मां की आह में भी वाह होती है
दुनिया में मां और बेटे से बढ़कर कोई रिश्ता नहीं माना जाता लेकिन मां भी जब बेटों से दुखी हो जाए तब कोई दूसरा रास्ता नजर नहीं आता।
अविनाश विद्रोही, गगरेट
दुनिया में मां और बेटे से बढ़कर कोई रिश्ता नहीं माना जाता लेकिन मां भी जब बेटों से दुखी हो जाए तब कोई दूसरा रास्ता नजर नहीं आता। ममता की छांव में पलने वाले अपने दिल के टुकड़ों को जब खुद पुलिस के सुपुर्द करना पड़े। थाना गगरेट के तहत पड़ते एक गांव में ऐसा ही मामला सामने आया है। जब मां ने अपने जिगर के टुकड़ों को सद्बुद्धि देने के लिए पुलिस का सहारा लेकर उन्हें थाने की हवा खिलवाई।
मामला कुछ यूं हुआ कि गगरेट थाने के तहत पड़ते एक गांव में दो भाई प्रतिदिन नशे में धुत होकर अपने घर मे ही हुड़दंग मचाते थे। कई बार समझाने पर भी वे नहीं समझे। इस पर मां ने अपने दिल पर पत्थर रखकर अपने लाडलों का भविष्य सुधारने के लिए पुलिस की मदद ली। जिस पर गगरेट थाना प्रभारी नंदलाल इंदौरिया ने मंगलवार रात को ही उनके खिलाफ नशे में हुड़दंग मचाने का मामला दर्ज कर कार्रवाई की। बुढ़ापे में सहारा बनने वाले बेटों के इस तरह के बर्ताव से सभी क्षुब्ध हैं। मां के शब्द मात्र से ही ममता की अनुभूति होनी शुरू हो जाती है परंतु कलियुगी पुत्र नशे में मां की ममता को ही अनदेखा कर समाज को कलंकित करने में परहेज तक नहीं करते। आखिर मां के सब्र का भी घड़ा कब तक नहीं भरेगा। अपने बेटों का सद्बुद्धि देने के लिए एक मां किसी भी प्रकार के कठोर कदम उठाने से परहेज नहीं करती।
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आखिरी सहारा सिर्फ पुलिस
जब भी किसी तरह की मुसीबत होती है तब सिर्फ पुलिस नजर आती है। समाज की तमाम गालियां खाने के बाद भी हर जगह पुलिस नजर आती है। इस मामले में एक मां ने तंग होकर अपने जिगर के टुकड़े के लिए फरियाद पुलिस के पास लगाई। पुलिस द्वारा भी इस मामले में पूरी गंभीरता से काम किया गया और उन दोनों भाइयों पर न सिर्फ शराब छोड़ने का दबाव डाला, चुनाव आचार संहिता में शांती भंग करने के कारण एक साल का बांड भी इस मामले में इन दोनों पर लग गया। इसमें अब एक साल तक दोनों पर प्रतिबंध लग गया है। इस तरह के किसी भी मामले में यदि दोबारा पाए जाते हैं तो बड़ी कठोर कार्रवाई होगी।