Move to Jagran APP

आतंक पर चोट करेंगे फारूक खान, बनाया जा सकता है राज्यपाल का चीफ एडवाइजर Jammu News

वर्ष 2013 में राज्य पुलिस में महानिरीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए फारूक खान वर्ष 2014 में भाजपा में अल्पसंख्यक मामले व पूर्वोत्तर मामलों का प्रभारी बनाया गया था।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 13 Jul 2019 11:09 AM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 11:09 AM (IST)
आतंक पर चोट करेंगे फारूक खान, बनाया जा सकता है राज्यपाल का चीफ एडवाइजर Jammu News
आतंक पर चोट करेंगे फारूक खान, बनाया जा सकता है राज्यपाल का चीफ एडवाइजर Jammu News

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीर में अलकायदा और आइएसआइएस जैसे जिहादी आतंकी संगठनों की आमद के बीच केंद्र सरकार ने पूर्व पुलिस महानिरीक्षक फारूक खान की सेवाएं जम्मू कश्मीर में लेने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि पुलिस संगठन से सेवानिवृत्त होने के बाद वर्ष 2016 से लक्ष्यद्वीप में बतौर प्रशासक अपनी सेवाएं दे रहे फारूक खान ने इस्तीफा दे दिया है और वह जम्मू-कश्मीर के लिए निकल चुके हैं। उन्हें राज्यपाल सत्यपाल मलिक का चीफ एडवाइजर बनाए जाने की चर्चा है।

loksabha election banner

फारूक खान के लक्ष्यद्वीप के प्रशासक पद से इस्तीफे की अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि वह शुक्रवार शाम दिल्ली पहुंच गए हैं। केंद्र सरकार ने उनसे कहा था कि वह जम्मू कश्मीर में उनकी सेवाएं लेने की इच्छुक है और अगर वह जम्मू कश्मीर में नहीं लौटना चाहते तो वह लक्ष्यद्वीप में अपने पद पर बने रह सकते हैं, लेकिन जम्मू निवासी फारूक खान ने केंद्र से कहा कि उनकी सेवाएं देश के लिए हैं, सरकार जहां चाहे उन्हें भेजे, वह जाने को तैयार हैं। वर्ष 2013 में राज्य पुलिस में महानिरीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए फारूक खान वर्ष 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे। उन्हें भाजपा के अल्पसंख्यक मामले व पूर्वोत्तर मामलों का प्रभारी बनाया गया था। अगस्त 2016 में उन्हें लक्षद्वीप का प्रशासक बनाया गया था। बतौर प्रशासक लक्षद्वीप में उनका कार्यकाल पांच साल का है।

हजरतबल दरगाह को आतंकियों से कराया था मुक्त :

वर्ष 1984 बैच के राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी फारूक खान को वर्ष 1994 में आइपीएस कैडर मिला था। उन्होंने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोडऩे वाले राज्य पुलिस विशेष अभियान दल (एसओजी) का गठन करने में अहम भूमिका निभाई थी। वह एसओजी के पहले एसपी रहे हैं। उन्होंने आतंकवाद को कुचलने और राज्य पुलिस को आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत बल के रूप में खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई थी। वर्ष 1996 में जब श्रीनगर में आतंकियों ने हजरतबल दरगाह पर कब्जा कर लिया था, उस समय उन्होंने आतंकियों को वहां से खदेडऩे में उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी। उन्हें राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार समेत कई सम्मान मिले हैं।

फारूक खान को इसलिए लाया जा रहा कश्मीर :

सूत्रों की मानें तो केंद्र के तमाम प्रयासों के बावजूद कश्मीर में स्थानीय युवकों की आतंकी संगठनों की भर्ती में कमी न आने और अलकायदा व आइएसआइएस जैसे संगठनों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए केंद्र ने फारूक खान की सेवाएं जम्मू कश्मीर में लेने का फैसला किया है। फारूक खान को आतंकरोधी अभियानों के संचालन, उनकी रणनीति तैयार करने और स्थानीय परिस्थितियों की पूरी समझ है। इसके अलावा वह राज्य पुलिस कैडर में भी अच्छी छवि रखते हैं। राज्य प्रशासन को लगता है कि उनके आगमन से न सिर्फ पुलिस कैडर का आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मनोबल बढ़ेगा बल्कि आतंकियों और उनके समर्थकों पर मानसिक दबाव भी पैदा होगा।

महाराजा हरि ङ्क्षसह की फौज में कर्नल थे फारूक के दादा :

फारूक खान के दादा पीर मोहम्मद खान राज्य के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि ङ्क्षसह की फौज में कर्नल थे। कर्नल पीर मोहम्मद जनसंघ के प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह सांसद भी रहे। फारूक खान के पिता सरवर खान भी राज्य पुलिस के तेज तर्रार अधिकारियों में एक थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.