ताकि आतंकियों की गोली छू भी न सके सुरक्षाबलों का सीना
नवीन नवाज जम्मू आतंकियों के नापाक मंसूबे कामयाब न हों और उनकी कोई भी गोली सुरक्षाबलों क
नवीन नवाज, जम्मू : आतंकियों के नापाक मंसूबे कामयाब न हों और उनकी कोई भी गोली सुरक्षाबलों के सीने को छलनी न कर सके, इसके लिए केंद्र सरकार ने पुख्ता तैयारी कर ली है। फिर किसी मा को अपना लाल और पत्नी को अपना सुहाग नहीं खोना पड़े, इसी लक्ष्य से केंद्र सरकार ने कश्मीर में आतंक से लोहा ले रहे सीआरपीएफ कर्मचारियों को अत्याधुनिक बुलेटप्रूफ जैकेट उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है। वजह यह है कि आतंकियों के हाथ दुश्मन देश का ऐसा हथियार आ गया था, जिसके आगे बुलेट प्रूफ वाहन भी बेकार हो रहे थे। आतंकी चीन में बनी स्टील की गोलियों का इस्तेमाल सुरक्षाबलों पर हमले में कर रहे हैं। यह गोलिया बुलेटप्रूफ जैकेट पर भारी पड़ रही थीं।
12 जून को अनंतनाग में सुरक्षाबलों के एक नाके पर हुए आतंकी हमले में भी इन्हीं गोलियों का इस्तेमाल किया गया था। हमले में पाच सीआरपीएफ कर्मी और राज्य पुलिस के एक इंस्पेक्टर अरशद खान शहीद हो गए थे। सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में जैश का एक हमलावर आतंकी भी मारा गया था। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि केपी रोड हमले की आतरिक विभागीय जाच में पाया कि हमलावर जैश आतंकी ने घातक स्टील बुलेट से फायरिंग की थी। यह गोलिया मजबूत धातु और मौजूदा बुलेट प्रूफ जैकेट को भेदने में समर्थ हैं। हालाकि इन कर्मियों ने बुलेटप्रूफ जैकेट पहने रखे थे, लेकिन स्टील बुलेट ने उन्हें भेद दिया।
इस हमले के बाद लगा कि सुरक्षा बलों का रक्षा कवच कमजोर पड़ने लगा है। इससे सुरक्षा एजेंसिया सकते में आ गई। इसके बाद सीआरपीएफ ने कश्मीर में अपने जवानों व अधिकारियों को बेहतर सुरक्षा कवच प्रदान करने का फैसला किया और स्टील बुलेट जैसी घातक गोलियों को नाकाम बनाने में समर्थ बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदने का फैसला हुआ।
सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अत्याधुनिक और मजबूत बुलेट प्रूफ जैकेट की खरीद का एक चरण पूरा हो चुका है। इसकी पहली खेप अगले कुछ दिनों तक कश्मीर आ जाएगी, तब तक वादी में तैनात जवानों को पूरा एहतियात बरतने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि स्टील बुलेट का कश्मीर में पहली बार इस्तेमाल वर्ष 2017 के दौरान सामने में आया था। लितपोरा स्थित सीआरपीएफ कैंप पर हमला करने वाले जैश के आत्मघाती आतंकियों ने इन्हीं स्टील बुलेट का इस्तेमाल किया था। आतंकियों द्वारा दागी गई यह गोलिया एक असिस्टेंट कमाडेंट की बुलेट प्रूफ जिप्सी को भेदने में सफल रही थी और एक सीआरपीएफ का जवान शहीद हो गया था।
राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आतंकियों के पास स्टील बुलेट की मौजूदगी से हमें अपने पूरे आतंकरोधी अभियानों और वीवीआइपी की सुरक्षा ड्रिल में व्यापक बदलाव करना पड़ा। इसके अलावा हमें बुलेट प्रूफ जैकेट, बुलेट प्रूफ बख्तरबंद गाडियों और जिप्सियों में भी सुधार का कदम उठाना पड़ा। स्टील बुलेट को आप किसी भी एसाल्ट राइफल से दाग सकते हैं। पाकिस्तान और चीन दोनों ही मुल्क यह स्टील बुलेट तैयार कर रहे हैं। स्टील बुलेट के खतरे को ध्यान में रखते हुए हमने अपने साजो सामान और सुरक्षा ड्रिल में व्यापक बदलाव व सुधार किए हैं। एसएमपीपी से 639 करोड़ रुका अनुबंध
रक्षा मंत्रालय और गृहमंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, स्टील बुलेट समेत अन्य घातक हथियारों को झेलने में समर्थ अत्याधुनिक बुलेट प्रूफ जैकेट के निर्माण व आपूर्ति के लिए भारतीय कंपनी एसएमपीपी से 639 करोड़ रुका अनुबंध किया गया है। कंपनी ने पहली खेप कुछ समय पहले ही रक्षामंत्रालय और गृह मंत्रालय के संबधित प्रशासन को सौंपी है।
जवानों की सुरक्षा के लिए उठाए नए कदम
आइजी सीआरपीएफ रविदीप साही ने कहा कि आतंकियो से निपटने के लिए और जवानों की सुरक्षा को यकीनी बनाने के लिए कुछ नए कदम उठाए गए हैं। प्रोटेक्शन गियर भी अत्याधुनिक बनाया जा रहा है। अलबत्ता, नई बुलेट प्रूफ जैकेट के बारे मे उन्होंने कुछ भी कहने से इन्कार किया है।