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पहली बार ध्वजावाहक बने कप्तान मनप्रीत ने 41 साल बाद देश को किया गौरवान्वित, जीता ब्रॉन्ज मेडल

मनप्रीत सिंह छठे हॉकी कप्तान बने जिनको ध्वजवाहक बनने का सम्मान हासिल हुआ। वहीं भारत को पदक दिलाने वाले वह चौथे कप्तान बने। साल 1932 में लाल सिंह बोखारी को ओलिंपिक में भारत का झंडा लेकर चलने का सम्मान मिला था ।

By Viplove KumarEdited By: Published: Thu, 05 Aug 2021 11:10 PM (IST)Updated: Thu, 05 Aug 2021 11:10 PM (IST)
भारतीय हॉकी कप्तान मनप्रीत सिंह साथी खिलाड़ी के साथ- फोटो ट्विटर पेज

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारतीय हॉकी के लिए गुरुवार 5 अगस्त का दिन हमेशा के लिए यादगार बन गया। टोक्यो ओलिंपिक में भारत ने जर्मनी की टीम को हराते हुए टीम की खोई हुई साख को वापस हासिल करते हुए विश्व में अपना डंका बजाया। 5-4 की जीत के साथ भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ओलिंपिक में कांस्य पदक जीता और 41 साल से चले आ रहे सूखे को खत्म किया। इस जीत का श्रेय कप्तान मनप्रीत को भी जाता है जिन्होंने टीम इतनी अच्छी कप्तानी की। इस ओलिंपिक में उनको ध्वजवाहक बनने का भी गौरव दिया गया था।

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भारत ने गुरुवार को सुबह सुबह तमाम देशवसियों को जीत की सौगात से झूमने का मौका दिया। सेमीफाइनल में भले ही टीम को हार मिली हो लेकिन अपने मनोबल को उंचा रखते हुए टीम ने कांस्य पदक मुकाबले को जीता और पदक के साथ भारत लौटने का सपना पूरा किया। सिमरनजीत सिंह ने दो जबकि हार्दिक, हरमनप्रीत सिंह और रूपिंदर पाल सिंह ने एक- एक गोल किए।

कप्तान मनप्रीत बने हॉकी टीम के छठे ध्वजवाहक

इससे पहले भारतीय हॉकी टीम की तरफ से पांच कप्तानों के ध्वजवाहक बनने का मौका दिया गया था। मनप्रीत छठे हॉकी कप्तान बनने जिन्होंने यह सम्मान हासिल किया। वहीं भारत को पदक दिलाने वाले चौथे कप्तान बने। साल 1932 में लाल सिंह बोखारी को ओलिंपिक में भारत का झंडा लेकर चलने का सम्मान मिला था जबकि 1936 में मेजर ध्यानचंद ध्वजवाहक बने थे। 1952 और 1956 में बलबीर सिंह सीनियर को यह सम्मान मिला था। इन सभी कप्तानों ने भारत के लिए गोल्ड मेडल जीते थे।

1984 में जफर इकबाल को ध्वजवाहक बनने का मौका मिला था जबकि 1996 में परगट सिंह ने भारत का झंडा लेकर ओलिंपिक दल का नेतृत्व किया था। 2021 में भारत की तरफ से बॉक्सिंग चैंपियन एमसी मेरीकोम और हॉकी कप्तान मनप्रीत ने तिरंगा थाम कर मार्च किया।  


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