परेड ग्राउंड में बहुमंजिला पार्किंग व कमर्शियल कांप्लेक्स बनाने का आवेदन खारिज
???? ?? ???? ?? ??????? ?? ?? ?? ???? ?? ??? ?? ????? ???? ??? ?? ?? ??????? ???? ?????? ?? ?? ?????? ????? ???? ?? ???????? ????? ??????? ?? ???? ??????? ??? 681 ???????? ?? ???????? ?? ??? 58 ??????? ?? ??? ????? ?????? ??? ???????? ???? ?? ?????? ? ??? ??????? ????? ?? ???????? ??? ???
जेएनएफ, जम्मू : राज्य हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने परेड ग्राउंड में बहुमंजिला पार्किंग व कमर्शियल कांप्लेक्स बनाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। जम्मू नगर निगम ने पुराने शहर के इस प्रमुख खेल मैदान में पार्किंग व कमर्शियल कांप्लेक्स बनाने की अनुमति मांगते हुए आवेदन दिया था, जिसे हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया।
जम्मू नगर निगम ने अपने आवेदन में प्रस्ताव रखा कि परेड ग्राउंड में भूमिगत पार्किंग स्थल बनाने के साथ ऊपरी मंजिलों पर कमर्शियल कांप्लेक्स बनाया जाएगा और छत पर मैदान तैयार किया जाएगा। इसकी अनुमति देने से इंकार करते हुए बेंच ने पाया कि परेड ग्राउंड क्षेत्र पिछले कई दशकों से गैर-योजनाबद्ध तरीके से विकसित हुआ, जिससे वहां पहले से ही काफी भीड़भाड़ हो गई है। कमर्शियल कांप्लेक्स बनने से यहां हालात और बिगड़ जाएंगे। इसके अलावा हाईकोर्ट ने युवाओं को खेल सुविधाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से इस खेल मैदान में किसी तरह के आयोजन पर पहले से ही रोक लगाई है। पुराने शहर में बच्चों व युवाओं के लिए यही एकमात्र खेल मैदान है। ऐसे में कोई भी अनुमति देने से पूर्व खेल सुविधाओं पर भी विचार करना आवश्यक है।
बेंच ने पाया कि नगर निगम की ओर से पहले भी ऐसा एक आवेदन दिया गया था, जो नामंजूर हुआ। लिहाजा इस पर दोबारा विचार करने की आवश्यकता नहीं है। नगर निगम ने परेड ग्राउंड में 681 गाड़ियों की पार्किंग के साथ 58 दुकानें, एक फूड कोर्ट, सर्विस कोर, सीढि़यों वाले छह रास्ते व चार इलीवेटर लगाने का प्रस्ताव रखा था।
विदित हो कि कुछ खेल संगठनों ने करीब पांच वर्ष पहले राज्य हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि परेड ग्राउंड में खेल के अलावा अन्य गतिविधियां भी होती रहती हैं, जिससे खेलकूद प्रभावित होता है। लिहाजा इस मैदान में खेल के अलावा अन्य गतिविधियों पर रोक लगाई जाए। इस पर राज्य हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया था कि इसमें सिर्फ खेल गतिविधियां ही होंगी। अन्य किसी प्रकार के आयोजन के लिए राज्य हाईकोर्ट से अनुमति लेनी होगी।