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EXCLUSIVE सौरभ शुक्ला ने खोला राजः संजय दत्‍त के साथी कैदी पर आधारित था भीखू म्हात्रे

सत्‍या में भीखू म्‍हात्रे का किरदार जेल में संजय दत्‍त के साथी कैदी पर आधारित था।

By Vikas JangraEdited By: Published: Sat, 30 Jun 2018 11:44 PM (IST)Updated: Sat, 30 Jun 2018 11:47 PM (IST)
EXCLUSIVE सौरभ शुक्ला ने खोला राजः संजय दत्‍त के साथी कैदी पर आधारित था भीखू म्हात्रे
EXCLUSIVE सौरभ शुक्ला ने खोला राजः संजय दत्‍त के साथी कैदी पर आधारित था भीखू म्हात्रे

नई दिल्ली [जेएनएन]। फिल्‍म ‘सत्‍या’ में कल्‍लू मामा के किरदार ने अभिनेता सौरभ शुक्‍ला को शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचाया था। वह फिल्‍म के सहलेखक भी थे। हालांकि वह फिल्‍म का लेखन नहीं करना चाहते थे। कल्‍लू मामा का किरदार निभाने की चाहत के चलते वह उसका सह लेखन करने को राजी हुए। यह रहस्‍योद्घाटन उन्‍होंने नौवें जागरण फिल्‍म फेस्टिवल (जेएफएफ) में सत्‍या के बीस साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित परिचर्चा के दौरान किया। कार्यक्रम का संचालन जेएफएफ के डायरेक्‍टर मयंक शेखर ने किया।

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सौरभ ने बताया कि बैंडिंट क्‍वीन करने के बाद शेखर कपूर मुझे एक सीरीज तहकीकात करने के लिए मुंबई लाए थे। मेरी मुलाकात सुधीर मिश्रा से हुई थी। सुधीर ने ‘इस रात की सुबह नहीं’ में मुझे रोल दिया। अनुराग कश्‍यप ने फोन पर बताया कि राम गोपाल वर्मा मुझसे मिलना चाहते हैं। उस समय मैंने 9 मालाबार हिल नामक सीरीज लिखी थी। मैं आलसी लेखक हूं।

सुधीर मिश्रा चाहते थे कि मैं उनकी फिल्‍म मेहरुनीसा लिखूं। मुझे आशंका थी कि रामू भी मुझ से फिल्‍म लिखने को कहे। पूरी रात मैं सोचता रहा कि किस तरह रामू इन्‍कार करुं। अगले दिन मैं रामू से मिलने पहुंचा। वहां पर मनोज बाजपेयी और अनुराग कश्‍यप भी थे। रामू ने मुझे कल्लू मामा का रोल करने को कहा, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। किरदार का नाम उन्‍होंने पहले से सोच रखा था। फिर उन्‍होंने कहा कि अनुराग ने बहुत सिफारिश की है कि आप फिल्‍म लिखें। अनुराग उस फिल्‍म पर रामू के साथ काफी अर्से से काम कर रहे थे। रामू कहानी के लिए नया नजरिया चाहते थे। तब अनुराग ने मेरे नाम का सुझाव दिया। मुझे लगा कि अगर मैंने लिखने से इन्‍कार किया तो किरदार निभाने का मौका गंवा दूंगा। मैंने लेखन में जुड़ने की सहमति दे दी।

 ...जब रामू को बनाया बेवकूफ
एक बार मुझे और अनुराग कश्‍यप को एक सीन लिखना था। उसके एक दिन पहले हम दोनों को पार्टी में जाना था। हम दोनों ने सीन की जिम्‍मेदारी एकदूसरे के कंधे पर डाल दी। उसके अगले दिन रामू ने हमसे सीन मांगा। मैंने अनुराग कश्‍यप से कहा कि तुम सीन सुनाओ। उसने कहा कि आप सीन सुनाओ। समझ आ गया कि हम दोनों ने ही सीन पर काम नहीं किया है। फिर मैंने कुछ कागज हाथ में लिए और राम गोपाल वर्मा को सीन सुनाया। रामू ने उसे सुनने के बाद कुछ बदलाव करने के सुझाव दिए। हम दोनों ने उसे सुना। जबकि हकीकत में वह कोरा कागज था।

संजय चाहते थे कि रामू अंडरवर्ल्‍ड पर फिल्‍म बनाएं
सत्‍या में भीखू म्‍हात्रे का किरदार जेल में संजय दत्‍त के साथी कैदी पर आधारित था। इस बात की पुष्टि सौरभ ने की। बकौल सौरभ,’ संजय और रामू काफी करीबी थे। सत्‍या से पहले रामू ने फिल्‍म ‘दौड़’ बनाई थी। संजय ने अपने जेल अनुभवों को रामू के साथ साझा किया था। संजय चाहते थे रामू अंडरवर्ल्‍ड पर फिल्‍म बनाएं।‘


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