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Una News: विचाराधीन कैदी ने सीएम हेल्पलाइन पर की रोपड़ जेल में यातनाएं देने की शिकायत

हिमाचल प्रदेश के ऊना में विचाराधीन कैदी ने सीएम हेल्‍पलाइन पर रोपड़ जेल में यातनाएं देने की शिकायत की है। हालांकि जांच के उपरांत ही आरोपों की सच्चाई सामने आएगी। शनिवार को ही बलजीत उपचार करवाने के लिए रोपड़ के सरकारी अस्पताल में दाखिल हुआ है।

By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaPublished: Sun, 19 Mar 2023 09:19 AM (IST)Updated: Sun, 19 Mar 2023 09:20 AM (IST)
Una News: विचाराधीन कैदी ने सीएम हेल्पलाइन पर की रोपड़ जेल में यातनाएं देने की शिकायत
विचाराधीन कैदी ने सीएम हेल्पलाइन पर की रोपड़ जेल में यातनाएं देने की शिकायत

संवाद सहयोगी, टाहलीवाल (ऊना) : हरोली विधानसभा क्षेत्र के गांव बोलेवाल दुलैहड़ के रहने वाले बलजीत सिंह ने पंजाब की रोपड़ जेल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। विचाराधीन कैदी ने शनिवार को हिमाचल के सीएम हेल्पलाइन 1100 नंबर पर भी उसे यातनाएं देने पर जेल प्रबंधन की शिकायत की है। हालांकि जांच के उपरांत ही आरोपों की सच्चाई सामने आएगी। शनिवार को ही बलजीत उपचार करवाने के लिए रोपड़ के सरकारी अस्पताल में दाखिल हुआ है।

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बलजीत सिंह ने पत्रकारों को सौंपे प्रेस नोट में आरोप लगाया है कि रोपड़ जेल के अधिकारी व जेल कर्मियों ने उसे बुरी तरह पीटा व जातिसूचक शब्द कहते हुए पीठ पर गर्म चमचों से मुल्ला शब्द कुरेद दिया। बलजीत सिंह ने बताया कि मेरे साथ 15 मार्च को जेल प्रशासन ने ऐसे किया था। बलजीत की बहन की शादी है। इसलिए वह एक सप्ताह की पेरोल पर घर आया है। यहां उसने स्वजन को जेल में हुए कृत्य के बारे में बताया।

छह क्विंटल चूरा पोस्त के साथ पंजाब पुलिस ने पकड़ा था

बलजीत सिंह को पंजाब पुलिस ने वर्ष 2017 में लगभग छह क्विंटल चूरा पोस्त के साथ घनोली के पास गिरफ्तार किया था। तबसे वह रोपड़ जेल में बंद है। उसका मामला अदालत में चल रहा है। बलबीर सिंह ने पंजाब व हिमाचल सरकार से गुहार लगाई है कि जेल प्रबंधन के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाए। उधर, रोपड़ जेल के अधीक्षक सतनाम सिंह ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। ऊना के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीण धीमान ने कहा कि उनके पास अभी कोई शिकायत नहीं आई हैं। शिकायत आने पर इस मामले जांच की जाएगी।

प्रतिवेदन पर दो सप्ताह में निर्णय लेने का आदेश

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने लोक संपर्क विभाग के निदेशक को वेब मीडिया नीति पर आपत्ति दर्ज करने वाले प्रतिवेदन पर दो सप्ताह में निर्णय लेने का आदेश जारी किया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने पत्रकार संजय ठाकुर की याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश पारित किया। प्रार्थी ने अपनी याचिका में वेब मीडिया नीति पर आपत्ति दर्ज करते हुए आरोप लगाया है कि वेब मीडिया नीति 2022 में कई तरह की कमियां हैं।

जिनके चलते अपात्र और फर्जी न्यूज वेब पोर्टल अपना पंजीकरण करवा रहे हैं और विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर विज्ञापन लेने का काम कर रहे हैं। इस नीति के तहत न्यूज वेबसाइट को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है। ‘ए’ श्रेणी में वेबसाइट के हर माह न्यूनतम 50 हजार यूनिक विजिटर होने चाहिए। ‘बी’ श्रेणी में यह आंकड़ा 35 से 50 हजार का है। ‘सी’ श्रेणी में न्यूनतम 20 हजार यूनिक विजिटर रखा गया है।

फर्जी न्यूज वेब पोर्टल के आंकड़ों से छेड़छाड़ करना बहुत आसान

फर्जी न्यूज वेब पोर्टल को इन आंकड़ों से छेड़छाड़ करना बहुत आसान होता है। आनलाइन जानकारी हासिल करने वाला यह अंतर नहीं समझ पाता है कि जो सूचना उस तक पहुंच रही है, वो वास्तव में प्रमाणिक स्रोत से आ रही है या नहीं। इंटरनेट मीडिया को भी मुख्य मीडिया समझा जा रहा था। प्रार्थी ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि अपात्र और फर्जी न्यूज वेब पोर्टल को ब्लैक लिस्ट करने का आदेश दिया जाए व न्यूज वेब पोर्टल के पंजीकरण के लिए विभाग को पूर्ण प्रमाण विकसित करने का आदेश दिया जाए।

प्रार्थी ने कोर्ट को बताया कि इसी गुहार के साथ लोक संपर्क विभाग के निदेशक को प्रतिवेदन भी दिया है, जबकि विभाग ने उसके प्रतिवेदन का निपटारा किए बगैर न्यूज पोर्टल को पंजीकृत करने के लिए 15 मार्च, 2023 तक आवेदन आमंत्रित किए।


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