कथा में श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का बखान
अपर कोटला कलां के गुग्गा मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन शामानंद महाराज ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया।
जागरण संवाददाता, ऊना : अपर कोटला कलां के गुग्गा मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन शामानंद महाराज ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया। बताया चतुर्दशी के दिन पूतना आई और भगवान ने उसका उद्धार किया। इसके बाद जब भगवान तीन माह के हुए तो करवट उत्सव मनाया जा रहा था, तभी शकटासुर आया। भगवान ने संकट भंजन करके उस राक्षस का उद्धार किया। भगवान श्रीकृष्ण ने माखन चोरी लीला की। इसके बाद काली नाग का वध कर यमुना को मुक्त किया। गोचरण लीला एवं गो पूजन करके प्रभु श्रीकृष्ण ने यह संदेश दिया गोमाता में सभी देवी-देवताओं का निवास है। इसलिए जो मनुष्य गो सेवा करेगा उसको सहज ही जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त होगी। जब लोगों ने इंद्र की पूजा की तो भगवान ने उसे रोकते हुए गिरिराज गोवर्धन की पूजा करने के लिए कहा। इससे इंद्र क्रोधित हो गए तथा खूब बारिश हुई, तब भगवान ने ब्रजवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली में धारण कर लिया। श्रीकृष्ण का प्रत्येक रूप मनोहारी है, उनका बालस्वरूप तो इतना मनमोहक है कि वह बचपन का एक आदर्श बन गया है। इसीलिए जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के इसी रूप की पूजा-अर्चना की जाती है।