सात समंदर पार से खींच लाती है माटी की सुगंध
अमेरिका में रह रहे जय चौधरी ऊना में समाजसेवा के कार्यों में देते हैं योगदान दुनिया के अमीर लोगों की सूची में हैं शामिल।
ऊना, जेएनएन। इन्सान चाहे दुनिया के किसी भी कोने में रहे, अपनी माटी की सुगंध वह हर समय महसूस करता है। दुनिया के अमीर लोगों की सूची में शामिल जय चौधरी को जब भी वक्त मिलता है, वह भारत आते हैं। अपने पैतृक गांव पनोह में समय व्यतीत करना नहीं भूलते। यहां पर वह समाज सेवा के कार्यों में भी बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। 60 वर्षीय जय चौधरी वर्तमान में अमेरिका के धनी लोगों में से एक हैं। उनके पास इस समय 21 हजार 300 करोड़ रुपये की संपत्ति है। वह मूलरूप से ऊना के पनोह के गांव के रहने वाले हैं। साइबर सिक्योरिटी कंपनी जीस्केलर के संस्थापक चौधरी की प्रतिभा ने दुनिया को मुरीद बनाया है। इस शख्स ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई से लेकर बनारस में बीटेक करने के बाद अमेरिका में अपना मुकाम पाया। उनकी कंपनी जीस्केलर की वैल्यू 3.4 अरब डॉलर है।
भाई कामयाब है पर इतना, यह नहीं था पता : दलजीत
जय चौधरी के भाई दलजीत चौधरी बताते हैं कि उनका भाई कामयाब है, यह तो उन्हें पता था लेकिन इतने बड़े स्तर पर सफलता पा ली है, यह जानकारी नहीं थी। बचपन से ही जय चौधरी कुशाग्र बुद्धि के थे। जय चौधरी की सफलता ऊना, हिमाचल और भारत के लिए गौरवमयी है।
ऐसे तय किया सफलता का सफर
जय चौधरी ने सफलता का सफर पनोह गांव से तय किया। उनका जन्म किसान भगत सिंह और सुरजीत कौर के घर हुआ। तीन भाई और तीन बहनों में वह तीसरे पायदान पर हैं। सरकारी स्कूल धुसाड़ा से मैट्रिक की पढ़ाई की। प्रदेश भर में दूसरा स्थान पाया। जबकि प्री यूनिवर्सिटी ऊना कॉलेज से की और प्रथम स्थान झटका। इसके आधार पर उन्हें बनारस यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला। वहां से उन्होंने बीटेक किया। उनका चयन अमेरिका में पढ़ाई के लिए हुआ। 1983 में वहां एमटेक की और फिर नौकरी। वह यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, इंडस्ट्रियल इंजीनिर्यंरग और कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स डिग्री व हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में भी पढ़ाई कर चुके हैं। दस साल पहले जीस्केलर की स्थापना करने से पूर्व वह चार अन्य साइबर स्टार्टअप बेच चुके हैं। वह अपने काम के इतने हुनरबाज हैं कि उनकी कंपनी के शेयर एक ही दिन में 22 फीसद तक के उछाल पा चुके हैं।
हर साल आते हैं घर
जय चौधरी को आज भी अपने गांव से प्यार है। वह साल में एक बार जरूर गांव आते हैं। सरकारी स्कूलों के स्तर को सुधारने व अन्य सुविधाओं को लेकर आर्थिक रूप से योगदान करते रहते हैं। उन्होंने पनोह स्कूल में भवन निर्माण के लिए पांच लाख, धुसाड़ा स्कूल के लिए दो लाख रुपये की आर्थिक मदद दी थी। वहीं स्कूलों व मंदिरों में वाटर कूलरों के लिए 10 लाख रुपये दिए थे। उन्होंने स्कूल डेवलपमेंट ट्रस्ट भी बनाया है जिसके माध्यम से वे आर्थिक मदद देते हैं। वे अपने माता-पिता को अपने साथ अमेरिका ले गए हैं। जबकि उनकी बेटी की शादी हो चुकी है। दो बेटे कंपनी में सहयोग करते हैं। इसके साथ ही जय चौधरी के एक भाई व उनका परिवार भी अमेरिका में बस चुका है। उनके बड़े भाई दलजीत चौधरी प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए हैं और ऊना शहर में रहते हैं।