अहंकार है मानव के दुखों का कारण
विचारक यशपाल कौल ने कहा मनुष्य जिस तरह की संगति करता है, उसका मन भी उसी प्रकार का हो जाता है।
संवाद सहयोगी, ¨चतपूर्णी : विचारक यशपाल कौल ने कहा मनुष्य जिस तरह की संगति करता है, उसका मन भी उसी प्रकार का हो जाता है। जैसी आदमी बैठक करता है, मन भी उसी अनुरूप प्रवाहित होता चला जाता है। जीवन को कुछ नियमों से बंधा होना चाहिए, लेकिन अधिकतर मनुष्य सिर्फ समय व्यतीत करने के लिए गलत संगति में पड़ जाते हैं और यही उनके पतन का कारण होता है। सही मायनों में व्यक्ति का मन ही उसे स्वर्ग या नरक में लेकर जाता है। जीवन में अगर सत्संग किया जाए और धर्म के मार्ग पर चला जाए तो ऐसी कोई बात नहीं कि वह मनुष्य अपनी मंजिल तक न पहुंच सके। नारी-¨चतपूर्णी में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में श्रद्धालुओं को प्रवचन देते हुए कहा जो व्यक्ति जितना अधिक हासिल कर लेता है, उतना ही उसके भीतर अहंकार हो जाता है। दरअसल अहंकार ही मनुष्य के कई कष्टों का कारण बनता है। इसलिए अच्छे संकल्प करो ताकि अच्छे मार्ग पर चलना संभव हो सके। प्यार करने योग्य भगवान ही हैं। उसी की प्रीति सच्ची है। सबके बदल जाने पर भी परमात्मा नहीं बदलने वाले हैं। ऐसे में उसी को पकड़ो, जो कभी छोड़ने वाला नहीं है। उपहार लेना हो तो इसी विश्वास के साथ लेना चाहिए कि उसे समय रहते चुकता कर दिया जाएगा अन्यथा उपहार के साथ मानव का नैतिक मूल्य भी गिर जाएगा।