Move to Jagran APP

जीएमसी जम्मू में 123 वेंटीलेटर बने शोपीस, अब एंबो के सहारे जिंदगी

जम्मू राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल में वेंटीलेटरों की कमी कोविड-19 के मरीजों पर भारी पड़ने लगी है। फूंलती सांसों को कुछ घंटों तक बचाने के लिए तीमारदारों को गुब्बारे नुमा एम्बों थमा दिया जा रहा है। तीमारदार हाथ से उस एम्बों को दबा कर कृत्रिम सांसे देने पर मजबूर है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 11:48 AM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 11:48 AM (IST)
जम्मू के बख्शी नगर स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल

जम्मू, अवधेश चौहान : जम्मू राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल में वेंटीलेटरों की कमी कोविड-19 के मरीजों पर भारी पड़ने लगी है। फूंलती सांसों को कुछ घंटों तक बचाने के लिए तीमारदारों को गुब्बारे नुमा एम्बों थमा दिया जा रहा है। जिससे की उसके तीमारदार हाथ से उस एम्बों को दबा कर कृत्रिम सांसे देने पर मजबूर है। तीमारदार डाक्टरों से वेंटीलेटर वाला बैड देने के लिए डाक्टरों के आगे गिड़गिड़ाते नजर आ रहे है।डाक्टर भी मरीजों के आगे बेबस दिखते हे।

loksabha election banner

जीएमसी अस्पताल में कोविड-19 मरीजों के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए 156 वेंटीलेटरों में से केवल 33 ही काम कर रहे हैं। बाकी के 123 वेंटीलेटर अभी स्टोर में बंद पड़े हुए है। इसका मुख्य कारण इन वेंटीलेटरों को चलाने के लिए जीएमसी के पास अतिरिक्त तकीनीकि स्टाफ है और न ही पर्याप्त आक्सीजन के प्रबंध। वेंटीलेटर पर आक्सीजन का फ्लो का ठहराव 98 से 99 प्रतिश्त चाहिए होता है। जीएमसी के हाई डिपेंडेंसी वार्ड जिसे शनिवार को ही मरीजों के लिए खोला गया है, वहां 4 मरीज अभी भी एम्बों यानि की गुब्बारे के सहारे सांसे ले रहें है। अगर तीमारदार को हल्की सी नींद आ जाए तो मरीज की जान पर बन आती है।

शनिवार को सांबा के दूरदराज से आइ युवती के तीमारदार वेंटीलेटर के लिए गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन उन्हें वेंटीलेटर नही मिल पाया। नतीजा महिला की मौत हो गई। जीएमसी के स्टोर में जब वेंटीलेटरों का स्टाक पड़ा हुआ है, तो तकनिशियान किराए पर या फिर बाहरी राज्यों से भी मंगवाए जा सकते है। यहां तक आक्सीजन का सवाल है, पहले भी बाजार से आक्सीजन खरीद कर काम चलाया जा रहा है, तो थोड़ी और खरीदने से मरीज की जान बच सकती है। कुलमिलाकर देखा जाए तो जीएमससी कोविड जैसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार नही था। अगर पहले से इंतजाम कर लिए होते तो अाज मरीजों की लाइलाज मौतों पर विराम लग सकता था। अस्पताल में ऑक्सीजन की रोजाना की खपत 6 हजार एलएमपी पहुंच गई है। जबकि मौजूदा समय में अस्पताल में 1200 एलएमपी ऑक्सीजन ही मरीजों को मिल पा रही है।

रात को बंद हुआ जीएमसी का मैन गेट

जम्मू राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल का मुख्य द्वार शनिवार को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया। केवल उन्हीं लोगों को जाने की अनुमति दी जा रही है, जिनका कोई मरीज या सगा संबधी अस्पताल में भर्ती है। फालतू आदमियों या वाहनों को जाने की अनुमति नही है।अस्पताल प्रबंधन ने गेट बंद करने से पहले कोई पास मरीजों को जारी नही किया है। लेकिन तीमारदार जब उन्हें मरीजों के लिए लाए सामान या अन्य प्रूफ दिखाते है तो गेट पर खड़े सुरक्षा जवान उन्हें अंदर आने की अनुमति दे देते है।गेट क्यों बंद किया गया है इस बारे में अस्पताल प्रबंधन कोई भी जबाब देने को तैयार नही हे। ऐसा कहा जा रहा है कि कुछ लोग रात के समय अस्पताल की पार्किंग में वाहन खड़े कर देते हैं, जिससे एम्बुलेंस के सीधे इमरजेंसी में ले जाने में दिक्कतों को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। अगर ऐसा है तो यह काम देखना सुरक्षाकर्मियों का होता है, न कि किसी अस्पताल के दरवाजे बंद कर दिए जाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.