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रेन शेल्टर बनाए पर रखरखाव करना भूला प्रशासन

बेशक मंदिर न्यास ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विभिन्न जगहों पर करोड़ों रुपये खर्च करके रेन शेल्टर का निर्माण करवाया है लेकिन इनके रखरखाव व मरम्मत का काम स्थानीय प्रशासन शायद भूल गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 06:05 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 06:05 PM (IST)
रेन शेल्टर बनाए पर रखरखाव करना भूला प्रशासन
रेन शेल्टर बनाए पर रखरखाव करना भूला प्रशासन

बृजमोहन कालिया, चिंतपूर्णी

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बेशक मंदिर न्यास ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विभिन्न जगहों पर करोड़ों रुपये खर्च करके रेन शेल्टर का निर्माण करवाया है लेकिन इनके रखरखाव व मरम्मत का काम स्थानीय प्रशासन शायद भूल गया है। मंदिर न्यास ने जहां रेन शेल्टर का सही ढंग से निर्माण कार्य न करने का ठीकरा एनएच विभाग पर फोड़ा है, वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का कहना है कि जिस एजेंसी या विभाग ने इस मद पर पैसा खर्च किया है, उसी का जिम्मा रखरखाव का होगा। यही वजह है कि कई जगह पर रेन शेल्टर की हालत बदतर हो गई है।

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आशा देवी मंदिर से भरवाई तक बने हैं रेन शेल्टर

प्रदेश की सीमा शुरू होने से लेकर भरवाई तक मंदिर न्यास ने भरवाई, किन्नू, थनीकपुरा, अलोह, सिद्ध चलेहड़, घेवट बेहड़, बणे दी हट्टी, हनुमान मंदिर गगरेट और आशा देवी मंदिर पर रेन शेल्टर का निर्माण करवाया है। इससे मां चितपूर्णी के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को फायदा मिला है। पैदल चलने वाले भक्त यहां आराम भी करते हैं। इन रेन शेल्टर पर सारा पैसा मंदिर न्यास ने खर्च किया है लेकिन कुछ का निर्माण मंदिर न्यास के अलावा राष्ट्रीय राज मार्ग प्राधिकरण ने भी करवाया है। इसे लेकर ही मंदिर न्यास ने सवाल उठाए हैं।

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मरम्मत व रखरखाव की जरूरत

अब समय बीतने के साथ कई जगहों पर इन रेन शेल्टर की मरम्मत की जरूरत महसूस की जा रही है। घेवट बेहड़ में तो वर्षाशालिका की जमीन बैठ गई है, जिस कारण फर्श व डंगे का सीमेंट भी उखड़ने लगा है। यह वर्षाशालिका मात्र तीन वर्ष पहले ही बनकर तैयार हुई थी। वहीं अन्य जगहों पर रेन शेल्टर की हालत संतोषजनक नहीं है। कई जगहों पर सफाई न होने से रेन शेल्टर में बैठना तक मुश्किल होता है।

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घेवट बेहड़ में वर्षाशालिका का निर्माण कार्य एनएच प्राधिकरण ने करवाया है। ऐसे में तीन वर्ष के भीतर ही इसकी हालत बिगड़ गई है। अब मरम्मत की जिम्मेदारी भी इसी विभाग को लेनी चाहिए।

-आरके जसवाल, एसडीओ, मंदिर न्यास

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उक्त मार्ग पर मंदिर न्यास के सौजन्य से रेन शेल्टर बने हैं। सारा पैसा भी न्यास ने ही खर्च किया है। ऐसे में रखरखाव व मरम्मत की जिम्मा भी न्यास का ही बनता है।

महेंद्र पाल भाटिया, सहायक अभियंता, एनएच प्राधिकरण।

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मामला ध्यान में आया है। जिन जगहों पर रेन शेल्टर की मरम्मत की जरूरत है, वहां काम करवाया जाएगा।

-एस तारूल रबिश, मंदिर की सह आयुक्त एवं एसडीएम अम्ब।


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