न्यू विशाल हिमाचल गुड्स परिवहन सहकारी सभा की कार्यकारिणी भंग
प्रदेश उच्च न्यायालय और पंजीयक सहकारी सभा के आदेश न मानने पर न्यू विशाल हिमाचल परिवहन सहकारी सभा समिति की कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया है।
संवाद सहयोगी, गगरेट : प्रदेश उच्च न्यायालय और पंजीयक सहकारी सभा के आदेश न मानने पर न्यू विशाल हिमाचल परिवहन सहकारी सभा समिति की कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया है। अब छह महीने के लिए उमेश कुमार को प्रशासक नियुक्त किया गया है। उन्होंने वीरवार को कार्यभार संभाल लिया।
यह है मामला : न्यू विशाल हिमाचल गुड्स परिवहन सहकारी सभा समिति गगरेट के कुछ सदस्यों ने न्यायालय में सभा प्रधान के खिलाफ केस किया था। आरोप लगाए थे कि उनकी गाड़ियों को नियमों के खिलाफ जाकर सभा से निकाल दिया है और उन गाड़ियों को काम नहीं दिया जा रहा। इसके बाद न्यायालय ने सदस्यों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सभा प्रधान को आदेश दिए कि उन गाड़ियों को नियमानुसार काम दें। लेकिन सभा प्रधान ने गाड़ियों को काम नहीं दिया। सदस्य फिर से न्यायालय की शरण में गए। न्यायालय ने सात दिन के अंदर आदेशों का पालन करने को कहा लेकिन फिर भी आदेशों का पालन नहीं हुआ, जिस पर न्यायालय ने सभा कार्यकारिणी भंग कर दी ।
--------------------
सभा के साथ जुड़ा है पुराना विवाद
यह सहकारी सभा पहले ट्रक यूनियन थी। इसके बाद उच्च न्यायालय से आदेश पारित होने पर पूरे प्रदेश के साथ-साथ इस यूनियन को भी भंग करके सहकारी सभा बना दिया लेकिन यूनियन से सभा तक के सफर में लगभग 56 लाख के गबन की आशंका ऑडिट रिपोर्ट में बताई गई। विभाग द्वारा सिफारिश की गई कि सीए से ऑडिट करवाकर गबन के पैसे की वसूली की जाए लेकिन आज तक कोई जांच नहीं हुई। यही इस सभा के विवाद की जड़ है।
---------------
सभा ने नहीं सौंपा रिकॉर्ड
वीरवार सुबह न्यायालय के आदेश पर प्रशासक उमेश कुमार जब सभा का कार्यभार लेने पहुंचे तो कार्यकारिणी सदस्य व सभा प्रधान रिकॉर्ड सहित लापता हो गए। सभा में मौजूद कर्मचारियों ने अपने पास किसी भी तरह का रिकॉर्ड होने से मना कर दिया।
--------------
फिलहाल कार्यभार संभाल लिया है लेकिन सभा का कोई भी रिकॉर्ड मुझे नहीं दिया गया। कर्मचारी अपने पास रिकॉर्ड होने से मना कर रहे हैं। इनसे इस विषय में लिखित में लिया गया है।
-उमेश कुमार, कार्यकारी प्रशासक सहकारी सभा।
-----------------
जब से सहकारी सभा बनी है, तब से इसमें गोलमाल चल रहा है। इस सभा में 56 लाख रुपये की गबन की बात ऑडिट रिपोर्ट में सामने आई है।
-प्रशांत कुमार, अधिवक्ता, शिमला उच्च न्यायालय।