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इस तरीके से रुक सकेंगे पशुओं से होने वाले सड़क हादसे, आप भी जान होंगे हैरान

बेसहारा पशुओं से होने वाले सड़क हादसों को रोकने के ह‍िमाचल प्रदेश के ऊना ज‍िले के एक पशु च‍िक‍ित्‍सक व उनकी टीम ने नया तरीका अपनाया है।

By Munish DixitEdited By: Published: Tue, 08 Jan 2019 05:12 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jan 2019 05:53 PM (IST)
इस तरीके से रुक सकेंगे पशुओं से होने वाले सड़क हादसे, आप भी जान होंगे हैरान
इस तरीके से रुक सकेंगे पशुओं से होने वाले सड़क हादसे, आप भी जान होंगे हैरान

ऊना [वीरेन पराशर]। सड़कों पर बेसहारा पशुओं का विचरण गंभीर समस्या बनता जा रहा है। इन्सान ही नहीं बेसहारा पशु भी आए दिन हादसों का शिकार हो रहे हैं। राज्य में इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए कई योजनाएं बनी लेकिन हादसे कम नहीं हो पा रहे हैं। लोगों का सफर सुरक्षित हो और पशु भी हादसों का शिकार न हों, इसके लिए डॉ. सत‍िंद्र ठाकुर व उनकी टीम ने नया तरीका अपनाया है।

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ह‍िमाचल प्रदेश के ऊना जिले के बंगाणा में बेसहारा पशुओं को रेडियम के पट्टे पहनाए जा रहे हैं। इसका लाभ है कि अगर रात को कोई बेसहारा पशु सड़क पर हो और सामने से वाहन आ जाए तो वाहन की रोशनी से बेसहारा पशु के गले में डाला गया पट्टा चमक उठता है। इससे हादसा होने की संभावना नहीं रहती है। बेसहारा पशुओं के गले में रेडियम का पट्टा पहनाने का काम बंगाणा में पशु चिकित्साधिकारी डॉ. सत‍िंद्र ठाकुर और उनके कर्मचारियों की समिति कर रही है।

अब तक क्षेत्र में दो सौ के करीब बेसहारा पशुओं को रेडियम के पट्टे पहनाए जा चुके हैं। अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम अपने नियमित काम के अलावा इसके लिए अलग से समय निकाल रही है। हालांकि यह कोई सरकारी योजना नहीं है, बल्कि अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम संयुक्त रूप से राशि जुटाकर इस काम को अमलीजामा पहना रही है।

तीन माह पहले शुरू हुआ काम
करीब तीन माह पहले रेडियम के पट्टे पशुओं के गले में डालने का काम शुरू हुआ। पशु चिकित्सक डॉ. सङ्क्षतद्र ठाकुर ने सड़कों पर बेसहारा पशुओं को हादसों का शिकार होते देखा। इसके बाद उन्होंने इस योजना पर मंथन किया। बाद में उनके साथ डॉ. अभिनव सोनी, डॉ. राजेश जंगा, डॉ. निखिल, चीफ फार्मासिस्ट रामलोक सहित तिलक राणा, केशव, नरेश, भीम, सुरेश, सुमित, नंदलाल, अर्जुन, वीरेंद्र, बलवीर, चरणदास, सपना, भुवनेश, सुभाष, हितेश, वीर बहादुर, रोहित आदि कर्मचारियों ने मिलकर कुछ अलग करने की योजना बनाई। अधिकारियों व कर्मचारियों ने आपसी समन्वय से राशि एकत्रित की और इस काम को शुरू किया। बेसहारा पशुओं के गले में पट्टे डालने का काम जारी है।

सड़क पर हादसों की एक बड़ी वजह वाहनों और बेसहारा पशुओं के बीच टक्कर होना है। ऐसे हादसों में इंसानों और बेसहारा पशुओं को अपनी जान तक गंवानी पड़ती है। इस प्रयास के माध्यम से हादसों को रोकने में मदद मिली है। इस कोशिश ने बेसहारा पशुओं के प्रति सोच में बदलाव लाने में भी भूमिका निभाई है। लक्ष्य है कि क्षेत्र के सभी बेसहारा पशुओं को रेडियम के पट्टे पहनाए जाएं और ऐसे हादसों को पूरी तरह रोका जाए।-डॉ. सत‍िंद्र ठाकुर , उपमंडल पशु चिकित्साधिकारी।


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