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चरित्र व व्यवहार मनुष्य को पशु श्रेणी से अलग करते हैं

विचारक मौनी बाबा ने कहा यह संसार व पृथ्वी करोड़ों वर्षो से अस्तित्व में हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 06:28 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 06:28 PM (IST)
चरित्र व व्यवहार मनुष्य को पशु श्रेणी से अलग करते हैं
चरित्र व व्यवहार मनुष्य को पशु श्रेणी से अलग करते हैं

संवाद सहयोगी, ¨चतपूर्णी : विचारक मौनी बाबा ने कहा यह संसार व पृथ्वी करोड़ों वर्षो से अस्तित्व में हैं। इस संसार में कई आए और कई गए, लेकिन पृथ्वी पर जीवन का चक्र यूं ही चलता आ रहा है। संक्रांति के अवसर पर नारी-¨चतपूर्णी गांव में आयेाजित कार्यक्रम में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा अहंकार, लोभ, काम, मोह और क्रोध से मनुष्य पूरा जीवन भर जकड़ा रहता है। उसे यह जिज्ञासा ही नहीं होती है कि वह इस संसार में क्यों आया है। धन, प्रतिष्ठा व मोह की चकाचौंध में वह जीवन का मुख्य मूल मंत्र तो भूल ही जाता है, अगर इतनी बात का सच समझ आ जाए तो फिर इन चीजों से पैदा होने वाले वियोग, कुंठा या दुख का स्थान ही जीवन में शेष नहीं बचता है। इसी को ज्ञान दृष्टि कहते हैं। कहा मनुष्य जीवन की निजी आवश्यकताएं बेहद कम हैं, लेकिन शायद मानव स्वभाव ही ऐसा है कि वह संग्रहण के चक्कर में पड़ जाता है और अधिक से अधिक बटोरने की इच्छा से अपना मानसिक सुख चैन खो बैठता है। संसार में प्रगति और समृद्धि के लिए व्यक्ति को अपने आपसे धोखा नहीं देना चाहिए। मानव जीवन का सदुपयोग मात्र दो विषयों में है। एक तो वह अपने आपको मानवीय गरिमा के अनुरूप गुण कर्म व स्वभाव में ढाले। मनुष्य अपना आत्म-सुधार करके सच्चे अध्यात्म के रास्ते पर प्रवेश करके परमात्मा को खोज सकता है। दूसरे विषय का जिक्र करते हुए कहा कि ¨चतन, चरित्र व व्यवहार से मनुष्य पशु की श्रेणी से अलग हो जाता है। तृष्णा, वासना व अहंकार का बोलबाला मन को भगवान से दूर ले जाता है।

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