महंगी हुई तूड़ी, पशु रखना हुआ मुश्किल
तपूर्णी क्षेत्र में 45 रुपये लीटर दूध बिकने के बाद भी पशुपालकों के चेहरे पर रौनक नहीं है।
संवाद सहयोगी, चितपूर्णी : चितपूर्णी क्षेत्र में 45 रुपये लीटर दूध बिकने के बाद भी पशुपालकों के चेहरे पर रौनक नहीं है। कारण यह है कि तूड़ी और पशु आहार इतने मंहगे हो गए हैं कि किसानों को अब पशु रखना बेहद मुश्किल होता जा रहा है। खल, फीड, तारामीरा और बड़ेवे के दामों में तो कुछ समय से उछाल आया है, वहीं तूड़ी की कीमतें पहले से कहीं अधिक बढ़ गई हैं।
खरीद कर लेनी पड़ती है तूड़ी : धार क्षेत्र में बेसहारा पशुओं और बंदरों के आतंक के कारण गेहूं की फसल न के बराबर होती है। चितपूर्णी के धार क्षेत्र में किसानों को तूड़ी खरीद कर ही लेनी पड़ती है, क्योंकि यहां पर लगभग छोटे किसान ही हैं और सिचाई के बिना अच्छी पैदावार नहीं होती है। इस बार मक्की की फसल भी न के बराबर रहने से तूड़ी के दामों में इजाफा हो गया है। चितपूर्णी क्षेत्र में तूड़ी के दाम छह सौ रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। घर तक तूड़ी पहुंचाने के लिए परिवहन का अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है।
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खल की 49 किलोग्राम की बोरी 2100 रुपये में
किसान बड़ेवे की खल अपने पशुओं को देते हैं। पिछले वर्ष इन्हीं दिनों 1400 रुपये में बिकने वाली 49 किलोग्राम की बोरी के दाम इस बार 2100 रुपये तक पहुंच गए हैं। इतना ही नहीं बेड़ेवे के भाव 55 रुपये प्रति किलोग्राम हैं तो फीड भी 18 रुपये से ऊपर बिक रही है। इस तरह तारामीरा (साबुत व पिसा हुआ) के रेट भी 60 के पार पहुंच गए हैं।
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सरकार को उपलब्ध करवानी चाहिए तूड़ी
स्थानीय किसान संजीव कुमार, बंटू पाधा, वेदप्रकाश, ओमदत्त, रामनाथ और महेश कुमार ने कहा कि कुछ वर्ष पूर्व प्रदेश सरकार किसानों को सबसिडी पर तूड़ी उपलब्ध करवाती थी। अब सरकार को इस योजना को दोबारा लागू करना चाहिए।