिक जगह जाने से कतरा रहे थे। अलबत्ता बीते डेढ़ साल के दौरान वह कथित तौर पर कश्मीर से बाहर दो चक्कर लगाकर आ चुके हैं। बीते साल जुलाई में अौर उसके बाद अगस्त में भी प्रशासन ने मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को कुछ दिनों के लिए अधिकारिक तौर पर उनके घर में नजरबंद बनाया। इसके बाद नवंबर में उन्हें जम्मू कश्मीर में डीडीसी चुनावों के मददेनजर एहतियात के तौर पर उनके घर में नजरबंद बनाया गया।

केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मीरवाइज मौलवी उमर फारुक की नजरबंदी हटाए जाने का फैसला इतवार को लिया गया था। पहले चर्चा थी कि उन्हें गत बुधवार की सुबह रिहा किया जाएगा और वह एक सेमीनार में हिस्सा लेने जाएंगे। अलबत्ता, ऐसा नहीं हुआ और उन्हें आज दोपहर को करीब 1.15 बजे रिहा किया गया। उनके घर के बाहर तैनात सभी अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियाें व उनके वाहनों को हटा लिया गया। इसके साथ ही उनके घर की तरफ जाने वाली सड़क पर जगह-जगह लगाए गए अवरोधक भी हटाए गए। सिर्फ एक अस्थायी अवरोधक और सिर्फ वही पुलिसकर्मी रखे गए हैं जो सामान्य परिस्थितियों में उनके बाहर सुरक्षा के नाम पर तैनात थे।

मीरवाइज मौलवी उमर फारूक अब शुक्रवार को नमाज ए जुम्मा अदा करने एतिहासिक जामिया मस्जिद भी जाएंगे। जामिया मस्जिद में ही मीरवाइज मौलवी उमर फारूक 5 अगस्त 2019 से पूर्व हर शुक्रवार का नमाज ए जुम्मा से पूर्व खुतबा देते हुए कश्मीर की सियासत और मजहबी मामलों पर अपना पक्ष रखते थे। शुक्रवार काे उनके भाषण के आधार पर ही कश्मीर में हुर्रियत की रणनीति का अंदाजा लगाया जाता रहा है। शुक्रवार को ही जामिया मस्जिद और उसके साथ सटे इलाकों में पाकिस्तानी व आतंकी संगठनाें के झंडे लहराए जाते थे और पत्थरबाजी भी खूब होती थी। कश्मीर मामलों पर नजर रखनेे वाले अब सभी लोग शुक्रवार 5 मार्च को जामिया मस्जिद में मीरवाईज मौलवी के प्रस्तावित खुतबे पर कान लगाए बैठे हैं। सभी यह देख रहे हैं कि मीरवाइज 5 अगस्त 2019 के बाद जब जामिया मस्जिद में क्या बोलेंगे, उनका खुतबा कश्मीर में हुर्रियत की अगली रणनीति का रास्ता तैयार करेगा।

महबूबा ने ट्वीट कर मीरवाइज की नजरबंदा का स्वागत किया

उधर पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर मीरवाइज की नजरबंदी समाप्त करने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि मीरवाइज की नजरबंदी खत्म होने के बात सुनकर उन्हें अच्छा लगा है। अब उम्मीद है कि जम्मू कश्मीर के बाहर जेलों में बंद सैकड़ों कश्मीरियों की भी रिहाई जल्द कर दी जाएगी।

मीरवाइज की रिहाई भारत और पाकिस्तान के उस संयुक्त ब्यान की एक कड़ी माना जा रहा है जिसमें दोनों देशों ने सीमा संघर्ष विराम के समझौते का सख्ती से पालन करने का वादा किया था। यहां यह बताना जरूरी है कि 5 अगस्त 2019 को जब जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त किया गया तो उस समय पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला सहित करीब 400 अलगाववादी नेताओं को भी नजरबंद किया गया था। इनमें से अधिकतर अब तक रिहा किए जा चुके हैं।


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