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एक सोच सींच रही फुटबॉल की पौध, संजीव निखार रहे हुनर

training of Football. एक हार ने ईसपुर गांव में ग्रामीण प्रतिभाओं को फुटबॉल का मंच दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 23 Dec 2018 12:17 PM (IST)Updated: Sun, 23 Dec 2018 12:48 PM (IST)
एक सोच सींच रही फुटबॉल की पौध, संजीव निखार रहे हुनर

वीरेन पराशर, ऊना। खनन व्यवसाय से जुड़ा एक शख्स फुटबाल की नई पौध तैयार कर रहा है। विशेषकर महिला प्रतिभाएं तराशी जा रही हैं। श्री रुद्रा फुटबॉल क्लब के अध्यक्ष शाम पाठक ने सात लाख खर्च कर फुटबॉल मैदान बनाया है। यहां 70 लड़के-लड़कियां खेल की बारीकियां सीख रहे हैं।

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ऊना जिले के हरोली उपमंडल के गांव ईसपुर में श्री रुद्रा फुटबॉल क्लब में 20 लड़कियां और 50 लड़के फुटबॉल की बारीकियां सीख रहे हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोट्र्स (एनआइएस) पटियाला के प्रशिक्षित कोच उन्हें खेल के गुर सिखा रहे हैं। प्रशिक्षण पूरी तरह से नि:शुल्क है। यूनिफार्म से लेकर अन्य सभी प्रकार की खेल सामग्री भी क्लब देता है। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला ईसपुर के विद्यार्थियों को भी खेल से जोड़ा गया है। यह क्लब चार माह पहले शुरू हुआ है।

एक हार ने बदल दी सोच
एक हार ने ईसपुर गांव में ग्रामीण प्रतिभाओं को फुटबॉल का मंच दिलाने में अहम भूमिका निभाई। शाम पाठक बताते हैं, उन्हें हमेशा फुटबॉल का क्रेज रहा है। करीब एक साल पहले युवाओं की एक टीम कांगड़ा में स्पर्धा में भाग लेने गई थी। टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। उनके साथ गए मित्र विकास ठाकुर ने बातों ही बातों में जिक्र किया कि क्या हमारे क्षेत्र के खिलाड़ी फुटबॉलर नहीं बन सकते। यही बात उनके मन में बैठ गई। तभी से ठान लिया कि कुछ करना है। उन्होंने अपनी मशीनरी से खेल मैदान बनाना शुरू किया। उनके कई मित्र भी इस काम में जुड़ गए।

गाजियाबाद से मंगवाई घास
ईसपुर गांव में फुटबॉल ग्राउंड राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला की भूमि पर है। पहले यह ग्राउंड खेलने लायक नहीं था। शाम पाठक ने इस ग्राउंड में को समतल करवाया। बाद में यहां पर गाजियाबाद से मंगवाई घास लगाई। पानी के लिए हैंडपंप और एलईडी रोशनी की सुविधा भी उपलब्ध करवाई।

संजीव निखार रहे हुनर
एनआइएस पटियाला के प्रशिक्षित कोच संजीव ठाकुर खिलाडिय़ों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। रोजाना छुट्टी के बाद यहां विद्यार्थी प्रशिक्षण हासिल करते हैं। कुछ खिलाड़ी बाहर से भी आते हैं। पहले लड़कियों के मन में इस खेल को लेकर संकोच था और अभिभावकों को चिंता भी थी। बाद में क्लब और स्कूल प्रबंधन ने उनकी शंका दूर की। बस फिर लड़कियां भी मैदान में पहुंच गईं।

जानें, क्या कहती हैं खिलाड़ी
-कभी सोचा नहीं था कि मैं फुटबॉल खेलूंगी। स्कूल में प्रधानाचार्य ने शाम पाठक से मिलवाया। उन्होंने पूछा कि क्या वह फुटबॉल खेलेंगी, मेरे मन में झिझक थी, पर उन्होंने इस तरीके से प्रोत्साहित किया कि सारी शंकाएं दूर हो गईं। बस फिर क्या था, मैं फुटबॉल के मैदान में पहुंच गई।
-सीता, प्रशिक्षु खिलाड़ी
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पहले तो इसे सभी ने हल्के में लिया कि लड़कियां फुटबॉल खेलेंगी, लेकिन जिस तरह से रोजाना ट्रेनिंग हो रही है उससे सभी की धारणाएं बदली हैं। अभिभावक भी अब सहयोग कर रहे हैं। लड़कियों का आत्मविश्वास बढ़ा है। इस खेल में हुनर दिखाने के लिए तैयार हैं।
-दीक्षा, प्रशिक्षु खिलाड़ी
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प्रतिभाओं को सामने लाना है लक्ष्य : शाम
श्री रुद्रा फुटबाल क्लब के अध्यक्ष शाम पाठक ने कहा ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाओं को सामने लाकर मंच दिलाना उनका लक्ष्य है। इस कार्य में स्कूल प्रबंधन का सहयोग मिल रहा है। कई आर्थिक मदद कर रहे हैं। क्लब की प्रशिक्षण गतिविधियां सफल तरीके से चल रही हैं। आने वाले समय में प्रशिक्षु अच्छे परिणाम देंगे। यहां छात्रावास के साथ अकादमी संचालित करने की योजना है।
 


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