चीन विश्वास के लायक ही नहीं : कर्नल कुलदीप
तौर सैनिक उत्कृष्ट सेवाओं के लिए विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित कर्नल कुलदीप सिंह ने कहा चीन विश्वास करने लायक नहीं है।
संवाद सहयोगी, ऊना : बतौर सैनिक उत्कृष्ट सेवाओं के लिए विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित कर्नल कुलदीप सिंह ने कहा चीन विश्वास करने लायक नहीं है। दुखद है कि गलवान घाटी में भारतीय जवानों को चीन के विश्वासघात का शिकार होना पड़ा। 80 वर्षीय कर्नल कुलदीप ने वर्ष 1982 में प्री मेच्योर सेवानिवृत्ति ली थी। हाल ही में हुई झड़प के बाद उनमें भारी आक्रोश है। उम्र के इस पड़ाव में भी वह सीमा पर जाकर चीन से दो-दो हाथ करना चाहते हैं।
कुलदीप सिंह ने बताया कि 1967 से 1969 के बीच सिक्किम के नथुला में चीनी सैनिकों से कई बार आमना-सामना हुआ। एक ऑपरेशन के दौरान चीनी सैनिकों की 200-300 केजुएलिटी हुई थी। इस दौर में बतौर मेजर अल्फा ए कंपनी के 90 सैनिकों को कुलदीप लीड करते थे। कंपनी कमांडर चीनी सैनिकों के आगे बहादुरी से डटे रहने के लिए कुलदीप को टाइगर नथूला भी संबोधित करते थे।
एक वाक्या याद करते हुए कुलदीप ने बताया वर्ष, 1968-69 में चीनी सैनिकों को नथुला सेक्टर में अपनी योग्यता से दबा कर रखते थे। इसी दौर में जब चीनी सैनिकों ने सीमा पर अपना खूंटा एक तरफ से भारतीय सीमा की ओर गाड़ दिया तो मौके पर पहुंच उनसे सामना हुआ। चीनी सैनिकों के समक्ष पहुंचकर कुलदीप सिंह ने अपनी राइफल का बैनेट (राइफल के आगे लगा चाकू) चीनी सैनिक के गले पर रख दिया। उन्होंने भी जवाब में ऐसा ही किया, स्थिति तनावपूर्ण हो गई। डटकर उनके खूंटे उखाड़ चीनी सीमा के अंदर किए थे। कुलदीप ने कहा कि भारत तब भी मजूबत था और आज तो संसाधनों की कोई कमी नहीं है। बलिदान देने वाले सैनिकों की कुर्बानी का बदला भारत को लेना चाहिए।