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गगरेट के ल्यूमिनस उद्योग पर संकट

औद्योगिक क्षेत्र गगरेट के सबसे बड़े उद्योग ल्यूमिनस के यूनिट दो पर खतरा मंडराने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 08:02 PM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 08:02 PM (IST)
गगरेट के ल्यूमिनस उद्योग पर संकट
गगरेट के ल्यूमिनस उद्योग पर संकट

अविनाश विद्रोही, गगरेट

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औद्योगिक क्षेत्र गगरेट के सबसे बड़े उद्योग ल्यूमिनस के यूनिट दो पर संकट मंडराने लगा है। कामगार हर दिन काली पंट्टी बांधकर उद्योग में आ रहे हैं लेकिन कोई काम नहीं कर रहे हैं। इस कारण उत्पादन में काफी कमी आ गई है। इससे उद्योग बंद होने की कगार पर है।

उद्योग प्रबंधन ने करीब दो माह पहले 12 लोगों को तमिलनाडु में स्थित दूसरे यूनिट में डेपुटेशन पर भेजा था। लेकिन वे वहां नहीं गए। करीब 70 कामगारों ने यूनियन बनाकर 12 लोगों को वापस गगरेट स्थित उद्योग में रखने की मांग उठाई लेकिन उद्योग प्रबंधन ने इन्कार कर दिया। ल्यूमिनस यूनिट 2 में करीब 900 कामगार कार्यरत हैं।

उद्योग प्रबंधन ने यूनियन के बढ़ते दबाव को देखते हुए अंदरखाते यूनिट को अन्यत्र ले जाने का निर्णय लिया है। लेकिन इस बारे में उद्योग प्रबंधन कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहा है। उद्योग में दो माह से उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। जहां एक दिन में करीब 40 ट्रक इस उद्योग से भरकर बाहर जाते थे लेकिन अब मात्र दो या तीन ही जा रहे हैं। यदि उद्योग बंद हुआ तो हजारों लोग प्रभावित होंगे।

ये हैं कामगारों की मांगें

-डेपुटेशन पर भेजे गए 12 लोगों को वापस गगरेट स्थित यूनिट में रखा जाए।

-माह वेतन न रोका जाए।

-ड्यूटी में तीन माह की संलग्नता जारी रखी जाए।

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12 लोगों को तमिलनाडु स्थित उद्योग में डेपुटेशन पर भेजा है। इसके विरोध में उद्योग में कार्यरत कुछ लोगों ने यूनियन बना दी है। इसका उत्पादन पर असर पड़ा है। कंपनी यूनिट दो को बंद करती है या नहीं इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। कंपनी किसी भी तरह के विवाद से दूर रहना चाहती है। भविष्य में कुछ भी निर्णय लिया जा सकता है।

-अरुण राघव, वाइस प्रेजिडेंट, ल्यूमिनस उद्योग

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कंपनी व कामगारों के मध्य समझौता न होने से मामला लेबर कमिशनर शिमला के पास चला गया है। यदि कंपनी मांगें मान ले तो काम पर वापस चले जाएंगे।

-मनोज कुमार, प्रधान, कामगार यूनियन, ल्यूमिनस उद्योग

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मालवाहकों को काम न मिलने से गगरेट के ट्रक ऑपरेटर परेशान हैं। लोगों ने इस उद्योग के भरोसे एक से दो ट्रक लिए थे। क्योंकि काम बहुत मिल रहा था। लेकिन अब उत्पादन में कमी होने से ट्रक की किस्त निकालना भी मुश्किल हो रहा है।

- सतीश गोगी, प्रधान, ट्रक यूनियन गगरेट


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