चिंतपूर्णी क्षेत्र में रोपे जाएंगे एक लाख पौधे
फायर सीजन में चितपूर्णी के जंगलों को सुरक्षित रखने के बाद अब वन विभाग ने जुलाई से पौधारोपण करने की तैयारी कर ली है।
जागरण टीम, चितपूर्णी : फायर सीजन में चितपूर्णी के जंगलों को सुरक्षित रखने के बाद अब वन विभाग ने जुलाई से पौधारोपण करने की तैयारी कर ली है। चितपूर्णी के सलोई स्थित पौधशाला में नई पौध तैयार हो चुकी है और मानसून के आने के कुछ समय बाद विभाग एक लाख से ज्यादा नए पौधे क्षेत्र में रोपित करने जा रहा है। जिसमें अकेले नए क्षेत्र की 81 हेक्टेयर जमीन में ही विभाग ने 68,000 पौधे रोपने का लक्ष्य रखा है। गैर वन भूमि में 16,000 और जिस जगह पर पहले भी पौधारोपण किया गया है और पौधारोपण की सफलता दर कम रही है, वहां भी 27,000 पौधे रोपित किए जाएंगे। इसके अलावा जनसहभागिता अभियान के तहत तीन हजार पौधे आम जनता के बीच बांटे जाएंगे।
आबादी के नजदीक पहुंच रहे वन्य जीवों और जंगली जानवरों को दोबारा जंगल में रहने की आदत डालने के लिए वन विभाग ने नई रणनीति तैयार की है। औषधीय व इमारती लकड़ी वाले पौधों के साथ फलदार पौधे भी जंगलों में विभाग रोपेगा। पहले चरण में वन विभाग की नर्सरी में हरड़, बेहड़, सागवान, किक्कर, शीशम, चीड़, खैर, तुना स्लेटा, अर्जुन, दरेक और कचनार जैसे पौधे रोपने के लिए तैयार है तो आंवला, आम, अनार और अमरूद जैसे पौधे भी जंगल में रोपे जाएंगे।
लोहारा का वन्य क्षेत्र जिला ऊना में सर्वाधिक घनत्व वाला जंगल है। इस क्षेत्र के भगड़ाह, आरनवाल, मवा, सारढ़ा, चौआर, गुरेट और किन्नू में कई मील में वन्य क्षेत्र फैला हुआ है लेकिन वन संपदा घटने के कारण जंगलों में वन्य जीवों को अपना पेट भरने के लिए कुछ भी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में बंदरों सहित अन्य जंगली जानवरों ने जहां आबादी की तरफ रुख करना शुरू कर दिया है, वहीं फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। विभाग ने विभिन्न प्रजातियों के पौधों को रोपित करने की योजना तैयार की है। भरवाई रेंज अधिकारी प्यार सिंह ने बताया कि वन्य क्षेत्र में एक लाख के करीब पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया है।