Kashmir : 200 साल पुराना है डल पर तैरता डाकखाना
डल झील में एक आम सा नजर आने वाला हाउसबोट बहुत खास है। यह हिंदूस्तान का पहला और एकमात्र डाकघर है जो पानी में है।
श्रीनगर, [ नवीन नवाज ] । डल झील में एक आम सा नजर आने वाला हाउसबोट बहुत खास है। यह हिंदूस्तान का पहला और एकमात्र डाकघर है जो पानी में है। शनिवार सुबह तीन स्थानीय लोग बुल्वोर्ड रोड पर बने फुटपाथ से इसी डाकघर को जोड़ने वाली लकड़ी की छोटी सी सीढ़ियों के सहारे पहुंचे। उनमें एक ने ताला खोला और फिर तीनों ने जूते उतार दिए। इसके बाद तीनों लोग डाकखाने में दाखिल हुए।
सिर्फ एक डाकघर नहीं कश्मीर का हेरीटेज भी है
डाकघर के प्रभारी अब्दुल रज्जाक ने कहा कि यह सिर्फ एक डाकघर नहीं है। यह कश्मीर का हेरीटेज भी है। यहां कोई भी पक्के तौर पर नहीं जानता कि कब से यह डाकघर यहां है। सभी कहते हैं कि अंग्रेजों ने 200 साल पहले इसे शुरू किया था। डाकघर में दाखिल होने के लिए किसी को दिक्कत न हो इसलिए लकड़ी की छोटी सीढ़ी है जो इसे बुल्वोर्ड रोड के फुटपाथ से जोड़ती है। बाहर से किसी सामान्य हाउसबोट की तरह नजर आने वाले डाकघर के भीतर पहले कक्ष में डाक सेवाएं उपलब्ध है। रज्जाक का कार्यालय है।
डाककर्मी फारूक खान ने कहा कि भीतर दाखिल होने से पहले हर आगुंतक को चाहे वह स्टाफकर्मी है या पर्यटक या फिर ग्राहक जूते के साथ प्रवेश नहीं कर सकता। पासबुक पर प्रविष्टियां दर्ज करा रहे गुल मोहम्मद ने कहा कि हमारे लिए बैंक भी यही है। झील में रहने वाले हर आदमी का खाता है। यहां आठ हजार बचत खाते हैं। हर महीने लगभग डेढ़ से दो करोड़ जमा होते हैं। हम यहां से सभी सेवाएं देते हैं। आपको अगर अपने घर पैसा भेजना है तो वह भी आसानी से भेज सकते हैं।
पहले डाकघर में म्यूजियम भी था
किराए के हाउसबोट में बना डाकघर कभी सामान्य डाकघर था। इसे तैरते डाकघर या फ्लोटिंग हाउसबोट का नाम 2011 में मिला। तत्कालीन चीफ पोस्टमास्टर जॉन सैम्युल ने वक्त की मार से क्षतिग्रस्त हुई विरासत की अहमियत को समझा और उन्होंने इसका जीर्णोद्धार कराते हुए म्यूजियम बनवाया। तत्कालीन सूचना प्रौद्योगिकी और संचार राज्यमंत्री सचिन पायलट ने दिल्ली से आकर तत्कालीन सीएम उमर अब्दुल्ला की मौजूदगी में फ्लोटिंग पोस्ट ऑफिस जनता को सर्मिपत किया था। सचिन पायलट ने उमर की बहन से शादी की है। अब म्यूजियम खत्म हो चुका है। 2014 की बाढ़ ने झील में अन्य हाउसबोटों के साथ इस डाकघर को तबाह किया।
रज्जाक ने कहा कि बाढ़ के बाद डाकघर तो फिर शुरू हो गया। हम म्यूजियम शुरू नहीं कर पाए। हमने जो एतिहासिक टिकट, सोवनियर, पोस्टकार्ड और खत इसमें रखे थे, वह बाढ़ लील गई। कई दस्तावेज जो कश्मीर में डाक सेवाओं के विकास की कहानी सुनाते थे सब तबाह हो गए। आज भी आप यहां मेरे पास आकर बहुत सी एतिहासिक चीजों को देख सकते हैं। डाकघर में अधिकांश टिकट और पोस्टकार्ड कश्मीर के विभिन्न रूपों को दिखाते हैं। मुगलकालीन बाग, ट्यूलिप गार्डन, चिनार और हांगुल के अलावा कश्मीर के पर्यटनस्थलों की तस्वीरों वाले पोस्टकार्ड उपलब्ध हैं। माय स्टैंप की सुविधा भी है। कोई भी व्यक्ति तस्वीर की टिकट बनवा सकता है। इसके लिए उसे शुल्क चुकाना है।
डाकघर प्रभारी ने अपने पीछे बुकशेल्फ में सजी किताबों की तरफ संकेत करते हुए कहा कि आप यहां से किताबें भी खरीद सकते हैं। अगर कोई कश्मीरी केसर लेना चाहे तो वह ले सकता है। इस डाकघर की सील जिसे मुहर कहते हैं, विशेष है। इसकी सील जब किसी पोस्टकार्ड, पासबुक या किसी रसीद पर डाली जाती है तो छवि झील में अपनी नाव को आगे बढ़ाते हुए चप्पू चलाते शिकारे वाले की बनती है।
पर्यटक भी खूब आते हैं
यहां रोज दर्जनों लोग आते हैं। झील में आने वाला शायद ही कोई ऐसा होगा जो यहां नहीं आता और हमसे कुछ लकर नहीं जाता। गत गुरुवार को यहां जापान के 22 पर्यटक आए थे। पोस्टकार्ड और अन्य सामान लिया। कुछ दिन पहले डेनमार्क और फिलीपींस के पर्यटक आए थे। सिर्फ झील के भीतर रहने वाले नहीं आसपास के इलाकों के लोग आते है।
जल्द अत्याधुनिक सेवाएं होंगी
डाकघर प्रभारी अब्दुल रज्जाक के अनुसार हम इस हेरीटेज को अत्याधुनिक सेवाओं से लैस डाकघर बनाने जा रहे हैं। अगली बार जब आप यहां आएंगे विरासत के आंचल में आधुनिकता मिलेगी।
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