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Jammu Kashmir: बकरियों के लिए आफत बन रहा वार्बल फ्लाई का संक्रमण, 25% बकरियां संक्रमण की चपेट में

Warble Fly Infection in Jammu वेटनेरी डाक्टर अनीस यादव का कहना है कि इन कीटों से बकरी को बचाया जा सकता है। बस किसानों को चाहिए कि वे सचेत रहे। वजन के हिसाब से बकरी को जुलाई माह में इंजेक्शन लगवाना है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 06 Feb 2021 11:37 AM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2021 11:37 AM (IST)
Jammu Kashmir: बकरियों के लिए आफत बन रहा वार्बल फ्लाई का संक्रमण, 25% बकरियां संक्रमण की चपेट में
वेटनेरी डाक्टर अनीस यादव का कहना है कि इन कीटों से बकरी को बचाया जा सकता है।

जम्मू, जागरण संवाददाता: वार्बल फ्लाई जिसे मिड्डू या चपटी मक्खी कहा जाता है, का संक्रमण बकरियों के लिए आफत बनता जा रहा है। जम्मू संभाग की 20 से 25 प्रतिशत बकरियां इसी संक्रमण की चपेट में है। इससे मांस का नुकसान तो सहना ही पड़ रहा है, वहीं बकरियों का दूध भी 25 प्रतिशत तक कम हो रहा है।

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पूरे मामले पर रोशनी पिछले दिनों एक जागृति कार्यक्रम के दौरान डाली गई जब बताया गया कि किस कदर यह कीट बकरियों को कमजोर करने में जुटे हुए हैं। इस संक्रमण पर काम कर रहे डा. अनीस यादव ने जानकारी देते हुए कहा कि यह पूरा मामला गंभीर है। यह बीमारी जम्मू के कंडी और पहाड़ी क्षेत्रों में फैली हुई है और बढ़ रही है।

इसकी रोकथाम के लिए बकरी पालकों में व्यापक तौर पर अभियान चलाए जाने की जरूरत है। क्योंकि इस संक्रमण से बचने के लिए सौ प्रतिशत इलाज है जोकि बेहद सस्ता भी है। बस बकरी पालकों को जागरूक किया जाना चाहिए।

क्या है यह संक्रमण: दरअसल यह मक्खी है जोकि बकरी पर अंडे दे जाती है। उससे जब लारवा बनता है तो वह चमड़ी से चिपक जाता है। धीरे धीरे यह लारवा चमड़ी में सुराख कर बकरी के अंदर प्रवेश कर जाता है। शरीर में जाने के बाद यह कीट बकरी की खुराक व दूसरे पौशक तत्व खाते रहते हैं। इससे बकरी की जान तो नही जाती मगर बकरी कमजोर होने लगती है। उसका वजन 2 से 2.5 किलो तक गिर सकता है। वहीं दूध की पैदावार में 20 से 25 फीसद की गिरावट हो जाती है। बकरी की खाल पर छिद्र हो जाते हैं जिससे इसकी चमड़ी किसी काम की नही रहती। यह कीट नौ माह तक बकरी में बने रहते हैं और 0.5 एमएम साइस से बढ़ते बढ़ते 20 एमएम तक पहुंच जाते हैं।

रोग से बचा जा सकता है: वेटनेरी डाक्टर अनीस यादव का कहना है कि इन कीटों से बकरी को बचाया जा सकता है। बस किसानों को चाहिए कि वे सचेत रहे। वजन के हिसाब से बकरी को जुलाई माह में इंजेक्शन लगवाना है। एक किलो वजन के लिए 5 माइक्रो ग्राम दवा चाहिए और वजन के हिसाब से यह दवा इंजेक्शन के रूप मे दी जानी चाहिए। बकरी इन कीटों से निजात पा जाएगा। यह दवा बहुत ही सस्ती हो गई है और हर बकरी पालक इस दवा को पा सकता है। 


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