इंसानों की चौखट पर भूख से परेशान बेजुबान
भूख व प्यास सबको लगती फिर चाहे वह इंसान हो या बेजुबान। कोरोना के कारण जिले में कर्फ्यू लगा यह भला बेसहारा पशुओं को कौन समझाए।
राजेश डढवाल, ऊना
भूख व प्यास सबको लगती, फिर चाहे वह इंसान हो या बेजुबान। कोरोना के कारण जिले में कर्फ्यू लगा, यह भला बेसहारा पशुओं को कौन समझाए। इन हालात में बेसहारा पशु भी भूख से बेहाल हैं। चाहे वो बेसहारा गोवंश हो या फिर आवारा कुत्ते। इन जानवरों के लिए कोई व्यवस्था न पहले थी न अब। हालात ऐसे हैं कि सड़कों पर भटक रहा गोवंश अब घरों की दहलीज पर दस्तक देने लगा है। आवारा कुत्ते झुंड बनाकर गलियों-मोहल्लों में लोगों के घरों के पास इंतजार करते दिख रहे कि कोई आए और भूख मिट सके।
इंसानों के लिए पुलिस प्रशासन हर प्रकार की व्यवस्थाओं में जुटा है। ऐसे में कई दिन से भूखे इन बेजुबानों की सुध लेने वाला अब तक आधिकारिक तौर पर कोई सामने नहीं आया है। तमाम सामाजिक संगठन जिम्मेदारियों को निभाते हुए गरीबों को खाना खिला रहे हैं। कर्फ्यू की स्थिति में इन बेजुबानों की सुध लेने वाला कोई नहीं। बाजारों में होटल, खाने पीने की दुकानें बंद हैं। सब्जियों की दुकानें भी कुछ वक्त के लिए खुलती और बंद हो जाती हैं। ऐसे में उन मवेशियों और आवारा जानवरों के खाने के लाले पड़ गए हैं जो बाजार या सड़कों पर जूठन या गिरी पड़ी सब्जियों और दूसरों के द्वारा दिए भोजन पर निर्भर होते हैं।
भूख से अवारा कुत्ते परेशान हैं। कूड़ेदानों में खाना तलाशने पर भी उन्हें खाना नहीं मिल रहा है। सरकार गरीबों और असहाय लोगों को फूड किट का इंतजाम कर देने की बात कर रही है, वहीं सड़कों और बाजारों में घूमते जानवरों को खाने के लाले पड़ गए हैं। एक-एक निवाले के लिए मोहताज इन जानवरों को भी भोजन की जरूरत है। पशु विशेषज्ञ भी मानते हैं कि भूख से परेशान ऐसे जानवरों की मनोदशा ठीक नहीं है।