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कोरोना से लड़ाई के लिए आयुर्वेद का सहारा

राजेश शर्मा ऊना कोरोना से लड़ने के लिए लोग भी अब खुद तैयार हो चुके हैं। देसी नुस्खे और

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Jun 2020 06:31 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 06:31 PM (IST)
कोरोना से लड़ाई के लिए आयुर्वेद का सहारा
कोरोना से लड़ाई के लिए आयुर्वेद का सहारा

राजेश शर्मा, ऊना

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कोरोना से लड़ने के लिए लोग भी अब खुद तैयार हो चुके हैं। देसी नुस्खे और आयुर्वेद पद्धति के सहारे इस महामारी का मुकाबला किया जा रहा है। आयुष मंत्रालय के सुझाव के बाद आयुर्वेद महकमे का काढ़ा तो काफी मशहूर हुआ, लेकिन अब स्वयं लोग ऐसा काढ़ा बनाने में जुट गए हैं। दैनिक जागरण ने जिला ऊना में पंसारी और कुछ किराने के परचून व थोक व्यापारियों की सहायता से आंकड़े भी जुटाए गए। इसमें हैरान कर देने वाली बात थी कि कुछ ऐसे मसालों की डिमांड कई गुणा अचानक बढ़ गई, जिनकी लागत बहुत कम थी। कोरोना को भगाने और इम्युनिटी स्ट्रांग करने के लिए देसी हल्दी को रामवाण बताया गया है। इस देसी हल्दी की डिमांड तो बढ़ गई है, लेकिन ऊना जिले के पंसारी की दुकानों में देसी हल्दी का स्टाक फिलहाल बहुत कम बचा है अथवा समाप्त हो चुका है। कोरोना को भगाने के लिए तथा परिवार के सदस्यों की इम्युनिटी पावर बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक पद्धति का सहारा लिया जा रहा है। कुछ मसाले और औषधियों का पहले सेवन नाममात्र करते थे, लेकिन अब मजबूरी में यह सामग्री घर की प्राथमिकता में शुमार है। घर में रसोई का बजट जरूर बढ़ गया है। जिस सामग्री से महीने भर का काढ़ा तैयार किया जा रहा है, यह बाजार से रेडिमेड काढ़े से काफी सस्ता पड़ रहा है।

विजय शर्मा, वार्ड एक, ऊना देसी जड़ी बूटी पर आधारित औषधीय गुणों वाले उत्पादों की डिमांड बढ़ गई है। हल्दी और उससे बने प्रोडक्ट लोग मांग रहे हैं। यहां तक कि कच्ची हल्दी व देसी हल्दी की डिमांड इतनी हो चुकी है कि लोगों की डिमांड को पूरा करने के लिए लोकल कई किसानों से संपर्क करके स्टाक पूरा किया जा रहा है।

संजय कुमार, योग शिक्षक एवं आयुर्वेद आधारित औषधी विक्रेता काली मिर्ची, हल्दी, मग, मुनक्का, सौंठ, मीठी सौंफ व कड़वी सौंफ, दालचीनी, छोटी इलायची, ग्लोय, तुलसी व मसाला चाय की डिमांड पहले से पांच गुणा बढ़ गई है। लोग अपनी महीने के राशन की सूची में अब प्राथमिकता ऐसे सामान को दे रहे हैं। हालांकि इसमें डिमांड बढ़ने के बाद ऐसे मसालों के दाम स्थिर हैं। राजेश कुमार, परचून किराना विक्रेता ऊना

मसाला चाय, सौंठ, काली मिर्च, दालचीनी की डिमांड पहले से करीब चार गुणा से अधिक है। वे अपने सप्लाई क्षेत्र में औसतन महीने के दो टूर में दो सौ किलोग्राम काली मिर्ची की सप्लाई कर रहे हैं। हालांकि पहले ही यह सप्लाई चालीस से पचास किलोग्राम होती थी। इसके अलावा साबुन दोगुना और फिनाइल की डिमांड भी पांच गुणा बढ़ गई है। विनय आंगरा, किराना के थोक विक्रेता लोगों को अपनी इम्युनिटी स्ट्रांग करने के लिए सौंठ, काली मिर्च, दालचीनी, ग्लोय आदि औषधी से बना काढ़ा इस्तेमाल करना चाहिए। इसे घर में ही आसानी से तैयार किया जा सकता है। इससे कोरोना होने के बहुत कम लक्षण होते हैं। आयुर्वेद विभाग द्वारा भी यह काढ़ा तैयार कराया गया है।

डॉ. राजेश कुमार, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सक ऊना


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