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चीड़ प्रजाति के पेड़ों का होगासंरक्षण

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा शनिवार को पेश किए गए बजट से ¨चतपूर्णी, कुटलैहड़ और गगरेट के भूभाग में फैली वन्य संपदा के संरक्षण को भी बल मिला है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 05:05 PM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 05:05 PM (IST)
चीड़ प्रजाति के पेड़ों का होगासंरक्षण
चीड़ प्रजाति के पेड़ों का होगासंरक्षण

नीरज पराशर, चिंतपूर्णी

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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा शनिवार को पेश किए गए बजट से ¨चतपूर्णी, कुटलैहड़ और गगरेट के भूभाग में फैली वन्य संपदा के संरक्षण को भी बल मिला है। विशेष रूप से फायर सीजन के दौरान धू-धूकर जलने वाले चीड़ के पेड़ों को आग से बचाने के लिए भी इस बजट में प्रावधान किया गया है। सरकार द्वारा चीड़ के पेड़ की पत्तियों पर आधारित 25 लघु उद्योगों को अनुदान मुहैया करवाने से पेड़ों के सुरक्षित रहने की संभावना बढ़ जाएगी। ग्रामीणों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे और वे चीड़ की पत्तियां एकत्रित करके इन उद्योगों को देगें, तो गर्मी के मौसम में पेड़ के नीचे पत्तियां न होने से आग लगने की संभावनाएं भी बेहद कम हो जाएंगी।

चिंतपूर्णी की घंगरेट से लेकर सोहारी टकोली तक के क्षेत्र में चीड़ के पेड़ों का अत्याधिक घनत्व है या यूं कह लें कि जंगलों का 70 फीसद से ज्यादा का हिस्सा चीड़ के पेड़ों से ही ढका है। ठीक इसी तरह कुटलैहड़ क्षेत्र की डुमखर और बंगाणा बेल्ट में भी चीड़ प्रजाति के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं। गगरेट क्षेत्र की पंजाब से सटी सीमा के जंगलों में भी चीड़ के पेड़ बड़ी मात्रा में हैं। विडम्बना यह है कि मार्च के दूसरे पखवाड़े में चीड़ के जंगलों में आगजनी की घटनाएं बड़े पैमाने पर होती हैं। यही कारण है कि जिला ऊना के इन जंगलों में चीड़ प्रजाति के पेड़ों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। वहीं जिला के जंगलों में कांग्रेस घास के बढ़ने से भी पेड़-पौधों के विकास में जहां रुकावट आ रही है, वहीं फायर सीजन के दौरान यही घास आग में घी का काम करती है। प्रदेश सरकार द्वारा लैंटाना उन्मूलन के लिए रखे गए अतिरिक्त बजट से वन्य क्षेत्र सुरक्षित रहेगा।

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पंचायत प्रतिनिधियों में खुशी

प्रदेश सरकार द्वारा बजट में जंगलों में आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की घोषणा से भी पर्यावरणविद् और पंचायत प्रतिनिधि प्रसन्नता जाहिर कर रहे हैं। पंचायत प्रतिनिधि अवतार ¨सह, बलजीत ¨सह, गुरमीत कौर, नरेंद्र कालिया, राजेन्द्र ¨सह, जीवन कुमार, सुमन कुमारी, अंजना देवी, वीना देवी, सुरिन्द्र कुमार ने बताया सरकार द्वारा बजट में रखे गए इस प्रावधान के बाद जंगलों को काफी हद तक सुरक्षित रखा जा सकेगा।

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बजट में की गई घोषणा से जिला के जंगल निश्चित रूप से संरक्षित होंगे। चीड़ की पत्तियों पर लघु उद्योग लगाने व अनुदान देने का भी सकारात्मक असर पड़ेगा। इस संबंध में वन विभाग भी प्रयासरत रहेगा कि जिला ऊना में चीड़ की पत्तियों पर आधारित ज्यादा से ज्यादा लघु उद्योग लगें, जिससे स्थानीय वासियों को रोजगार के अवसर मिलेंगे, साथ में वन संपदा भी सुरक्षित रहेगी। कांग्रेस घास के उन्मूलन से भी जंगलों का उद्धार होगा।

यशुदीप ¨सह, डीएफओ।


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